नई दिल्ली : रविदास मंदिर को लेकर बुधवार को देश की राजधानी में हुए प्रदर्शन के दौरान भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद को हिरासत में लेने के बाद बृहस्पतिवार की सुबह उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (दक्षिण पूर्व) ज्ञानेश कुमार ने गिरफ्तारी की पुष्टि की. पुलिस ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत उन पर मामला दर्ज किया गया है.
Delhi Police: Bhim Army Chief, Chandrashekhar Azad was arrested, yesterday. An FIR has been registered under IPC sections 147, 149, 186, 353, 332 at Govindpuri police station. Other protestors are also in police custody, further investigation underway. pic.twitter.com/EMDKwylkjI
— ANI (@ANI) August 22, 2019
पुलिस ने चंद्रशेखर की गिरफ्तारी के बाद उन पर गोविंदपुरी पुलिस स्टेशन में विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. अन्य प्रदर्शनकारी भी पुलिस हिरासत में हैं, जांच चल रही है.
पुलिस के मुताबिक उसे ये कदम तब उठाना पड़ा जब सुबह से शांति पूर्ण प्रदर्शन कर रही भीड़ शाम में हिंसक हो गई. बृहस्पतिवार को यानी आज चंद्रशेखर को कोर्ट ले जाया जाना है. बुधवार सुबह दिल्ली के अंबेडकर भवन से निकली दलित समाज की रैली रामलीला मैदान से होती हुई शाम को दिल्ली के तुगलकाबाद की ओर रवाना हुई थी.
तुगलकाबाद वही जगह है जहां संत रविदास के मंदिर को डीडीए ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश से गिरा दिया था. मंदिर गिराए जाने का विरोध कर रहे लोगों और पुलिस के बीच झड़प की भी जानकारी मिली है. पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और हवाई फायरिंग का भी इस्तेमाल किया.
बुधवार सुबह ‘मंदिर वहीं बनाएंगे’ का नारा लगाते हुए जब प्रदर्शनकारी झंडेवालान से निकले तब पुलिस ने बैरिकेड लगाकर इन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन लोगों की संख्या के सामने मजबूर होकर पुलिस को बैरिकेड हटाने पड़े. इसके बाद दलित समाज के लोगों से दिल्ली की कई प्रमुख सकड़ें पट गईं. इस रैली में पीएम नरेंद्र मोदी और दिल्ली के सीएम केजरीवाल के ख़िलाफ़ भी जमकर नारेबाज़ी हुई.
क्या है पूरा मामला
विवाद के केंद्र में नई दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित 15वीं सदी के महान संत रविदास का एक मंदिर है जिसे ढहा दिया गया. ऐसी मान्यता है कि ये मंदिर जहां स्थिति था वहां संत रविदास तीन दिनों तक ठहरे थे. डीडीए ने 1992 में भी मंदिर गिराने का प्रयास किया था तब समुदाय को लोगों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
कोर्ट के दस्तावेजों के मुताबिक तुगलकाबाद में मौजूद ये परिसर 12,350 स्क्वॉयर यार्ड का है जिसमें 20 कमरे थे और एक हॉल भी था जिस अलग-अलग समय पर डीडीए ढहाता चला गया. डीडीए का दावा रहा है कि मंदिर अवैध तरीके से कब्ज़ा की गई ज़मीन पर बना था.
मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एम आर शाह ने नौ अगस्त को सबसे ताज़ा सुनवाई की. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के मुखिया और दिल्ली सरकार के सचिव को ये सुनिश्चित कराने का आदेश दिया था कि 13 अगस्त से पहले मंदिर गिरा दिया जाए. 10 अगस्त को मंदिर गिरा दिया गया.
संत रविदास जयंति समिति समारोह के ज़मीन पर दावे को सबसे पहले ट्रायल कोर्ट ने 31 अगस्त 2018 को ख़ारिज किया जिसके बाद मामला हाई कोर्ट में गया. समिति को 20 नवंबर 2018 को हाई कोर्ट से भी इसे निराशा हाथ लगी. इस साल आठ अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के फैसले को पलटने से इंकार करते हुए मंदिर गिराए जाने का आदेश दिया जिस पर एपेक्स कोर्ट अंत तक कायम रहा.
मंदिर गिराए जाने के बाद दलित समाज के लोगों में काफी रोष है. दलित समाज के लिए रविदास की अहमियत पर दिप्रिंट से बात करते हुए सामाज वैज्ञानिक बद्री नारायण ने बताया, ‘उत्तर भारत में दलितों के लिए भगवान का मतलब रविदास है और उन तक राम तक पहुंचने का रास्ता रविदास से होकर जाता है.’ अब इस समाज की मांग की है कि जहां मंदिर गिराया गया है सरकार वहीं मंदिर बनवाए.