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Tuesday, 7 October, 2025
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बिहार : चुनाव की तारीखों का ऐलान, लेकिन गठबंधन दलों में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान जारी

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पटना, सात अक्टूबर (भाषा) बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही राज्य में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और विपक्षी महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर खींचतान तेज हो गई है।

दोनों गठबंधन अंतिम फार्मूला तय करने में जुटे हैं, लेकिन क्षेत्रीय छोटे दलों की मांगें पेच फंसा रही हैं।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की चुनाव समिति के सदस्य प्रेम राजन पटेल ने कहा, “उम्मीदवारों पर बातचीत पूरी हो चुकी है। बुधवार को चुनाव समिति ने सूची तैयार कर उसे दिल्ली भेज दिया है। अंतिम फैसला पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व करेगा।”

राजग के लिए सबसे बड़ी चुनौती केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) को समायोजित करने की है। मांझी कम से कम 20 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि उन्हें 10 से कम सीटें देने का प्रस्ताव मिला है। नाराज मांझी रविवार को दिल्ली रवाना हो गए, क्योंकि उनकी बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से बातचीत बेनतीजा रही।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) और भाजपा के बीच हालांकि सहमति बनती दिख रही है। सूत्रों के अनुसार, दोनों दल करीब 100-100 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जिसमें जद(यू) को एक सीट अधिक मिलेगी। समस्या छोटे सहयोगी दलों को लेकर बनी हुई है। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने शुरुआत में 40 सीटों की मांग की थी, आज उनकी पार्टी की भी बैठक है।

सूत्रों का कहना है लोजपा (रामविलास) ने सीट के साथ कुछ अन्य मांगे जिसमें राज्यसभा की एक सीट और विधान परिषद की एक सीट की मांग भी रखे हैं।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “ये शुरुआती अड़चनें हैं, जिन्हें हम दो-तीन दिनों में सुलझा लेंगे। भाजपा और जद(यू) के बीच कुछ सीटों के आदान-प्रदान को लेकर चर्चा जारी है।”

दूसरी ओर, महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव को विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी को लेकर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

वर्ष 2020 के चुनाव में सहनी ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान राजद से नाराज होकर मंच छोड़ दिया था, क्योंकि उन्हें वादा करने के बावजूद सीटें नहीं दी गई थीं। बाद में उन्होंने राजग से हाथ मिलाया और 11 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से चार पर जीत दर्ज की।

इस बार सहनी ने शुरुआत में 60 सीटों की मांग की, लेकिन बाद में यह संख्या घटाने को तैयार हुए, बशर्ते उन्हें उपमुख्यमंत्री पद घोषणा कर दे। हालांकि, राजद के एक नेता के अनुसार, “कांग्रेस सहनी को उपमुख्यमंत्री पद देने के पक्ष में नहीं है।”

राजद और कांग्रेस के बीच अब बात कुछ हद तक सुलझती दिख रही है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, “कांग्रेस ने अपनी 75 सीटों की मांग घटाकर 60 से कम कर दी है। फिलहाल 41 सीटों पर सहमति बन चुकी है, लेकिन यह संख्या 2020 के चुनाव में लड़ी गई 70 सीटों से काफी कम है, जिनमें से कांग्रेस ने 19 पर जीत दर्ज की थी।”

महागठबंधन में वाम दलों- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भाकपा (माले) — ने भी समीकरण जटिल बना दिए हैं। भाकपा और माकपा ने 35 सीटों की मांग की है, जबकि 2020 में उन्होंने 10 से कुछ अधिक सीटों पर ही चुनाव लड़ा था।

भाकपा (माले) ने पिछले चुनाव में 15 सीटें जीती थीं, और इस बार वह 50 सीटों की मांग कर रही है, हालांकि उसे करीब 25 सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है।

भाषा

कैलाश

रवि कांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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