पटना, 10 जून (भाषा) बिहार सरकार ने नौ विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) के लोगों को आधुनिक सुविधाओं से लैस पक्के मकान उपलब्ध कराने का मंगलवार को फैसला किया।
सरकार ने कहा कि आदिवासी परिवारों को प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) के तहत पक्के मकान उपलब्ध कराए जाएंगे। उसने बताया कि मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया।
राज्य सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने आदिवासी परिवारों को पक्के मकान उपलब्ध कराने का प्रस्ताव मंत्रिमंडल के समक्ष रखा था।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (कैबिनेट सचिवालय) एस सिद्धार्थ ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “मंत्रिमंडल ने ग्रामीण विकास विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। राज्य सरकार प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत बिहार के 10 जिलों में रहने वाले नौ पीवीटीजी को आधुनिक सुविधाओं से लैस पक्के मकान उपलब्ध कराएगी।”
उन्होंने बताया, “इन नौ पीवीटीजी में अशुर, बिरहोर, बिराजिया, हिलखरिया, कोरवा, मालपहाड़िया, परहैया, सूर्यपहाड़िया और सावर शामिल हैं।”
मंत्रिमंडल बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने एक बयान में कहा, “प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत पक्के मकान उपलब्ध कराने के लिए प्रारंभिक रूप से 10 जिलों में लगभग 1,308 आदिवासी परिवारों की पहचान की गई है। पात्र परिवारों को चार समान किस्तों में दो लाख रुपये दिए जाएंगे… और यह राशि योजना के तहत सीधे उनके बैंक खातों में स्थानांतरित कर दी जाएगी।”
चौधरी ने बताया कि इसके अलावा, प्रत्येक लाभार्थी परिवार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत लगभग 27,000 रुपये की एकमुश्त मजदूरी और स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय निर्माण के लिए 12,000 रुपये की राशि दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस तरह प्रत्येक लाभार्थी परिवार को कुल 2.39 लाख रुपये की वित्तीय सहायता हासिल होगी।
सिद्धार्थ ने बताया कि मंत्रिमंडल ने सामान्य प्रशासन विभाग के उस प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी, जिसमें सभी महिला कर्मचारियों को उनकी तैनाती स्थल के पास सुरक्षित आवास उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
उन्होंने कहा, “राज्य सरकार निजी व्यक्तियों से संपत्ति पट्टे पर लेकर महिला कर्मचारियों के लिए उनकी तैनाती वाली जगह के पास आवास की व्यवस्था करेगी। पट्टे का खर्च सरकार वहन करेगी। इस योजना का मकसद महिला कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहयोग देना है।
सिद्धार्थ ने बताया कि मंत्रिमंडल ने राज्य में जन्म और मृत्यु प्रमापत्र जारी करने की प्रक्रिया को सुचारु बनाने के लिए नये नियमों से संबंधित योजना विभाग के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी।
सिद्धार्थ ने कहा कि बिहार जन्म एवं मृत्यु निबंधन (संशोधन) नियमावली, 2025 के तहत अब प्रमाणपत्र डिजिटल तरीके से और अधिक कुशलता से जारी किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि यह सुधार नागरिकों के लिए कई प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाएगा।
भाषा पारुल माधव
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