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शनिवार, 14 जून, 2025
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बिहार मंत्रिपरिष्द ने 500 करोड़ रुपये की लागत से जाति आधारित गणना को मंजूरी दी

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पटना, दो जून (भाषा) बिहार मंत्रिपरिषद ने जाति आधारित गणना को बृहस्पतिवार को मंजूरी प्रदान करते हुए इसके लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया और सर्वेक्षण पूरा करने के लिए 23 फरवरी की समय सीमा निर्धारित की।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में संपन्न मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद पत्रकारों को यह जानकारी देते हुए मुख्य सचिव अमीर सुबहानी ने कहा कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा अपेक्षित अधिसूचना जारी होते ही काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जातियों के सर्वेक्षण के लिए सामान्य प्रशासन विभाग नोडल प्राधिकरण होगा तथा अधिसूचना जल्द से जल्द जारी की जाएगी ।

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार द्वारा प्रदेश में अपने संसाधनों से जाति आधारित जनगणना कराने का निर्णय लिया गया है। उनके अनुसार इस सर्वेक्षण पर आकस्मिकता निधि से 500 करोड़ रूपये व्यय किया जायेगा।

सुबहानी ने कहा कि यह कार्य फरवरी, 2023 तक पूर्ण होगा, जिसका नोडल विभाग होगा सामान्य प्रशासन विभाग तथा नोडल पदाधिकारी सभी जिलों में जिला पदाधिकारी होंगे, जो इस कार्य के लिए ग्राम, पंचायत, अन्य सभी स्तरों पर भी विभिन्न विभागों के अधिकारियों/कर्मियों की सेवा ले सकेंगे। जाति आधारित गणना में आर्थिक गणना भी शामिल होगी।

मुख्यमंत्री द्वारा इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता के एक दिन बाद ही मंत्रिपरिषद ने इसकी मंजूरी दी है।

केंद्र द्वारा एससी और एसटी के अलावा अन्य जाति समूहों की गणना करने में असमर्थता व्यक्त करने के मद्देनजर राज्य सरकार ने यह अभ्यास शुरू किया है।

बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा जातीय जनगणना के पक्ष में 2018 और 2019 में दो सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किए गए थे।

नीतीश कुमार और मुख्य विपक्षी पार्टी राजद का तर्क रहा है कि विभिन्न सामाजिक समूहों का एक नया अनुमान आवश्यक है क्योंकि पिछली जातीय जनगणना 1921 में हुई थी।

मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने मंत्रिपरिषद द्वारा अन्य एजेंडे को दी गयी मंजूरी के बारे में बताते हुए कहा कि आज मंत्रिपरिषद की बैठक में कुल 12 एजेंडे पर निर्णय लिए गए ।

भाषा अनवर

राजकुमार

राजकुमार

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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