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Sunday, 28 April, 2024
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सरकार के डेट-टू-इक्विटी कदम से वोडाफोन आइडिया को राहत, लेकिन मुश्किलें अभी कम नहीं हुईं

कर्ज में डूबी दूरसंचार कंपनी में 33.14 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सरकार शुक्रवार को उसकी सबसे बड़ी इक्विटी धारक बन गई थी. सोमवार को इसके शेयरों में जोरदार तेजी देखने को मिली. कारोबार के अंत में शेयर 19.88 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 8.26 रुपये पर बंद हुआ.

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नई दिल्ली: दूरसंचार ऑपरेटर वोडाफोन आइडिया के बकाया ब्याज को इक्विटी में बदलने के लिए सरकार की मंजूरी से कर्ज में डूबी कंपनी के लिए नकदी प्रवाह और पैसा जुटाने के अपने प्रयासों को एक नया जीवन मिलने की उम्मीद है. लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी अभी भी कमजोर है और अपने ग्राहकों और बाजार हिस्सेदारी को खो सकती है.

वोडाफोन आइडिया ने शुक्रवार को स्टॉक एक्सचेंज को बताया था कि सरकार ने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) और स्पेक्ट्रम भुगतान से संबंधित 16,133 करोड़ रुपये से अधिक की ब्याज राशि को इक्विटी में बदलने की मंजूरी दे दी है. इस कदम के बाद सरकार टेलीकॉम कंपनी में 33.14 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ कंपनी की सबसे बड़ी हिस्सेदारों में से एक हो गई है.

सरकार ने शुक्रवार को बाजार के बंद होने के बाद इस आदेश को पारित किया था. जब सोमवार को बाजार खुला तो वोडाफोन आइडिया के शेयर तेजी के साथ खुले. कारोबार के अंत में शेयर 19.88 फीसदी के साथ 8.26 रुपये पर बंद हुआ.

सरकार ने यह कदम 2021 में टेलिकॉम कंपनियों की लिक्विडिटी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अपने घोषित सुधार पैकेज के तहत उठाया है. इस सुधार पैकेज में अन्य उपायों के अलावा, कैबिनेट ने बकाया राशि के वार्षिक भुगतान में टेलिकॉम कंपनियों के लिए चार साल तक की मोहलत के लिए मंजूरी दे दी थी, जोकि एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट के सितंबर 2020 के फैसले के साथ-साथ पहले खरीदे गए स्पेक्ट्रम के बकाया भुगतान से उत्पन्न हुई थी.

अपने इस कदम के अलावा सरकार ने टेलिकॉम कंपनी को इस ब्याज राशि के शुद्ध वर्तमान मूल्य (एनपीवी) को इक्विटी में बदलकर स्पेक्ट्रम नीलामी की किस्तों को टालने से संबंधित ब्याज और एजीआर बकाया पर चार साल के लिए ब्याज का भुगतान करने के विकल्प का इस्तेमाल करने का एक वन-टाइम अवसर भी दिया है.

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एनपीवी नकदी प्रवाह के वर्तमान मूल्य और समय की अवधि में नकदी बहिर्वाह के वर्तमान मूल्य के बीच का अंतर है.

वोडाफोन आइडिया के बोर्ड ने जनवरी 2022 में स्पेक्ट्रम नीलामी की किस्तों और एजीआर बकाया से संबंधित ब्याज की पूरी राशि को इक्विटी में बदलने की मंजूरी दे दी थी. इस ब्याज का एनपीवी लगभग 16,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया था. एक साल से अधिक की देरी के बाद अब यह प्रक्रिया पूरी हो पाई है.

दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले महीने सरकार की तरफ से हुई इस देरी पर कहा था कि वोडाफोन आइडिया की कई जरूरते हैं, जिसमें पूंजी प्रवाह भी शामिल है. इसने AGR से संबंधित बकाया राशि को इक्विटी में बदलने को एक जटिल मसला बना दिया था.

मंत्री ने शुक्रवार को कहा कि कंपनी चलाने और जरूरी निवेश लाने के लिए प्रमोटर आदित्य बिड़ला समूह से दृढ़ प्रतिबद्धता प्राप्त करने के बाद सरकार ने अब वोडाफोन आइडिया के बकाया ब्याज को इक्विटी में बदलने का फैसला किया है.


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बेहतर नकदी प्रवाह, एकाधिकार का जोखिम कम

ब्रोकरेज फर्म बोफा सिक्योरिटीज इंडिया के एक शोध नोट के अनुसार, सरकार का कदम आने वाले समय में वोडाफोन आइडिया के लिए सकारात्मक होगा और संभव है कि यह अपने प्रमोटरों को पूंजी बढ़ाने की अनुमति दे दे. लेकिन कुछ बुनियादी मसले बने हुए हैं, जिनमें फाइबर, 5जी और कोर टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर में कम निवेश भी शामिल है.

नोट में कहा गया है, ‘VIL के प्रमोटरों ने इस बात का जिक्र नहीं किया है कि वे कितनी पूंजी लगाएंगे. मीडिया में छपी खबरों की मानें तो वे 50 अरब रुपये का निवेश कर सकते हैं.’

