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Saturday, 9 November, 2024
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ईडी की जांच से बचने के लिए भाजपा नीत गठबंधन में शामिल होने के दावों से भुजबल का इनकार

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नासिक (महाराष्ट्र), आठ नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने शुक्रवार को इस बात से इनकार किया कि वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच से बचने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हुए। भुजबल ने यह भी कहा कि उन्होंने इस तरह की बात कभी नहीं की।

भुजबल ने कहा कि उनके खिलाफ मामला तभी बंद कर दिया गया था जब वह पिछली सरकार का हिस्सा थे। भुजबल ने कहा कि वह और उनके सहयोगी अपने निर्वाचन क्षेत्रों में त्वरित विकास सुनिश्चित करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पाले में गए।

भुजबल पत्रकार राजदीप सरदेसाई की एक पुस्तक में किए गए दावे का जवाब दे रहे थे। पुस्तक में दावा किया गया है कि राकांपा नेता ने स्वीकार किया कि ईडी का मामला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के संस्थापक शरद पवार से अलग होने और जुलाई 2023 में पार्टी को विभाजित करने वाले अजित पवार का समर्थन करने संबंधी उनके फैसले का एक कारण था।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने पुस्तक नहीं पढ़ी है। मुझे लगता है कि यह ध्यान भटकाने के लिए जानबूझकर किया गया प्रयास है। हम विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के बीच में हैं। चुनाव के बाद मैं अपने वकीलों से परामर्श करूंगा और अगर मेरे संबंध में कोई गलत बात की गई है तो मैं कार्रवाई करूंगा।’’

भुजबल ने कहा, ‘‘जब मैं उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार में था, तब मेरा मामला बंद कर दिया गया था। मीडिया में मेरे बारे में जो भी बताया जा रहा है, मैं उससे इनकार करता हूं।’’

भुजबल को दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के निर्माण से संबंधित कथित धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उन्हें 2018 में जमानत मिल गई थी।

इससे पहले दिन में शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने एक समाचार पत्र द्वारा प्रकाशित पुस्तक के अंशों का हवाला दिया और कहा कि ये अंश उनके आरोपों का समर्थन करते हैं।

जुलाई, 2023 में अजित पवार और उनके समर्थक विधायक राकांपा से अलग होकर भाजपा और एकनाथ शिंदे के महायुति गठबंधन में शामिल हो गए थे।

अजित पवार ने दावा किया कि पुस्तक के प्रकाशित अंश एक ‘‘नया विमर्श’’ पैदा करने का प्रयास हैं।

राकांपा (एसपी) के प्रवक्ता महेश तापसे ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं को जांच से बचने के लिए सत्तारूढ़ दल में शामिल होने की बात कबूल करते देखना भयावह है।

शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने आरोप लगाया कि उन्हें भी चेतावनी दी गई थी कि अगर वह शिवसेना छोड़कर भाजपा में शामिल नहीं हुए, तो उन्हें केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी के सहयोगी अनिल परब, राकांपा (एसपी) नेता अनिल देशमुख और विपक्षी दलों के अन्य प्रमुख नेताओं को भी इस दबाव का सामना करना पड़ा।

भाषा

सिम्मी वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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