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गुरूवार, 15 मई, 2025
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बिहार : एएसआई राजगीर में गुप्त काल के मनियार मठ के जीर्णोद्धार का काम शुरू करेगा

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पटना, 16 अक्टूबर (भाषा) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने बिहार के नालन्दा जिले के राजगीर में स्थित गुप्त काल की एक प्राचीन संरचना मनियार मठ के संरक्षण के लिए प्रयास शुरू करने का फैसला किया है।

अधिकारियों ने बताया कि प्राचीन मठ को नया जीवन देने के लिए एएसआई जल्द ही संरक्षण कार्य शुरू करेगा।

पुराने शहर राजगृह के लगभग मध्य में स्थित, मनियार मठ एक रहस्यमय पूजा स्थल है जो नागा शीलभद्र को समर्पित माना जाता है और कुछ समय पहले एक बौद्ध स्तूप भी रहा है। बेलनाकार स्तूप को स्थानीय लोग ‘शुभ कुआं’ मानते हैं जहां वे नाग देवता की पूजा कर अपने सुखी जीवन की कामना करते हैं।

एएसआई, पटना सर्कल की अधीक्षण पुरातत्वविद गौतमी भट्टाचार्य ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘हम जल्द ही मठ का संरक्षण करेंगे। हमारा ध्यान यह सुनिश्चित करने पर होगा कि इसका मूल स्वरूप बरकरार रहे।’

उन्होंने कहा कि एएसआई ने हाल ही में राजगीर के महादेव मंदिर में संरक्षण कार्य पूरा किया है।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘मनियार मठ में वेदी, चबूतरे, मंदिर आदि संभवतः नाग पूजा से संबंधित धार्मिक रस्मों और अनुष्ठान के लिए बनाए गए थे। यह एक बेलनाकार मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि यह राजगृह के देवता मणिनाग का मंदिर है। पाली ग्रंथों में इसे मणिमाला चैत्य कहा गया है, जबकि महाभारत में मणिनाग मंदिर का उल्लेख है। ’’

उन्होंने कहा कि चित्रों की कला शैली से यह संरचना गुप्त काल की प्रतीत होती है।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘हमने राजगीर में स्थित ‘जरासंध की बैठका’ का संरक्षण कार्य भी पूरा कर लिया है।’’

पुरातत्वविदों के अनुसार, मगध के राजा जरासंध की राजधानी राजगीर थी।

महाभारत के अनुसार, यह वह जगह है जहां जरासंध से लड़ते हुए भीम ने उनके शरीर के दो हिस्से किए थे और उसे दोबारा जुड़ने से रोकने के लिए दो विपरीत दिशाओं में फेंक दिया था। इस तरह जरासंध मारा गया था।

राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) ने हाल ही में केंद्रीय संरक्षित स्मारकों – बिहार के राजगीर (नालंदा) में प्राचीन संरक्षित दीवारों से घिरे क्षेत्रों के भीतर प्राचीन संरचनाओं और अन्य स्मारकों/अवशेषों के संरक्षण और विकास के लिए मसौदा विरासत उपनियम जारी किए हैं।

राजगीर में संरक्षित स्थलों में कई स्मारक और प्राचीन अवशेष हैं, जिनमें से ज्यादातर खंडहर में तब्दील हो चुके मंदिरों और पत्थरों की संरचनाएं हैं। इनमें जरासंध का अखाड़ा (युद्धभूमि), बिम्बिसार जेल (कैदी का घर), जैन मंदिर, महादेव मंदिर, सोन भंडार गुफा, मनियार मठ, जीवकाम्रवन (मठ/प्राचीन अस्पताल), रथ के पहिए के निशान और शंख, नए उत्खनन से प्राप्त स्तूप आदि शामिल हैं।

राजगीर के स्मारक ज्यादातर मौर्यकालीन ईंटों, पत्थर के मलबे, मिट्टी और ईंट जेली से बने हैं।

एएसआई (पटना सर्कल) द्वारा किए गए एक क्षेत्रीय सर्वेक्षण के आधार पर प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष (एएमएएसआर) अधिनियम, 1958 की धारा 20 (ई) के तहत विरासत उपनियमों का मसौदा जारी किया गया है।

भाषा अनवर मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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