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Saturday, 21 December, 2024
होमदेशबीएचयू में छेड़खानी के आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ छात्राएं रातभर धरने पर, बड़े आंदोलन की धमकी

बीएचयू में छेड़खानी के आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ छात्राएं रातभर धरने पर, बड़े आंदोलन की धमकी

आरोपी प्रोफेसर की फिर से बहाली के खिलाफ छात्राएं शनिवार शाम 6 बजे से बीएचयू कैंपस के गेट पर धरने पर बैठी हैं और प्रोफेसर की बर्खास्तगी की मांग कर रही हैं.

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लखनऊ/वाराणसी : बीएचयू में जूलाॅजी की छात्राओं पर छेड़खानी और अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में निलंबित प्रोफेसर एसके चौबे को बर्खास्त करने के लिए छात्राएं धरने पर बैठ गई हैं. दरअसल हाल ही में प्रोफेसर को फिर से बहाल किया गया है जिसके खिलाफ छात्राएं शनिवार शाम 6 बजे से बीएचयू कैंपस के सिंह द्वार पर धरने पर बैठी हुई हैं. छात्राओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर प्रोफेसर को बचाने का आरोप लगाया है. चीफ प्रॉक्टर प्रो. ओपी राय ने छात्राओं को मनाने का प्रयास किया, लेकिन वह कुलपति को बुलाने पर अड़ी हुई हैं.

धरने पर बैठी छात्राओं का कहना है कि 2018 में पुणे टूर के दौरान प्रोफेसर चौबे ने छात्राओं की शारीरिक बनावट को लेकर अश्लील कमेंट करने के साथ अभद्रता भी की थी. इस मामले में दोषी पाए जाने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन उन्हें बचाने का प्रयास कर रहा है, यह समझ से परे है. ऐसा तब हो रहा है जब धरना-प्रदर्शन करने के साथ ही लिखित शिकायत की गई थी. 2018 में भी बड़ा धरना प्रदर्शन हुआ था. अब फिर से छात्राएं धरने पर हैं.

यौन शोषण के आरोपी एस. के. चौबे की बर्खस्तगी की मांग को लेकर लंका गेट पर धरना जारी है।#SackSKChaube #MisogynistBHUVC

BHU BUZZ यांनी वर पोस्ट केले शनिवार, १४ सप्टेंबर, २०१९

क्या है पूरा मामला

दरअसल अक्टूबर 2018 में जूूलॉजी विभाग की छात्राओं को शैक्षणिक टूर पर पुणे ले जाया गया था. टूर से आने के बाद छात्राओं ने प्रोफेसर चौबे पर अश्लील कमेंट का आरोप लगाते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन से शिकायत की थी. इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था और जांच चलने तक बाहर जाने पर रोक लगाई गई थी. जांच समिति गठित कर 25 अक्टूबर 2018 से 30 नवंबर 2018 तक मामले की जांच कराई गई.

कमेटी ने छात्राओं के साथ ही विभागीय शिक्षकाें के बयान दर्ज कर रिपोर्ट कुलपति को सौंपी थी. रिपोर्ट में जांच समिति ने छात्राओं के आरोप को सही बताया था. जून 2019 को हुई कार्य परिषद की बैठक में कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर प्रोफेसर को चेतावनी दी गई कि भविष्य में वह इस तरह के किसी भी टूर में नहीं जाएंगे. साथ ही भविष्य में उन्हें किसी तरह का कोई पद नहीं दिया जाएगा लेकिन वह दोबारा से पढ़ा सकते हैं. इसके बाद जब प्रोफेसर चौबे डिपार्टमेंट में पढ़ाने लौटे तो छात्राओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया.

छात्राओं का क्या है कहना

एमएससी की छात्रा मिनेसी मिश्रा ने द प्रिंट को बताया कि प्रोफेसर चौबे की वापसी से छात्राएं आक्रोशित हैं. उन्हें इंटरनल कंप्लेन कमेटी की रिपोर्ट में दोषी बताया गया था लेकिन एग्जिक्यूटिव काउंसिल ने उन्हें फिर से बहाल कर दिया. ऐसे में छात्राओं में भय की स्थिति. वहीं धरना दे रहीं एक अन्य छात्रा तान्या सिंह ने बताया कि दूसरे डिपार्टमेंट की छात्राएं भी इस धरने से जुड़ रही हैं. वे भी यूनिवर्सिटी प्रशासन के इस फैसले से आक्रोशित हैं.

छात्राओं के इस आंदोलन को छात्र भी समर्थन दे रहे हैं. रिसर्च स्काॅलर विकास सिंह ने बताया कि छात्रों का आंदोलन को पूरा समर्थन है. यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार उन सबको मनाने भी पहुंचे थे लेकिन जब तक वाइस चांसलर खुद आकर स्पष्टीकरण नहीं देते हम और किसी की नहीं सुनेंगे.

यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि छात्राआओं की शिकायत के बाद प्रोफेसर को तुरंत निलंबित कर जांच कराई गई थी. जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्यकारिणी परिषद ने भी उन पर मेजर पेनाल्टी लगाई है. उनकी सजा माफ नहीं हुई है. उन्हें सभी प्रकार के अधिकारों से डिबार कर दिया गया है. छात्राओं को कार्रवाई के बारे में समझना चाहिए.

पीआरओ डा. राजेश सिंह के मुताबिक जांच कमेटी के सुझाव के आधार पर 7 जून 2019 को संपन्न कार्यकारिणी परिषद की बैठक में बड़ी सजा दी गई है. प्रो. चौबे को न तो भविष्य में कोई प्रशासनिक दायित्व दिया जाएगा और न ही वे विद्यार्थियों संबंधी गतिविधियों में शामिल होंगे.

दूसरे दिन भी जारी धरना

रविवार को भी छात्राओं का धरना जारी है. उनके समर्थन में महिला महाविद्यालय की छात्राएं भी आगे आईं. सोशल मीडिया पर भी बीएचयू की छात्राओं के इस आंदोलन को काफी समर्थन मिल रहा है. छात्राओं का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं सुनी गईं तो यहां बड़ा आंदोलन होगा.

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