इसमें आगे कहा गया है, ‘सरकार स्पष्ट करती है कि वह VIL का कर्ज वहन नहीं करेगी और वे कंपनी के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में शामिल नहीं होंगे. इस कदम के बाद सरकार VIL में 33.14 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ कंपनी की सबसे बड़ी शेयरधारक बन जाएगी.’

नोट में कहा गया, ‘सरकार का यह कदम और प्रमोटरों द्वारा संभावित पूंजी निवेश मिलकर वोडाफोन आइडिया को मोबाइल टावर कंपनियों और विक्रेताओं के लंबित बकाया को चुकाने और 5G में निवेश करने में मदद करेगा.’

नोट में कहा गया है, ‘हालांकि मौजूदा सरकार का कदम VIL के NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में जाने के जोखिम को काफी हद तक कम कर देता है, लेकिन हमें लगता है कि VIL के बुनियादी मसले या कहें कि परेशानियां अभी भी बनी हुई हैं.’

बोफा सिक्योरिटीज इंडिया ने कहा कि विक्रेताओं और मोबाइल टावर कंपनियों के साथ हुई बातचीत से संकेत मिलता है कि VIL ने फाइबर, 5G और कोर इंफ्रास्ट्रक्चर में काफी कम निवेश किया है.

उन्होंने कहा कि किसी भी बड़े स्तर के पूंजी निवेश की सीमित संभावनाओं के साथ वोडाफोन आइडिया की भारती एयरटेल और रिलायंस जियो से बाजार में हिस्सेदारी खोने की उम्मीद बनी हुई है, खासकर जब ये कंपनियां 5जी नेटवर्क में सुधार करना शुरू कर रही हैं. उन्होंने कहा ‘इस अंतर को कम करने के लिए कम से कम 6-8 अरब डॉलर का निवेश करना होगा.’

Vodafone Idea ने अभी तक अपने 5G नेटवर्क की शुरूआत के लिए कदम नहीं बढ़ाए है. सितंबर 2022 को तिमाही के आखिर में अपने परिणामों की घोषणा के बाद एक निवेशक कॉल में कंपनी के सीएफओ अक्षय मूंदड़ा ने कहा था कि वोडाफोन आइडिया अपनी योजनाओं के साथ तैयार है और 5जी रोलआउट के लिए विक्रेताओं के साथ लगी हुई है.

मूंदड़ा ने कहा था, ‘हमारा मानना है कि एक बार फंडिंग हो जाने के बाद हम काफी तेजी से रोल आउट कर पाएंगे.’ उन्होंने स्वीकार किया था कि कंपनी प्रतियोगिता में पीछे रह सकती है, लेकिन एक आशावादी नजरिए के साथ वह आगे बढ़ रहे हैं.

उन्होंने कहा था, ‘मैं जानता हूं कि प्रतिस्पर्धा पहले ही शुरू हो चुकी है, इसलिए हम उनके पीछे होंगे….. अगर हम कुछ महीनों में फंडिंग करने में सक्षम होते हैं और फिर उस आधार पर रोल आउट करते हैं तो हमें नहीं लगता कि हमारे लिए यह एक बड़ा होगा नुकसान. क्योंकि जिस तरह से 5 जी हैंडसेट की दुनिया आगे बढ़ रही है, उसे देखते हुए लग रहा है कि इसमें कुछ समय लग जाएगा. और यह समय हमारे लिए फायदेमंद रहेगा.’

एक शोध नोट में जेपी मॉर्गन ने कहा कि उनका मानना है कि इस घटना (सरकारी कदम) से वोडाफोन आइडिया को अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने में मदद मिलेगी और शेयर घाटे में कमी आएगी. सरकार का यह कदम बाजार में एकाधिकार के जोखिम को तेजी से कम करेगा.

इक्विटी कन्वर्जन में सरकार के फैसले में देरी और वोडाफोन आइडिया द्वारा पैसे की कमी के बीच ये चिंताएं विशेष रूप से सामने आ रही थीं कि अब बाजार में सिर्फ दो निजी खिलाड़ी – भारती एयरटेल और रिलायंस जियो ही रह जाएंगे.

जेपी मॉर्गन के नोट में कहा गया, ‘पिछले 12 महीनों से वोडाफोन आइडिया एक ऐसेट-लाइबेलिटी के अंतर के साथ संघर्ष कर रहा है, यहां तक कि उसने विक्रेता भुगतान करने और कैपेक्स में निवेश करने की क्षमता को भी कम किया है. ऐसे में यह कदम वोडाफोन आइडिया को एक जीवन रेखा प्रदान कर सकता है’ नोट में आगे कहा गया है, ‘यह कंपनी अब पूंजी जुटाने में सक्षम हो जाएगी, जो 4 जी व 5 जी कैपेक्स में निवेश करने के साथ-साथ ऋण और विक्रेता भुगतान के लिए महत्वपूर्ण हैं.’

