नयी दिल्ली, छह जून (भाषा) कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि विदेश भेजे गए संसदीय प्रतिनिधिमंडलों की उन देशों के प्रमुखों या प्रभावशाली लोगों के साथ बैठक की व्यवस्था कराने में केंद्र सरकार की असमर्थता उसकी विदेश नीति की “सबसे बड़ी विफलता” है। पार्टी ने पूछा कि इस कवायद से देश को क्या हासिल हुआ।
कांग्रेस ने दावा किया कि मोदी सरकार की “विफल विदेश नीति” के कारण भारत को पूरी दुनिया में “अपमानित” होना पड़ रहा है।
पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि कनाडा ने जी-7 बैठक के लिए भारत को आमंत्रित नहीं किया, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत और पाकिस्तान के बीच “संघर्ष-विराम” का श्रेय ले रहे हैं, भारत अलग-थलग पड़ गया है और “हमारे भरोसेमंद दोस्त हमसे दूरी बना रहे हैं।”
यहां इंदिरा गांधी भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में श्रीनेत ने दावा किया कि बड़े देश भारत के दुश्मन खेमे में नजर आ रहे हैं और पाकिस्तान “जिसे हमने पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया था, आज हीरो की तरह घूम रहा है।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “उसे (पाकिस्तान को) वैश्विक संस्थाओं में प्रतिनिधित्व का मौका मिल रहा है, वैश्विक संस्थाएं उसे वित्तीय सहायता दे रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले 45 दिनों में कश्मीर की ओर देखा तक नहीं, लेकिन आज वह फीता काटने कश्मीर पहुंच गए।”
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में पूरे देश के मन में कई सवाल उठते हैं।
श्रीनेत ने आरोप लगाया, “प्रधानमंत्री मोदी 11 साल से अधिक समय से सत्ता में हैं और 90 से अधिक देशों की यात्रा कर चुके हैं, लेकिन उनकी विफल विदेश नीति के कारण हमें कुछ भी हासिल नहीं हो सका।”
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े रुख से अवगत कराने के लिए विभिन्न देशों की यात्रा करने वाले बहुदलीय कूटनीतिक प्रतिनिधिमंडलों का जिक्र करते हुए श्रीनेत ने कहा, “जब आप विदेश में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, तो आपकी कुछ सीमाएं होती हैं। ऐसी कई बातें होती हैं, जो आप बोलना चाहते हैं, लेकिन विदेशी धरती पर आप बोल नहीं सकते। प्रतिनिधिमंडल भले ही न बोल पाए हों, लेकिन हम निश्चित रूप से बोलेंगे।”
उन्होंने कहा, “हम जो सवाल उठा रहे हैं, वह यह है कि ये प्रतिनिधिमंडल विदेश गए, लेकिन हम उनकी महत्वपूर्ण लोगों से एक भी बैठक नहीं करा सके, जो हमारी विदेश नीति की पूर्ण विफलता साबित हुई।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने पूछा कि इन प्रतिनिधिमंडलों की यात्रा के बाद कितने देशों ने हमारे पक्ष में बोला।
उन्होंने कहा, “कितने देशों ने पाकिस्तान की निंदा की? कुवैत ने पाकिस्तानी वीजा पर 19 साल पुराना प्रतिबंध हटा दिया है, यह कैसे ठीक है? प्रतिनिधिमंडल वापस आ गए हैं और उन्होंने स्वीकार किया है कि वे वहां भारत के दूत की तरह थे और इन मुद्दों पर ज्यादा नहीं बोल सकते थे, लेकिन घर लौटकर वे इन मुद्दों को उठाएंगे।”
श्रीनेत ने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि इनमें से अधिकतर प्रतिनिधिमंडलों की भारतीय मूल के लोगों, भारतीय दूतावासों और उच्चायोगों के अधिकारियों से मुलाकात करवाई गई।
उन्होंने कहा कि अधिकतर प्रतिनिधिमंडल केवल एक अवर सचिव, एक पूर्व मंत्री और राज्य स्तर के एक मंत्री से ही मिल पाए।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “सरकार अपनी संसद को संबोधित क्यों नहीं कर रही है? वे विशेष सत्र नहीं बुलाना चाहते, लेकिन वे विदेशों में रह रहे भारतीयों को संबोधित करना चाहते हैं। यह कैसा दोहरा मापदंड है? और इन प्रतिनिधिमंडलों से हमें क्या हासिल हुआ?”
