पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार ने उन मुस्लिम महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं जिन्हें उनके पतियों ने छोड़ दिया है.
कुमार ने कहा कि बिहार सरकार ने राज्य में मुस्लिम लड़कियों और लड़कों की शिक्षा को समर्थन देने के लिए विभिन्न उपाय भी किए हैं.
बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के शताब्दी समारोह पर आयोजित एक कार्यक्रम में कुमार ने कहा, ‘‘जिन मुस्लिम महिलाओं को उनके पतियों द्वारा छोड़ दिया जाता है, उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है…ऐसी मुस्लिम महिलाओं की स्थिति में सुधार और समर्थन के लिए, राज्य सरकार ने 2007 में 10,000 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता शुरू की. यह राशि अब बढ़ाकर 25,000 रुपये प्रति माह कर दी गई है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुस्लिम लड़के-लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए राज्य सरकार का अल्पसंख्यक कल्याण विभाग कई योजनाएं चला रहा है.’’
कुमार ने कहा कि यदि शादी के बाद महिलाओं को छोड़ दिया जाए तो उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. मुख्यमंत्री ने दावा किया कि 2005 से पहले राज्य में मुस्लिम समुदाय के लिए कोई काम नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि 2005 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनने के बाद, मुस्लिम समुदाय के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गईं.
उन्होंने कहा, ‘‘पहले अक्सर हिंदू-मुस्लिम झगड़े होते थे. इसलिए, 2006 से कब्रिस्तानों की बाड़ लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई है. बड़ी संख्या में कब्रिस्तानों की बाड़ लगाई जा चुकी है और अब ऐसा कोई झगड़ा नहीं होता.’’
कुमार ने कहा, ‘‘पहले मदरसों की हालत बहुत दयनीय थी. मदरसा शिक्षकों को अच्छा वेतन नहीं मिलता था. 2006 के बाद मदरसों का पंजीकरण हुआ और उन्हें सरकारी मान्यता मिली. अब मदरसा शिक्षकों को सरकारी स्कूल के शिक्षकों के बराबर वेतन मिल रहा है.’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2005 के चुनाव से पहले कई दंगे हुए थे, जिनमें 1989 का भागलपुर दंगा भी शामिल था, लेकिन न तो तत्कालीन सरकार और न ही बाद की सरकारों ने उचित जांच कराई. उन्होंने कहा कि नवंबर 2005 में जैसे ही हम सत्ता में आए, पूरी जांच कराई गई, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की गई और दंगा पीड़ितों को मुआवजा दिया गया.
कुमार ने कहा कि दंगा प्रभावित परिवारों को पेंशन के माध्यम से सहायता प्रदान की जा रही है. उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का बजट 2004-05 में केवल 3.54 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 1,080 करोड़ रुपये हो गया है.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, मुस्लिम समुदाय के युवा पुरुषों और महिलाओं को रोजगार शुरू करने में मदद करने के लिए विभिन्न तरीकों से सहायता प्रदान की जा रही है.
कुमार ने कहा, ‘‘शुरू से ही हमने समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए काम किया है, चाहे वे हिंदू हों, मुस्लिम हों, ऊंची जाति के हों, पिछड़े हों, अति पिछड़े हों, दलित हों या महादलित हों.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने हमेशा जनता के हित में काम किया है और राज्य के विकास के लिए अथक प्रयास करते रहेंगे. विरोधी बेवजह बोलते हैं, लेकिन उसका कोई मतलब नहीं होता. हम अपने काम पर केंद्रित रहते हैं.’’