यह भी कहा गया है कि कंपनी पर सितंबर 2022 तक 151 अरब रुपये का बैंक कर्ज था और उसे सितंबर 2023 तक 96 अरब रुपये का भुगतान करना है.

जेपी मॉर्गन नोट में कहा गया है, ‘हम मानते हैं कि इसे नियमित नकदी प्रवाह के जरिए कंपनी भुगतान करने में सक्षम हो जाएगी, क्योंकि यह सालाना रन रेट के आधार पर 85 अरब रुपये नकद Ebitda जनरेट करेगा.’

निवेशक कॉल के दौरान मूंदड़ा ने यह भी कहा था कि कंपनी की फंडिंग चर्चा एक उन्नत चरण में है और सरकार के इन प्रयासों के बाद यह पूरी हो जाने में सक्षम हो जाएगी.

सिटी रिसर्च के एक नोट में भी कहा गया है कि हालिया घटना वोडाफोन आइडिया के लिए एक अच्छी शुरुआत हो सकती है खासकर जहां तक इसकी अनिश्चित बैलेंस शीट का संबंध है.

नोट में कहा गया,‘कंपनी को अब कम से कम आंशिक रूप से बकाया विक्रेता बकाया राशि और 4 जी निवेश को बढ़ाने और 5 जी रोलआउट योजनाओं की घोषणा करते हुए देखा जा सकता है. इनमें यह अपने दो साथियों से काफी पीछे काफी रह गया है’.

सिटी रिसर्च ने यह भी पाया कि टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर इंडस टावर्स एक प्रमुख लाभार्थी होना चाहिए, जिसने पिछले महीने वोडाफोन आइडिया से प्राप्तियों के खिलाफ 2,298.1 करोड़ रुपये का संदिग्ध डेब्ट प्रोविजन किया था.

सिटी रिसर्च ने कहा, ‘2Q में भुगतान प्रस्ताव के अनुसार, वोडाफोन आइडिया दिसंबर 2022 तक अपने मासिक बकाया का आंशिक भुगतान कर रहा था, लेकिन जनवरी 2023 से पूर्ण भुगतान को पूरा करने में चुनौतियों का सामना करने लगा था.’

‘अगर ये सारी सकारात्मक घटनाएं अब वोडाफोन आइडिया को अपनी पूंजी जुटाने को सफलतापूर्वक पूरा करने की ओर ले जाती है और बदले में वह अपनी देनदारियों को चुकाना शुरू कर देता है, तो Indus को अपने प्राप्तियों की प्रवृत्ति में संभावित उलटफेर के साथ एक प्रमुख लाभार्थी होना चाहिए, जिसने इसके FCF (मुक्त नकदी प्रवाह) उत्पादन और भुगतान को प्रभावित किया है.’

खासतौर पर इंडस टावर्स के शेयर सोमवार को बीएसई पर अपने पिछले बंद की तुलना में 12.98 प्रतिशत अधिक यानी 161.95 रुपये पर बंद हुए थे.

बाजार हिस्सेदारी, ग्राहकों के नुकसान से जूझती कंपनी

कुछ विश्लेषक अभी भी वोडाफोन आइडिया के लिए ज्यादा उम्मीद नहीं रख रहे हैं. उदाहरण के लिए, गोल्डमैन सैक्स ने एक शोध रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि अभी भी बढ़े हुए कर्ज प्रोफ़ाइल, निरंतर बाजार हिस्सेदारी में कमी (वोडाफोन आइडिया ने पिछले 12 महीनों में 22 मिलियन सक्रिय ग्राहक खो दिए हैं, या अपने आधार का 10 प्रतिशत) और साथियों के बीच सार्थक नेटवर्क अंतर को देखते हुए हमें वोडाफोन आइडिया द्वारा बाहरी पूंजी की एक सार्थक राशि जुटाने की कम संभावना दिखाई देती है.

गोल्डमैन सैक्स के नोट में कहा गया है, ‘इसके अलावा, वोडाफोन आइडिया के पास 96 अरब रुपये का कर्ज बकाया है (सितंबर 2023 को समाप्त होने वाले 12 महीनों में), जो निकट अवधि में कैपेक्स लगाने की कंपनी की क्षमता पर और दबाव डाल सकता है.’

आगे कहा गया,‘ हमारा मानना है कि कंपनी की प्रतिस्पर्धी स्थिति में सुधार के लिए वोडाफोन आइडिया को पर्याप्त मात्रा में पूंजी जुटाने और/या टैरिफ वृद्धि की जरूरत होगी.’

अनुसंधान एजेंसी सीएलएसए (क्रेडिट लियोनिस सिक्योरिटीज एशिया) ने भी इसी तरह के विचार रखते करते हुए कहा कि वोडाफोन आइडिया अभी भी ग्राहक और बाजार हिस्सेदारी के नुकसान के प्रति संवेदनशील है, क्योंकि रिलायंस जियो और भारती एयरटेल 5जी शुरू कर रहे हैं, जबकि वोडाफोन आइडिया 4जी कैपेक्स खर्च में भी पीछे है.

(अनुवादः संघप्रिया / संपादनः आशा शाह )

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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