नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक द्वारा उसके निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए मांगी गई बिना शर्त माफी को स्वीकार करते हुए उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जिले में अवैध बालू खनन न हो।
अधिकरण जिले के पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र बाल्मीकि बाघ अभयारण्य में अवैध रेत खनन के मामले की सुनवाई कर रहा था।
इस वर्ष 20 फरवरी को अधिकरण ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के खिलाफ जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया ताकि गवाह के रूप में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके।
न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ ने आठ अप्रैल को एक आदेश जारी किया, जिसे 23 अप्रैल को सार्वजनिक किया गया। पीठ ने आदेश में कहा, “दिनेश कुमार राय (डीएम) और सुशांत कुमार सरोज (एसपी) बगहा, पश्चिम चंपारण, वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस न्यायाधिकरण के समक्ष उपस्थित हुए और उन्होंने इस न्यायाधिकरण द्वारा निर्देशित रिपोर्ट प्रस्तुत न करने के लिए बिना शर्त माफी मांगी और आश्वासन दिया कि अवैध खनन को रोकने के लिए अपेक्षित उपचारात्मक उपाय किए जाएंगे।”
न्यायाधिकरण ने यह देखते हुए मामले का निपटारा कर दिया कि दोनों ने कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल कर दी है।
इसने उन्हें यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि “2016 के सतत रेत खनन प्रबंधन दिशानिर्देशों और 2020 के रेत खनन संबंधी प्रवर्तन और निगरानी दिशानिर्देशों के अनुपालन में उचित कार्रवाई हो और अवैध खनन को रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय और एनजीटी द्वारा जारी निर्देशों का भी पालन किया जाए।”
भाषा प्रशांत अविनाश
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