उन्होंने कहा, “मैंने कई नीतिगत विफलताओं को उजागर किया है, जो हमारी विदेश नीति के पूर्ण पतन का नतीजा हैं और जिसके लिए भारत भारी कीमत चुका रहा है।”
श्रीनेत ने कहा कि इन प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों को भारतीय मूल के लोगों और हमारे दूतावास में काम करने वाले लोगों को संबोधित करते देखा गया।
उन्होंने कहा कि वे (प्रतिनिधिमंडल के सदस्य) संग्रहालयों, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों, गिरजाघरों में गए, वहां गाना-बजाना और नृत्य हुआ तथा बड़े रात्रिभोज का आयोजन किया गया।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “ऐसी स्थिति में सवाल यह उठता है कि इससे हमें क्या ठोस उपलब्धि हासिल हुई? आप राष्ट्राध्यक्षों के साथ प्रतिनिधिमंडल की बैठक क्यों नहीं करा सके? कितने देश हमारे पक्ष में आए और बयान जारी किया? कितने देशों ने आतंकवादियों को पनाह देने वाले पाकिस्तान की निंदा की? कितने देश खुले तौर पर हमारे साथ खड़े हैं?”
उन्होंने कहा कि ट्रंप ने नौ बार वीडियो में कहा है और दो बार ‘एक्स’ पर पोस्ट किया है कि उन्होंने व्यापार बंद करने की धमकी देकर भारत और पाकिस्तान के बीच ‘संघर्ष-विराम’ करवाया।
श्रीनेत ने कहा, “यह हमारी संप्रभुता के लिए खतरा है, लेकिन “सिंदूर के सौदागर” इसके खिलाफ चुप्पी साधे हुए हैं, उनके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा है।”
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हर चीज पर बात करने के लिए तैयार हैं, लेकिन ट्रंप के इन बयानों के खिलाफ कुछ नहीं कह रहे हैं।
श्रीनेता ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के एक सहयोगी के इस दावे का जिक्र किया कि पुतिन और ट्रंप के बीच फोन पर हुई बातचीत में भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य संघर्ष पर चर्चा हुई थी और तनाव को अमेरिकी राष्ट्रपति के “व्यक्तिगत हस्तक्षेप से खत्म किया गया।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि स्थिति यह है कि अब रूस भी मानता है कि अमेरिका ने ‘संघर्ष-विराम’ में मध्यस्थता की थी।
उन्होंने कहा, “यहां तक कि आज भी किसी को नहीं पता… ‘संघर्ष-विराम’ क्यों लागू किया गया? ‘संघर्ष-विराम’ की शर्तें क्या थीं? हमारी सेना के हाथ क्यों बंधे थे? हकीकत यह है कि “आत्मसमर्पण” करने वाले प्रधानमंत्री की चुप्पी चीख-चीख कर कह रही है कि उन्होंने दबाव में ‘संघर्ष-विराम’ पर सहमति जताई।”
श्रीनेत ने दावा किया कि 2014 से पहले भारत ने पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया था और उसके साथ आतंकवादी देश जैसा व्यवहार करना शुरू कर दिया था।
उन्होंने आरोप लगाया, “हमारी सेना की वीरता और साहस ने पाकिस्तान को हराया। लेकिन ‘संघर्ष-विराम’ पर सहमति जताकर और डोनाल्ड ट्रंप के सामने आत्मसमर्पण करके नरेन्द्र मोदी की विफल नीति ने पाकिस्तान को हीरो बना दिया।”
श्रीनेत ने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले को 45 दिन बीत चुके हैं। उन्होंने कहा, “मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि 26/11 के मुंबई हमले के बाद हमने एक-एक करके सभी आतंकवादियों को मार गिराया। हमारे वीर जवानों ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया, उन्हें भी फांसी पर लटका दिया गया। लेकिन पहलगाम के गुनहगार आतंकवादियों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल किया, “ये लोग (पहलगाम हमले के दोषी) कहां हैं? क्या उन्हें धरती ने निगल लिया है या आसमान ने खा लिया है? जब तक उन आतंकवादियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता, शहीदों के परिवारों को न्याय नहीं मिलेगा।”
भाषा पारुल मनीषा
मनीषा
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