बेंगलुरू: बेंगलुरू शहर, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां लगभग उतने ही वाहन हैं जितने कि यहां रहने वाले लोग, वहां पर पार्किंग की जगह खोजने की तुलना में कार खरीदना कहीं ज्यादा आसान लगता है. सिर्फ पिछले साल ही इस शहर की पुलिस ने पार्किंग नियमों के उल्लंघन के लगभग 15 लाख मामले दर्ज किए, जो इस बात का संकेत है कि यह समस्या कितनी विकराल हो गई है.
कर्नाटक में इसी साल विधानसभा चुनाव तय होने के साथ, बसवराज बोम्मई की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने यातायात (ट्रैफ़िक) पुलिस को शहर में भीड़-भाड़ कम करने और ‘ब्रांड बेंगलुरु’ – जो चरमराते बुनियादी ढांचे, गड्ढों से भरी सड़कों, पिछले साल आई बाढ़ और जीवन की लगातार गिरती गुणवत्ता की वजह से काफी धूमिल हो गई है – को बचाने में मदद करने का काम सौंपा है. इस शहर में राज्य की कुल 224 में से 28 विधानसभा सीटें पड़ती हैं.
कम-से-कम कहने के लिए तो यही लगता है कि बेंगलुरु का लगभग 800 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल कसाकस भरा हुआ है.
भारत की आईटी राजधानी कहे जाने वाले इस शहर में पिछले साल दिसंबर तक 1.3 करोड़ से अधिक लोग और 1 करोड़ से अधिक वाहन थे. पार्किंग की जगह और सड़क के बुनियादी ढांचे के इसके साथ तालमेल नहीं बैठा पाने की वजह से जाम और यातायात संबंधी अन्य समस्याएं शहर के लिए परेशानी का सबब बनी हुईं हैं.
अधिकारियों का कहना है कि शहरी भूमि परिवहन विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ अर्बन लैंड ट्रांसपोर्ट) द्वारा तैयार की गई इस शहर की साल 2020 की पार्किंग नीति 2.0 को अभी तक लागू नहीं किया गया है. शहर के नागरिक निकाय, बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उनका नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा, ‘प्रक्रिया तो निश्चित रूप से शुरू कर दी गई है, लेकिन जिस तरह का प्रयास होना चाहिए था, वह नहीं हुआ है.’
हालांकि, कुछ बदलाव चल रहे हैं. पिछले साल नवंबर में, राज्य सरकार ने आईपीएस अधिकारी एम.ए. सलीम को विशेष पुलिस आयुक्त (यातायात) नियुक्त किया, ताकि शहर की छवि खराब करने वाले यातायात संबंधी मुद्दों को प्राथमिकता के आधार पर हल करने में मदद मिल सके. उनके पास यातायात प्रबंधन में पीएचडी की डिग्री है और उन्होंने इसी विषय पर एक किताब भी लिखी है.
दिप्रिंट के साथ बात करते हुए, सलीम ने बताया कि वह पिछले तीन महीनों से इस शहर में यातायात को सुव्यवस्थित करने की कोशिश कर रहे हैं, और कुछ जंक्शनों (बड़े चौराहों) पर इसके आशाजनक परिणाम भी मिले हैं. उनके निर्देशों के तहत, यातायात पुलिस को यातायात प्रबंधन को प्राथमिकता देने और दस्तवेजों की जांच के लिए मनमानी जगह को चुनने में कमी लाने लिए कहा गया है, क्योंकि यह भी जाम को बढ़ाने में योगदान दे रहा था.
हालांकि, यातायात नीति के कार्यान्वयन में हो रही देरी और कोविड की महामारी के बाद निजी वाहनों की संख्या में हुई वृद्धि के कारण शहर की पार्किंग की समस्या और बदतर होती जा रही है.
यह भी पढ़ें: सरकार के डेट-टू-इक्विटी कदम से वोडाफोन आइडिया को राहत, लेकिन मुश्किलें अभी कम नहीं हुईं
ज्यादातर कागजों पर ही रहने वाली नीति, भ्रष्टाचार
पिछले साल बेंगलुरू में पार्किंग से संबंधित नियमों के उल्लंघनों को खतरनाक रूप से बढ़ता देखा गया. विशेष पुलिस आयुक्त सलीम ने कहा कि फुटपाथ, बस स्टॉप, चौराहों आदि पर पार्किंग करने के मामले सहित कुल मिलकर 15 लाख पार्किंग नियमों के उल्लंघन के मामले सामने आये. हेलमेट संबंधी नियमों के उल्लंघन (70 लाख मामले) के बाद पार्किंग उल्लंघन दूसरे स्थान पर रहा था.
बीबीएमपी, जो सितंबर 2020 से ही किसी निर्वाचित परिषद के बिना है, ने लगभग 86 कार पार्क्स (पार्किंग के लिए निर्धारित विशेष स्थान) की पहचान की है, लेकिन अभी तक इस नीति को लागू नहीं किया गया है, और इसने सड़कों पर, साथ ही इसके किनारों में भी, फैली अराजकता में बढ़ोत्तरी की है.
सलीम ने कहा, ‘व्यापक पार्किंग नीति के तहत, उन स्थानों की पहचान की गई है जहां सशुल्क (पेड) पार्किंग की जगह है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. सिर्फ स्मार्ट और टेंडर-श्योर सड़कों पर ही पेड पार्किंग है. इसके अलावा, कोई पेड पार्किंग नहीं है.‘
बेंगलुरु की टेंडर-श्योर (स्पेसिफिकेशन्स फॉर अर्बन रोड एक्सेक्यूटिव) सड़कें वे सड़कें हैं जिनका पुनर्विकास और सुधार किया गया है और जिनमें चौड़े फुटपाथ तथा बेहतर जल निकासी जैसी विशेषताएं हैं. दूसरी ओर, स्मार्ट सड़कें, स्मार्ट ट्रैफिक लाइट, लाइसेंस प्लेट की पहचान करने वाले कैमरों, इत्यादि सहित आधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस हैं.
