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Friday, 22 November, 2024
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UP की ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का सपना पूरा करने के लिए योगी 2.0 को करने होंगे ‘भागीरथ प्रयास’

सरकार के अनुमानों के मुताबिक 2021-22 के लिए जीएसडीपी 254 बिलियन डॉलर रहने के मद्देनजर यह लक्ष्य हासिल करने के लिए यूपी को अगले 5 वर्षों में चार गुना वृद्धि हासिल करनी होगी.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत और उसके बाद नए सिरे से मंत्रिमंडल गठन से पहले ही योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने राज्य को अगले पांच साल में एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की अपनी योजना को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है.

राज्य सरकार ने यह लक्ष्य हासिल करने वाला रोड मैप तैयार करने के लिए एक कंसल्टेंट की नियुक्ति के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं, खासकर यह देखते हुए कि यूपी की अर्थव्यवस्था को करीब पांच गुना बढ़ाने की जरूरत होगी. विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय पौराणिक गाथाओं के मुताबिक जिस तरह से भागीरथ ने गंगा नदी को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने के लिए अथक मेहनत की थी, उसी तरह यह लक्ष्य हासिल करने के लिए भी भागीरथ प्रयास करने होंगे.

यूपी सरकार ने मंगलवार को बोलीकर्ताओं के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) दस्तावेज जारी किया.

यूपी सरकार के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘इच्छुक बोलीकर्ता 14 अप्रैल तक ई-निविदा पोर्टल पर अपनी ई-बिड जमा कर सकते हैं और बिडिंग से पहले वाली बैठक 22 मार्च को रखी गई है.’ टेक्निकल बिड 18 अप्रैल को खुलेगी.

यूपी को ट्रिलियन-डॉलर अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखना चाहिए, यह विचार सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी इन्वेस्टर्स समिट 2018 में रखा था. उस समय प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘क्या एक ट्रिलियन-डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं? क्या यूपी सरकार दूसरे राज्यों से मुकाबला करेगी? जितनी अधिक प्रतिस्पर्धा होगी, उतना ही अधिक निवेश होगा.’

हालांकि, एक कंसल्टेंट नियुक्त करने की प्रक्रिया पहली बार जून 2020 में योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार के समय शुरू की गई थी लेकिन नियुक्ति पूरी नहीं हो पाई, और उसके बाद के समय में आरएफपी जारी करने की प्रक्रिया, इसमें संशोधन, बोलियों में बदलाव, उनमें संशोधन और फिर आखिर में उसे रद्द किया जाना आदि होता रहा. ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि यूपी को ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के लिए 2020-2025 की समयसीमा को भी संशोधित किया जा सकता है.

राज्य सरकार अब अगले पांच साल में यानी 2027 तक अपने इस लक्ष्य को पूरा करने की योजना बना रही है.

सबसे अहम तथ्य ये है कि अर्थव्यवस्था को ट्रिलियन-डॉलर पर पहुंचाने की योजना बहुत महत्वाकांक्षी है और इसके लिए यूपी की मौजूदा विकास दर को तेजी से बढ़ाने की जरूरत होगी.

बोलीकर्ताओं के लिए जारी आरएफपी में कहा गया है, ‘… 2018-19 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) पहले ही पिछले वर्ष की तुलना में 7 फीसदी की समृद्ध विकास दर के साथ 15.80 लाख करोड़ रुपये (230 बिलियन डॉलर) पर पहुंच चुका है. बहरहाल, डॉलर में उतार-चढ़ाव और ग्लोबल ट्रेंड को देखते हुए अगले पांच वर्षों (2022-27) में एक ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य हासिल करने के लिए जीएसडीपी के आकार को लगभग पांच गुना बढ़ाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा. यह चुनौती बढ़ाने वाला है और इसके लिए राज्य स्तर पर निरंतर और ठोस प्रयासों की आवश्यकता होगी.’


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‘स्थिर सरकार, बेहतर संभावनाएं’

यूपी राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 8 प्रतिशत का योगदान देता है— जैसा आरपीएफ में कहा भी गया है और नए लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य सरकार की ओर से कुछ बड़े कदम उठाने की जरूरत है.

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बेहद चुनौतीपूर्ण है, खासकर यह देखते हुए कि 2021-22 के लिए यूपी सरकार का जीएसडीपी का अग्रिम अनुमान 254 बिलियन डॉलर है.

लखनऊ यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. यशवीर त्यागी ने दिप्रिंट को बताया, ‘इससे पहले, पिछले कार्यकाल में भी यूपी सरकार की तरफ से एक आरएफपी जारी किया गया था. वे अब एक नया प्रस्ताव लेकर आए हैं और समयसीमा को संशोधित कर 2022-2027 कर दिया है. मुझे लगता है कि अब यूपी में आर्थिक विकास की बेहतर संभावनाएं हो सकती है, यदि कोविड जैसे बाहरी झटके नहीं लगते हैं तो एक स्थिर सरकार अधिक निवेश आकर्षित कर सकती है.’

उन्होंने कहा, ‘ब्रांड यूपी में भी सुधार हुआ है क्योंकि सरकार ने एक्सप्रेस-वे, मेट्रो और एयरपोर्ट जैसी बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू की हैं, इसलिए राज्य में अधिक विदेशी और घरेलू निवेश आकर्षित होने की संभावना है. हालांकि, यह अब भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जैसा कि मौजूदा जीएसडीपी को देखते हुए आरपीएफ दस्तावेज में कहा भी गया है.’

त्यागी ने स्पष्ट किया कि यह काफी दुरुह कार्य है क्योंकि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रति वर्ष 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की जरूरत होगी— जो आदित्यनाथ सरकार के ‘भागीरथ प्रयास’ से ही संभव है.

त्यागी ने कहा, ‘यूपी सरकार के आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 के लिए जीएसडीपी के लिए अग्रिम अनुमान 19.10 लाख करोड़ रुपये है. यदि आप डॉलर में इसकी गणना करते हैं और एक डॉलर का मूल्य 75 रुपये मान लेते हैं तो भी इसका कुल आकार 254 अरब डॉलर होगा और आपको इसे अगले पांच वर्षों में 1,000 अरब डॉलर यानि चार गुना तक बढ़ाना होगा.

उन्होंने आगे कहा, ‘यही नहीं, रुपये का अवमूल्यन हो रहा है और इसे देखते हुए लक्ष्य को हासिल करने के लिए और ज्यादा उच्च विकास दर की आवश्यकता होगी. अब देखते हैं कि यूपी को ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में बदलकर योगी आदित्यनाथ आधुनिक भगीरथ बनते हैं या नहीं.’

आरएफपी में बताया गया है कि ‘यह विशाल लक्ष्य हासिल करने के लिए निरंतर कुछ सुविचारित और दीर्घकालिक रणनीतियों के साथ आगे बढ़ते हुए सरकार की तरफ से कुछ बड़े कदम उठाने की जरूरत होगी.’

साथ ही आगे जोड़ा गया है, ‘इस दिशा में कदम बढ़ाने के लिए अधिक प्रभावी शासन, निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी और बेहतर जवाबदेही के साथ संगठनात्मक पुनर्गठन और ठोस नीतियों और नियमों की भी आवश्यकता होगी. भारत के शीर्ष तीन राज्यों और दुनियाभर के शीर्ष तीन देशों में संरचनात्मक, संस्थागत, वित्तीय और शासन सुधारों की तुलना यूपी की समानताओं से करें.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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