पटना, सात अप्रैल (भाषा) बिहार विधानपरिषद की 24 सीटों के लिए चार अप्रैल को मतदान के बाद बृहस्पतिवार को मतगणना में सत्तारूढ़ राजग ने आधे से अधिक पर कब्जा कर अपना दबदबा बरकरार रखा है।
लालू प्रसाद की पार्टी राजद ने भी इस चुनाव में छह सीटें जीत कर अपनी सीटों की संख्या में सुधार करने में कामयाबी हासिल की। हालांकि उसने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था जो किसी भी पार्टी के लिए सबसे ज्यादा संख्या थी।
इस चुनाव में चौकाने वाली बात यह है कि विद्रोहियों ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़कर चार निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की है।
बिहार की 75 सदस्यीय विधानपरिषद में 24 सदस्यों का कार्यकाल पिछले साल जुलाई में समाप्त हो गया था लेकिन कोरोना महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण चुनाव स्थगित करना पड़ा था।
महामारी के कारण पंचायत चुनाव में देरी होने के कारण विधान परिषद चुनाव में भी देरी हुई।
बिहार में सत्तारूढ़ राजग में शामिल भाजपा ने 12 पर चुनाव लड़ा था और उसने सात सीटों पर जीत हासिल की। पार्टी को सारण जैसी जगहों पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जो पूर्व एमएलसी सच्चिदानंद राय की झोली में गया। राय एक अनुभवी भाजपा नेता थे, जो अपनी पुरानी सीट से टिकट से वंचित होने पर निर्दलीय के रूप में मैदान में कूद गए थे।
बिहार की मुख्य विपक्षी दल राजद को भी मधुबनी (अंबिका गुलाब यादव) और नवादा (अशोक यादव) में बागी निर्दलीय उम्मीदवारों के हाथों इसी तरह के अपमान का सामना करना पड़ा है।
पूर्वी चंपारण में कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार महेश्वर सिंह ने जीत हासिल की जबकि बेगूसराय से उसके अपने केवल एक उम्मीदवार राजीव सिंह ने पूर्व एमएलसी और भाजपा प्रत्याशी रजनीश कुमार को पराजित कर जीत दर्ज की है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने पांच निर्वाचन क्षेत्रों में ही जीत हासिल की है। उसका खाली सीटों में से पूर्व में आठ पर कब्जा था। हालााकि जदयू की इस जीत में मुख्यमंत्री के पैतृक जिला नालंदा (रीना यादव), में एक जोरदार जीत के अलावा मुजफ्फरपुर में दिनेश सिंह और भोजपुर में राधाचरण सेठ द्वारा भारी जीत भी शामिल है।
दिवंगत रामविलास पासवान की पार्टी के भाई पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले गुट राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी ने वैशाली में जीत हासिल की जहां उनके उम्मीदवार भूषण राय ने अपने निकटतम राजद प्रतिद्वंद्वी को हराया।
सहरसा-मधेपुरा-सुपौल सीट के परिणाम को लेकर राजद विधायक भाई वीरेंद्र के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव अधिकारी से मतगणना में अनियमितताओं की शिकायत को लेकर मुलाकात की और अंततः पार्टी के अजय सिंह को विजेता घोषित किया गया।
यह सीट पहले नूतन सिंह के पास थी जिनके पति नीरज सिंह बबलू राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री हैं। उन्हें इस बार फिर से भाजपा ने मैदान में उतारा था ।
पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले उनके छोटे पुत्र और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इस बार के परिषद चुनाव में बड़ी संख्या में ऊंची जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था और अपने पिता से विरासत में मिले एमवाई (मुस्लिम-यादव) के समीकरण वाली पार्टी होने के आरोपों को धोने का प्रयास किया था ।
राजद के चार विजयी उम्मीदवार संख्यात्मक रूप से छोटे लेकिन सामाजिक और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली समूह से हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि राजद विजेताओं में से तीन भूमिहार से हैं।
अपने मौजूदा प्रदर्शन के साथ राजद के पास अब अपनी नेता राबड़ी देवी के लिए विपक्ष के नेता के पद को बनाए रखने के लिए 75 सदस्यीय विधान परिषद में पर्याप्त संख्या है।
भाषा अनवर
राजकुमार
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