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गुरूवार, 5 जून, 2025
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प्रधानमंत्री मोदी को कलाकृति भेंट किए जाने के बाद सुर्खियों में छाई भरेवा कला

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बैतूल (मध्यप्रदेश), दो जून (भाषा) हाल ही में यहां एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धातु शिल्प का उपयोग करके बनाई गई जटिल नक्काशीदार कलाकृति भेंट किए जाने के बाद बैतूल की पारंपरिक भरेवा कला चर्चा का विषय बन गई है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रधानमंत्री मोदी को ‘पुष्पक विमान’ कलाकृति भेंट की थी। यादव कुछ दिन पहले बैतूल जिले में सारणी के बगडोना में आयोजित एक स्वयं सहायता समूह के कार्यक्रम में भरेवा कला की प्रदर्शनी में शामिल हुए थे।

एक सरकारी अधिकारी ने सोमवार को बताया कि जिले के टिगरिया गांव के प्रसिद्ध कलाकार बलदेव वाघमारे द्वारा बनाई गई ‘पुष्पक विमान’ कलाकृति यादव को विशेष रूप से पसंद आई। इसके बाद यादव ने उन्हें 31 मई को भोपाल में होने वाले कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था जहां इसे प्रधानमंत्री मोदी को भेंट किया गया।

वाघमारे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह हमारे लिए गर्व की बात है कि आदिवासी कलाकारों द्वारा बनाई गई ‘पुष्पक विमान’ कलाकृति का चयन देश के प्रधानमंत्री को भेंट करने के लिए किया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस गौरवपूर्ण क्षण ने बैतूल की आदिवासी विरासत को राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने में मदद की है।’’ टिगरिया गांव की करीब 200 महिलाएं इस कला को जीवित रख रही हैं।

उन्होंने कहा कि ‘पुष्पक विमान’ कलाकृति बनाने वाले समूह में तारा वाघमारे, ममता सेंडके, सुधा उइके, नीलिमा जोंजारे समेत कई कलाकार शामिल हैं।

यादव ने कहा कि ढोकरा शिल्प के नाम से भी जानी जाने वाली भरेवा कला टिगरिया गांव में पीढ़ियों से जीवित है। यह पारंपरिक ‘लॉस्ट वैक्स कास्टिंग तकनीक’ पर आधारित है।

उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में मधुमक्खियों के छत्ते से प्राप्त मोम का उपयोग करके एक मूर्ति को आकार दिया जाता है और उस पर मिट्टी की एक परत लगाई जाती है, जिसके बाद उसे आग पर गर्म किया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद पिघली हुई पीतल धातु को एक सांचे में डाला जाता है, जिससे एक अनूठी कलाकृति बनती है।

वाघमारे ने बताया कि इस कला का उपयोग लोकगीतों और विभिन्न धार्मिक, पौराणिक और प्रकृति से जुड़े विषयों को मूर्त रूप देने के लिए किया जाता रहा है।

टिगरिया को प्रसिद्ध रूप से ‘शिल्प गांव’ के रूप में जाना जाता है, जहां वाघमारे और उनका परिवार इस कला को जीवित रखने का प्रयास कर रहा है।

200 से अधिक कारीगरों के साथ मिलकर वे इस परंपरा को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। गांव के करीब 50 परिवार सीधे तौर पर इस काम से जुड़े हुए हैं।

वाघमारे को कालिदास अकादमी पुरस्कार, विश्वकर्मा पुरस्कार समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं और उनकी कलाकृतियां अमेरिका और फ्रांस समेत कई देशों में प्रदर्शित हो चुकी हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग और बैतूल प्रशासन इस कला के संरक्षण और संवर्धन में मदद कर रहा है।

भाषा सं दिमो नरेश संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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