जयपुर: माइंस एवं पेट्रोलियम के निदेशक संदेश नायक ने मंगलवार को उद्योग भवन में प्रदेश के एम-सैंड यूनिटधारकों से बातचीत के दौरान कहा कि नदियों और पर्यावरण को बचाना है तो बजरी के विकल्प के रूप में एम-सैंड को प्राथमिकता देना ज़रूरी है.
उन्होंने कहा कि एम-सैंड का उपयोग निर्माण उद्योग में, मड का ब्रिक्स उद्योग में और शिल्ट का सीमेंट उद्योग में फ्लाई ऐश की तरह करने से जीरो लॉस माइनिंग की तरफ भी बढ़ा जा सकेगा.
संदेश नायक ने कहा कि राज्य सरकार ने बजरी के सस्ते व सुगम विकल्प के रूप में एम-सैंड की उपलब्धता और उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए एम-सैंड नीति लागू की है.
नीति जारी होने के बाद प्रदेश में 36 एम सैंड इकाइयों द्वारा करीब सवा करोड़ टन एम-सैंड का वार्षिक उत्पादन किया जाने लगा है. प्रदेश में निजी और रियल एस्टेट सेक्टर सहित निर्माण सेक्टर में एम-सैंड के उपयोग को बढ़ावा देने के समन्वित प्रयास करने होंगे.
राज्य सरकार द्वारा जारी एम-सैंड नीति में सरकारी निर्माण कार्यों में बजरी के विकल्प के रूप में कम से कम 25 प्रतिशत एम-सैंड का उपयोग अनिवार्य किया गया है. इसी तरह से निजी क्षेत्र के निर्माण कार्यों में भी एम-सैंड के उपयोग के लिए आम लोगों को प्रेरित करना होगा.
उन्होंने स्पष्ट किया कि गुणवत्ता की दृष्टि से एम-सैंड बजरी का बेहतर विकल्प होने के साथ ही सस्ती व अधिक उपयोगी है.
नायक ने एम-सैंड नीति के सरलीकरण का विश्वास दिलाते हुए कहा कि यूनिटधारकों के व्यावहारिक सुझावों का परीक्षण करवाया जाएगा ताकि प्रदेश में एम-सैंड उद्योग और एम-सैंड का उपयोग दोनों को ही बढ़ावा दिया जा सके.
उन्होंने विभागीय अधिकारियों व यूनिटधारकों द्वारा स्थानीय स्तर पर परस्पर समन्वय व सहयोग से अवेयरनेस कार्यक्रम संचालित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया.
अतिरिक्त निदेशक बीएस सोढ़ा ने बताया कि यूनिटधारकों की व्यावहारिक समस्याओं का हल खोजा जाएगा. वहीं, इसके उपयोग को बढ़ावा देने के समन्वित प्रयास करने होंगे.
बैठक में विभिन्न जिलों से आये एम-सैंड यूनिटघारकों ने अपने-अपने सुझाव दिए.
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