नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी भर में भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड), भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) और केंद्रीय भंडारों की खुदरा दुकानों और मोबाइल वैन पर उपलब्ध, “भारत आटा” उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय हो रहा है और लोग अब “भारत चाय” और “भारत तेल” जैसे अन्य उत्पादों की मांग कर रहे हैं.
इस साल दिवाली से पहले, केंद्र सरकार ने मुद्रास्फीति को और कम करने के लिए भारत आटा योजना शुरू की, जिससे सभी के लिए 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर गेहूं का आटा आसानी से उपलब्ध होने लगा, जो मौजूदा बाजार दर लगभग ब्रांड और स्थान के आधार पर 36-70 प्रति किलोग्राम से काफी कम है.
इस योजना के हिस्से के रूप में सरकार दिल्ली-एनसीआर में लगभग 150 स्थानों पर NAFED, NCCF और केंद्रीय भंडारों के माध्यम से 60 रुपये प्रति किलोग्राम पर भारत दाल (चना दाल) के अलावा 25 रुपये प्रति किलोग्राम पर प्याज भी उपलब्ध करा रही है.
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के सेवानिवृत्त अधिकारी सुखबीर सिंह (62) बारह लोगों के परिवार के लिए भारत आटा के तीन बैग खरीदने के लिए गुरुवार सुबह कालकाजी में केंद्रीय भंडार पहुंचे. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “बाज़ार में हमें आमतौर पर आटा लगभग 45 रुपये प्रति किलोग्राम मिलता है. हम इतना तो नहीं खरीद सकते और भारत आटे के बारे में अच्छी बात यह है कि इसका स्वाद और गुणवत्ता बहुत बढ़िया है.”
उन्होंने कहा कि सरकार को इस योजना का विस्तार करते हुए इसमें चाय, तेल (वनस्पति तेल) और अधिक दालों को शामिल करना चाहिए. “इस योजना ने सच में हमारी मदद की है. अगर वो (सरकार) इस तरह की और चीज़ों पर सब्सिडी देते हैं, तो इससे चीज़ें आसान हो जाएंगी.”
यह जानने के लिए कि क्या सरकार के पास अधिक खाद्य पदार्थों को शामिल करने के लिए विस्तार की कोई योजना है, दिप्रिंट ने खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा से टिप्पणी के लिए ईमेल के माध्यम से संपर्क किया, लेकिन इस खबर के छापे जाने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी. जवाब आने के बाद इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले महीने कहा था कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के बफर स्टॉक से लगभग 2.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं NAFED, NCCF और केंद्रीय भंडारों को 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा गया था. बाद में इसे गेहूं के आटे में संसाधित किया गया.
उन्होंने कहा, “भारत सरकार ने किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए हैं. जब भी हमने देश के लोगों को बढ़ती कीमतों के कारण संघर्ष करते देखा है, हमने खाद्य वस्तुएं खरीदी हैं और उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें रियायती कीमतों पर बेचा है.”
अधिक खाद्य पदार्थों को शामिल करने के लिए योजना का विस्तार करने की किसी योजना के बारे में जानने के लिए दिप्रिंट ने ईमेल और फोन के माध्यम से NAFED और NCCF से भी संपर्क किया, लेकिन खबर के छपने तक प्रतिक्रिया नहीं मिली थी. जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
‘गुज़रने वाला हर शख्स दाल और आटा खरीदने रुकता है’
कालकाजी में केंद्रीय भंडार के सहायक अजय कुमार ने दिप्रिंट को बताया, “योजना पिछले महीने शुरू हुई और बिक्री बढ़िया रही है. गुणवत्ता और कीमतें दोनों बहुत अच्छी हैं.”
कुमार ने कहा कि आउटलेट हर हफ्ते आटे के 10-किलो के लगभग 400 बैग्स का ऑर्डर देता है और वीकेंड तक सभी बिक जाते हैं. उन्होंने कहा, “10 किलो आटे की 275 रुपये है. कुछ लोग एक साथ दो या तीन बैग भी ले लेते हैं”
“हमने पिछले महीने से हर दिन लगभग 100 बैग आसानी से बेचे हैं.”
भारत आटा देश भर में लगभग 800 मोबाइल वैन और 2,000 आउटलेट्स पर बेचा जा रहा है, जिसमें दिल्ली के 113 केंद्रीय भंडार भी शामिल हैं.
अजय कुमार ने कहा, “हमें हर जगह से ग्राहक मिलते हैं. जो भी वहां से गुज़रता है, दाल और अब आटा खरीदने के लिए रुकता है. लोग जानते हैं कि इस आटे की गुणवत्ता अच्छी है.”
इससे पहले फरवरी में सरकार ने मूल्य स्थिरीकरण निधि (पीएसएफ) योजना के हिस्से के रूप में कुछ दुकानों में इन सहकारी समितियों के माध्यम से 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर 18,000 टन भारत आटे की पायलट बिक्री की थी.
शुरुआत में उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा था कि 2.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं के कुल आवंटन में से लगभग एक लाख टन NAFED और NCCF को बेचा गया था, जबकि शेष 50,000 टन केंद्रीय भंडारों यानी केंद्र सरकार द्वारा संचालित उचित मूल्य राशन दुकानों को बेचा गया था.
खाद्य नीति विश्लेषक देविंदर शर्मा ने दिप्रिंट को बताया, “मुझे लगता है कि उन्होंने यह विचार पंजाब की आटा-दाल योजना से उठाया है. यह अच्छा है अगर यह लोगों की मदद कर रहा है. आटा और दाल बुनियादी ज़रूरतें हैं और अगर आप गेहूं खरीदने और उससे आटा बनाने के बजाय इसे सस्ते में प्राप्त कर रहे हैं, तो यह अच्छा है.”
हालांकि, उन्होंने कहा कि किसी को यह विश्वास नहीं करना चाहिए कि ऐसी योजनाएं वास्तव में खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने में मदद करेंगी.
भारत आटा से पहले इस साल जुलाई में एक और सब्सिडीयुक्त उत्पाद, भारत चना दाल (एक किलो के पैक के लिए 60 रुपये प्रति किलो और 30 किलो के पैक के लिए 55 रुपये प्रति किलो) लॉन्च किया गया था.
बहादुरशाह ज़फर मार्ग पर केंद्रीय भंडार की सहायक नेहा सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि आउटलेट रोजाना कम से कम भारत आटा के 100 बैग बेच रहा है.
उन्होंने कहा, “हमें अब तक गुणवत्ता के बारे में एक भी शिकायत नहीं मिली है. आटे में कुछ भी नहीं मिलाया जाता है और यह तीन महीने तक ताज़ा रहता है.” उन्होंने कहा कि यह उन लोगों के लिए किफायती है जो गेहूं के आटे के लिए बाज़ार मूल्य का भुगतान करने को तैयार नहीं हैं.
बहादुर शाह ज़फर मार्ग की निवासी मुमताज (55) ने कहा कि जब किसी ने उन्हें बताया कि 10 किलोग्राम आटा 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा जा रहा है तो उन्हें यकीन नहीं हुआ. आटे की गुणवत्ता की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, “फिर मैंने इसे आज़माने का फैसला किया और तब से मैंने कई बैग खरीदे हैं.”
उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि सरकार चाय और वनस्पति तेल पर भी सब्सिडी देगी.”
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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