वाराणसी : बीएचयू (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी) लगातार सुर्खियों में छाई हुई है. पिछले महीने जन्तु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एसके चौबे के निष्कासन को लेकर छात्र-छात्राओं ने जमकर धरना-प्रदर्शन किया था. इसके बाद लाइब्रेरी और सभी विभागों में शौचालय समेत 11 सूत्रीय मांगों को लेकर कुछ छात्र-छात्राओं ने भूख हड़ताल की थी.
इन दो मामलों को झेल चुके बीएचयू प्रशासन को मंगलवार सुबह एक बार फिर से छात्र-छात्राओं के विरोध का सामना करना पड़ा. छात्रों ने परिसर में स्थित होल्कर भवन और वीसी आवास के सामने धरना-प्रदर्शन किया. वे इस बात को लेकर विरोध कर रहे हैं कि बीएचयू के परफार्मिंग आर्ट्स विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के इंटरव्यू में एससी/ओबीसी के कैंडिडेट को इसलिए अयोग्य करार दे दिया गया कि वे अपने आरक्षित कोटे में यूजीसी नेट की परीक्षा उत्तीर्ण किए हैं.
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होल्कर भवन के सामने धरना दे रहे बीएचयू के छात्र राहुल यादव और एससी-एसटी, ओबीसी संघर्ष समिति के अध्यक्ष का कहना है, ‘बीएचयू का आरक्षण विरोधी रवैया पूरी तरह असंवैधानिक है. यह कदम मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के आदेशों के विरुद्ध है. यूजीसी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए केवल नेट (NET) की पात्रता होना अनिवार्य है. कोई भी अभ्यर्थी इसलिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि वह अपनी कैटेगरी में नेट किया है.’
बता दें कि यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन) यानि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग भारत में सभी विश्वविद्यालयों को मान्यता प्रदान करता है. नेट एक राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा है, जिसका आयोजन यूजीसी 2017 तक सीबीएसई द्वारा करा रहा था. 2018 से यह परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा कराई जा रही है. यह परीक्षा विश्वविद्यालय में लेक्चरर बनने और जूनियर रिसर्च फेलोशिप प्राप्त करने के लिए आयोजित की जाती है.
असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए किसी भी अभ्यर्थी को नेट परीक्षा पास होना अनिवार्य होता है. इसके लिए कोई कैटेगरी मायने नहीं रखती है.
विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से जारी लिस्ट में अभ्यर्थी को इसलिए अयोग्य बताया गया क्योंकि वह ओबीसी वर्ग या एससी वर्ग में नेट परीक्षा पास किया है जिसको लेकर छात्रों ने होल्कर भवन का घेराव किया और इस इंटरव्यू को रुकवाने की मांग की है.
मालूम हो कि मंगलवार को होल्कर भवन में परफार्मिंग आर्ट्स विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद की नियुक्ति के लिए साक्षात्कार होना तय था. विश्वविद्यालय प्रशासन के रवैये के विरोध में साक्षात्कार के खिलाफ होल्कर भवन के सामने विभिन्न छात्र संगठनों के विद्यार्थी और उम्मीदवार सुबह से धरने पर बैठ गए. इसके बाद छात्रों ने वीसी आवास के बाहर जमकर धरना-प्रदर्शन और नारेबाजी की.
मंगलवार दोपहर तक छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रो. महेश प्रसाद अहिरवार के नेतृत्व में पूरे डाक्युमेंट्स के साथ बीएचयू के कुलपति राकेश भटनागर से मिला. इस पूरे मामले में स्पष्टीकरण के लिए कुलपति ने यूजीसी से संपर्क किया और कहा कि यूजीसी के जवाब के अनुसार ही वे लोग कार्यवाही करेंगे.
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हालांकि शाम तक कुलसचिव छात्रों के बीच पहुंचे, उन्होंने कहा, ‘अभी हमें यूजीसी की तरफ से स्पष्ट जवाब नहीं मिल पाया है. हम यूजीसी को दोबारा पत्र लिखेंगे और जब तक हमें स्पष्ट जवाब नहीं मिल जाता तब तक साक्षात्कर की प्रक्रिया स्थगित की जाती है. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि यदि यूजीसी का स्पष्टीकरण आंदोलन कर रहे छात्रों के अनुसार ही रहता है तो अयोग्य बताए गए एससी-एसटी, ओबीसी के छात्रों का अलग से साक्षात्कार किया जाएगा.
छात्रों द्वारा यह सवाल किए जाने पर कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अब कैटेगरी के आधार पर साक्षात्कार नहीं कराया जा सकता? इसका जवाब में उन्होंने कहा कि पूरी चयन प्रक्रिया को समाप्त करके उसे दोबारा शुरू किया जाएगा. छात्रों ने इसके बाद धरना खत्म कर दिया लेकिन प्रशासन को चेतावनी दी कि भले ही अभी आंदोलन स्थगित किया गया है, यदि इस प्रकार की जातिवादी गतिविधि विश्वविद्यालय दोबारा करता है तो पूरी शक्ति के साथ फिर से आंदोलन शुरू किया जाएगा.
(रिज़वाना तबस्सुम स्वतंत्र पत्रकार हैं)
To yadi in niyam ka ullnghan karate hai to fir aap mahamana ji ke pariwar balo ko naukri dijiye BHU me … aur yadi aaisa hi he to fir muslim university me bhi hinduo ko bade post dijiye….. bat to ye he ki jb musalmaano ko apna ullu sidha karana hota he TB ve log hmare ko dya dhrm sikhane LG jate he