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Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशअपराधभीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार हुए आनंद ने लगाई मदद की गुहार, कहा- मुझे बचाओ

भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार हुए आनंद ने लगाई मदद की गुहार, कहा- मुझे बचाओ

इस अपील में उन्होंने कहा ‘अभी तक मुझे विश्वास था कि अदालत के सामने पुलिस के लगाये आरोप आपराधिक झूठ साबित होंगे लेकिन मेरी आशा अब चूर-चूर हो चुकी है.

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नई दिल्ली: मैनेजमेंट गुरू, दलित चिंतक, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक प्रो. आनंद तेलतुम्‍बडे को पुणे पुलिस ने भीमा कोरेगांव में पिछले साल हुई हिंसा के मामले में नामजद किया गया था. सर्वोच्च न्यायालय ने इनके साथ नामजद किये गए अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि को एक महीने का समय दिया था जिसमें उन्हें ज़मानत लेनी थी. पर सोमवार को सर्वोच्च न्यायलय ने पुणे पुलिस की एफआईआर रद्द करने से इंकार कर दिया था जिसके बाद प्रो. तेलतुम्बडे ने एक सार्वजनिक अपील जारी की.

इस अपील में उन्होंने कहा ‘अभी तक मुझे विश्वास था कि अदालत के सामने पुलिस के लगाये आरोप आपराधिक झूठ साबित होंगे इसलिए मैं आप सब के समक्ष नहीं आया. पर मेरी आशा अब चूर-चूर हो गई है. अब मैं अदालत से बेल के लिए गुजारिश करता फिर रहा हूं- चाहे पुणे का सत्र न्यायालय हो या सर्वोच्च न्यायालय. अब समय आ गया है कि मेरी गिरफ्तारी के खिलाफ विभिन्न तबके के लोग अभियान चलायें ताकि मुझे गिरफ्तारी से बचाया जा सके.’

उनका कहना था कि पुलिस अपने राजनीतिक आकाओं के दिशानिर्देश पर किसी निर्दोष को बरसों तक उसके खिलाफ सबूत होने का दावा कर यूएपीए के तहत बंद रख सकती है.

‘मेरी गिरफ्तारी केवल जेल का कठोर जीवन नहीं इसका मतलब है मुझे मेरे लैपटॉप से दूर रखना, जोकि मेरे जीवन का अभिन्न अंग है, मेरी लाइब्रेरी से दूर रखना, मेरी आधी लिखी किताबों से मुझे दूर करना जिसे मुझे मेरे प्रकाशकों को देना है। जिसे मैने प्रकाशकों को देने का वादा किया था, मेरे आधे-अधूरे शोध पत्र, मेरे छात्र जिन्होंने अपना भविष्य मेरे नाम पर दांव पर लगा दिया, मेरा संस्थान जिसने मुझ पर संसाधन खर्च किए, मुझे हाल में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में शामिल किया और मेरे दोस्त और परिवार- मेरी पत्नी जो बाबासाहेब आंबेडकर की पोती हैं ने इस नियति से समझौता नहीं किया और मेरी बेटियां, जो बिना यह जाने कि मेरे साथ बीते अगस्‍त से क्‍या हो रहा है, पहले से ही परेशान हैं.’

उनकी अपील के बाद देश भर के कई बुद्धिजीवी उनके समर्थन में आए. लेखिका और चिंतक अरुंधति रॉय ने कहा कि, ‘आनंद तेलतुम्‍बडे हमारे सर्वाधिक अहम बुद्धिजीवियों में एक हैं. आंबेडकर के महाड़ सत्‍याग्रह और खैरलांजी नरसंहार पर उनकी किताबें और हाल ही में आई उनकी पुस्‍तक ‘रिपब्लिक ऑफ कास्‍ट’ बहुत महत्‍वपूर्ण काम है. उन्‍हें गिरफ्तार करने का मतलब है एक ताकतवर और मौलिक दलित आवाज़ को दबा देना, जिसका बौद्धिक ट्रैक रिकॉर्ड बेदाग है. रामचंद्र गुहा समेत कई बुद्धिजीवी इस के विरोध में सामने आ गए हैं. उनका तर्क है कि सरकार अर्बन नक्सल नाम दे कर उनके खिलाफ आवाज़ उठाने वाले बुद्धिजीवियों की धड़पकड़ कर रही हैं और उनमें डर पैदा करने की कोशिश कर रही है.

अगस्त के अंत में पूणे पुलिस ने छह एक्टीविस्ट को गिरफ्तार किया था. हर वर्ष नए साल के मौके पर दलित लाखों की संख्या में पुणे के पास भीमा कोरेगांव में एकत्रित होकर 1818 में निम्न जाति के महार सैनिकों की जोकि ब्रिटिश सेना का हिस्सा थे, ब्राहमण पेशवा नेतृत्व वाले मराठा शासकों के खिलाफ जीत का उत्सव मनाते है. इसे दलितों के जाति के आधार पर हो रहे भेदभाव की लंबी लड़ाई में बड़ी सफलता के रूप में देखा जाता रहा है. पिछले साल इसकी 200 वी जयंति पर भड़की हिंसा के बाद कई सामाजिक कार्यकर्त्ताओं को गिरफ्तार किया गया जिनमें सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, आनंद तेलतुम्बड़े, वर्नन गोंज़ाल्विस आदि शामिल थे.

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