नयी दिल्ली, 15 नवंबर (भाषा) पूर्व पर्यावरण मंत्री और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी के बाहर प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर चिंता व्यक्त की और आरोप लगाया कि महानगरों से परे जन स्वास्थ्य और प्रदूषण पर जागरूकता के बीच बहुत बड़ा अंतर है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि साइबेरियाई क्रेन पक्षी सर्दियों के महीनों के दौरान भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में आते थे लेकिन ‘‘अब नहीं आते क्योंकि वे भू-राजनीति के शिकार बन गए हैं’’।
रमेश ने कहा कि 7,000 एकड़ से अधिक का केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान सर्दियों के दौरान विदेशी सहित 350 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों का स्वागत करता है और यह सब कुछ दो व्यक्तियों – सालिम अली और इंदिरा गांधी के कारण संभव हो पाया जैसा कि मैंने अपनी पुस्तक ‘इंदिरा गांधी : ए लाइफ इन नेचर’ में विस्तार से वर्णित किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यहां कुछ मिनट बिताना भी स्फूर्ति और ताजगी का अनुभव देने वाला होता है। लेकिन इस बार उत्तर भारत के अन्य हिस्सों से भरतपुर तक पहुंचने वाले वायु प्रदूषण ने इसे प्रभावित किया है।’’
रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘पीएम 2.5 का स्तर 350 से अधिक होने के साथ आश्चर्य की बात यह है कि स्थानीय लोगों को प्रदूषण की सीमा का अहसास नहीं हुआ। यह बड़े महानगरों से परे जन स्वास्थ्य और प्रदूषण पर जागरूकता में भारी अंतर को दर्शाता है।’’
उत्तर भारत में किसानों द्वारा पराली जलाने सहित कई कारकों के कारण दिल्ली और आसपास के इलाके पिछले कुछ दिनों से भारी प्रदूषण की चपेट में हैं।
भाषा सुरभि पवनेश
पवनेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.