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बुधवार, 30 अप्रैल, 2025
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बिहार : नीतीश ने जातिगत गणना का स्वागत किया, तेजस्वी ने इसे लालू की जीत बताया

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पटना, 30 अप्रैल (भाषा) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनगणना में जातिगत गणना को भी शामिल करने के केंद्र के फैसले का बुधवार को स्वागत करते हुए कहा कि इस निर्णय से देश में विकास को और गति मिलेगी।

राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने केंद्र के फैसले को समाजवादियों और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद की जीत बताया।

कुमार ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी पोस्ट में कहा, ‘‘ जाति जनगणना कराने का केंद्र सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है। जाति जनगणना कराने की हमलोगों की मांग पुरानी है। यह बेहद खुशी की बात है कि केन्द्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ जाति जनगणना कराने से विभिन्न वर्गों के लोगों की संख्या का पता चलेगा जिससे उनके उत्थान एवं विकास के लिए योजनाएं बनाने में सहूलियत होगी। इससे देश के विकास को गति मिलेगी। जाति जनगणना कराने के फैसले के लिए माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनंदन तथा धन्यवाद।’’

बिहार के उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सम्राट चौधरी ने जातिगत गणना के फैसले का स्वागत करते हुए इसे ‘ऐतिहासिक करार दिया।

उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘ आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए आगामी जनगणना के साथ जातीय गणना भी कराने का निर्णय लिया है। इस युगांतकारी निर्णय के लिए मैं उनका कोटिश: आभार एवं अभिनंदन करता हूं।’’

चौधरी ने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि इस फैसले से जरूरतमंद समाज के आर्थिक-सामाजिक पक्ष का सही जानकारी निकलकर आएगा और वंचित तबकों के उत्थान के लिए और अधिक कारगर योजना बनेगी।’’

हालांकि, विपक्षी राजद ने केंद्र के फैसले को समाजवादियों और पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद की जीत करार दिया।

केंद्र की घोषणा के तुरंत बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा कि जब वे जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब संयुक्त मोर्चा सरकार ने 1996-97 में 2001 में जाति आधारित गणना कराने का निर्णय लिया था।

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, बाद में दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन राजग सरकार ने इसे लागू नहीं किया। 2011 की जनगणना में, हमने फिर से संसद में जातिगत गणना की जोरदार मांग उठाई।’’

प्रसाद ने कहा कि उन्होंने, मुलायम सिंह यादव और शरद यादव के साथ मिलकर इस मांग को लेकर कई दिनों तक संसद को ठप रखा था और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कराने के आश्वासन के बाद ही संसद को चलने दिया था।देश में सर्वप्रथम जातिगत सर्वे भी हमारी 17 महीने की महागठबंधन सरकार में बिहार में ही हुआ।’’

राजद सुप्रीमो ने कहा, ‘‘जिसे हम समाजवादी जैसे आरक्षण, जातिगणना, समानता, बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता इत्यादि 30 साल पहले सोचते है उसे दूसरे लोग दशकों बाद फॉलो करते है। जातिगत जनगणना की मांग करने पर हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला। अभी बहुत कुछ बाकी है। हम इन संघियों को हमारे एजेंडा पर नचाते रहेंगे।’’

इसी तरह की भावना उनके बेटे और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘ हमारी वैचारिक जीत, सामाजिक न्याय की हमारी लड़ाई अब अगले पड़ाव पर। जो आज हम करते है वो बाकी 35-40 साल बाद सोचते है। अब हम पिछड़ों/अतिपिछड़ों के लिए विधानसभा, विधानपरिषद, लोकसभा और राज्यसभा में सीटें आरक्षित करेंगे। मंडल कमीशन की अनेक सिफारिशें भी अभी लागू होना शेष है। सामाजिक न्याय ज़िंदाबाद!’’

उन्होंने कहा, ‘‘ 29 साल पहले जनता दल के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा की समाजवादी सरकार के केंद्रीय कैबिनेट द्वारा जातिगत जनगणना के निर्णय को पलटने वाली राजग सरकार को दुबारा उस निर्णय पर निर्णय लेने के लिए बाध्य करने वाले आदरणीय लालू जी समेत सभी समाजवादियों की जीत को बधाई।’’ तेजस्वी ने फैसले की खुशी में पटाखा जलाकर जश्न मनाने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर साझा किया।

बिहार की तत्कालीन महागठबंधन सरकार ने 2023 में एक जाति सर्वेक्षण कराया और उसी वर्ष नवंबर में सर्वेक्षण रिपोर्ट के निष्कर्ष विधानसभा में पेश किए।

जाति सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार राज्य की 13.07 करोड़ की आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63.13 प्रतिशत है, जबकि स्वर्ण जातियों की हिस्सेदारी 15.52 प्रतिशत है।

भाषा धीरज माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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