यह नीति अधिक संख्या में लोगों द्वारा स्थायी गतिशीलता और गैर-मोटर चालित परिवहन (नॉन-मोटोराइज्ड ट्रांसपोर्ट- एनएमटी) अपनाने के साथ निजी वाहनों की मांग को कम करने की भी कल्पना करती है, ताकि ‘पार्किंग के लिए आवंटित भूमि को फिर से हासिल किया जा सके और इसे अधिक उत्पादक उपयोग के लिए सुरक्षित रखा जा सके. लेकिन ऐसा लगता है कि यह अभी बहुत दूर की बात है.
एनएमटी की बात करें तो साइकिल लेन का उपयोग शायद ही कभी किया जाता है – या फिर इनका उपयोग किया ही नहीं जा सकता क्योंकि उन्हें खोद दिया गया है – और फुटपाथ पर चलना जोखिम भरा हो गया है.
इसके अलावा, सार्वजनिक परिवहन एकदम जर्जर स्थिति में है. बेंगलुरू मेट्रो इसे बनाने में हो रही देरी में फंस गई है, उपनगरीय रेल नेटवर्क का काम पूरा होने के आसपास भी नहीं है, और सार्वजनिक बसों की संख्या थम ही गई है.
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी एजेंसियां साइकिल लेन और अन्य एनएमटी विकल्पों को फिर से बनाने की कोशिश कर रही हैं. पार्किंग के लिए दिए जाने वाले ठेके भी एक फलता-फूलता व्यवसाय है, और ये ठेके कथित तौर पर केवल ‘राजनीतिक जान-पहचान’ वाले लोगों को ही दिए जाते हैं.
उदाहरण के लिए, ब्रिगेड शॉप्स एंड एस्टैब्लिशमेंट्स एसोसिएशन, जो शहर के सबसे बड़े व्यावसायिक हिस्सों में से एक ब्रिगेड रोड पर कारोबार करने वाले व्यापार मालिकों का प्रतिनिधित्व करता है, ने साल 2004 और 2019 के बीच यहां की सड़क पर होने वाली पार्किंग का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया था. लेकिन, इसे उनसे वापस ले लिया गया है क्योंकि यहां के दुकानदारों ने कथित तौर पर दावा किया कि अधिकारियों और अन्य लोगों ने रिश्वत की मांग करनी जारी रखी थी.
इस बीच, महामारी के कारण अब अधिक लोगों के पास निजी वाहन हैं, जिससे मौजूदा सड़कों पर दबाव और बढ़ गया है.
पिछले एक दशक में, बेंगलुरु में वाहनों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है. 2011-12 में 50.33 लाख वाहनों की संख्या मार्च 2022 तक बढ़कर 1.04 करोड़ हो गई थी. इस शहर में पंजीकृत कुल वाहनों में से 69.31 लाख से अधिक दोपहिया वाहन और 21.97 लाख कारें हैं.
शहर की यातायात पुलिस विभाग के अनुसार, कुल वाहनों की संख्या में 70 प्रतिशत हिस्सा दोपहिया वाहनों का है, 15 प्रतिशत कारें हैं, 4 प्रतिशत ऑटो रिक्शा हैं, और शेष बसें, वैन और टेम्पो हैं.
पार्किंग स्थलों की जगह बनाने की जरूरत
इस बीच, आवासीय इलाकों में पार्किंग एक अत्यधिक विवादास्पद मुद्दा बन गया है. कई मकान मालिक अपने-अपने घरों के बाहर ‘नो पार्किंग’ का बोर्ड लगा देते हैं, हालांकि सड़क के किनारे पार्किंग के मामले में उनके पास कोई कानूनी अधिकार नहीं है.
पिछले साल दिसंबर में जयनगर इलाके के एक निवासी और उसके ड्राइवर द्वारा तीन लोगों के एक परिवार पर कथित तौर पर हमला किया गया था. शहर के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह की घटनाएं सामने आई हैं.
बेंगलुरु शहर की पुलिस ने उन सभी प्रमुख सड़कों – जैसे कि ओल्ड मद्रास रोड, बल्लारी रोड, और तुमकुरु रोड – पर पार्किंग पर प्रतिबंध लगा दिया है जो शहर को अन्य जिलों या वाणिज्यिक केंद्रों से जोड़ती हैं. लेकिन पार्किंग के अन्य विकल्प सीमित हैं, खासकर इस वजह से क्योंकि इस शहर में सिर्फ तीन बहुमंजिला कार पार्किग्स हैं.
सलीम की साल 2019 की किताब, ट्रैफिक मैनेजमेंट इन मेट्रोपॉलिटन सिटीज, इस तरह के और परिसर (कॉम्प्लेक्स) की तत्काल आवश्यकता की ओर इशारा करती है.
वे लिखते हैं, ‘बहु-मंजिला पार्किंग कॉम्प्लेक्स सभी ऐसे सिटी सेंटर्स के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता होनी चाहिए, जहां कई काफी तेजी से वृद्धि करने वाले वाणिज्यिक परिसर हैं. अगर आने वाले वर्षों में इसे गंभीरता से नहीं लिया गया, तो बहुत सारी समस्याएं सामने आएंगी.’
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)
(अनुवाद: रामलाल खन्ना | संपादन: अलमिना खातून)
यह भी पढ़ें: दिल्ली की सड़कों पर साइक्लिंग? अध्ययन ने बताया, साइकिल चालकों के जीवन को 40 गुना अधिक खतरा