बेंगलुरु, सात जून (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने शनिवार को आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के ‘हाथ खून से सने’ हैं। उन्होंने बेंगलुरु में चार जून को हुई भगदड़ की घटना के लिए दोनों को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया और उनके इस्तीफे की मांग की।
इस भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई थी। उन्होंने सच्चाई सामने लाने के लिए उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की।
उन्होंने इस घटना के लिए बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त बी. दयानंद और चार अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की।
बेंगलुरु उत्तर सीट से सांसद ने इस घटना पर कांग्रेस आलाकमान और पार्टी नेता राहुल गांधी की चुप्पी पर भी सवाल उठाए और उनसे आग्रह किया कि अगर उनमें ‘हिम्मत’ है तो वे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगें।
उन्होंने पूछा, “क्या कर्नाटक कांग्रेस में सिद्धरमैया और शिवकुमार के अलावा कोई नेता नहीं बचा है? दोनों नेताओं को जांच का सामना करने दीजिए, किसी और को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बनाइए। जो के.सी. वेणुगोपाल और रणदीप सिंह सुरजेवाला हर छोटे-बड़े मुद्दे पर कर्नाटक दौरे पर आ जाया करते थे, वो अब कहां छिपे हुए हैं?’’
उन्होंने आरोप लगाया कि वे इस मुद्दे पर चुप हैं क्योंकि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पार्टी के दिल्ली आलाकमान के लिए ‘एटीएम’ है।
यह भगदड़ चार जून की शाम को चिन्नास्वामी स्टेडियम के सामने हुई, जहां बड़ी संख्या में लोग रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) टीम की आईपीएल जीत के जश्न में शामिल होने के लिए उमड़े थे। इस घटना में 11 लोगों की मौत हो गई और 56 लोग घायल हो गए थे।
करंदलाजे ने कहा, ‘‘सिद्धरमैया और शिवकुमार के ‘हाथ खून से सने’ हैं। जिन माता-पिता ने अपने बच्चों को खो दिया है, वे कोस रहे हैं। वे (मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री) अपने हाथों पर लगे खून को धोने और पुलिस अधिकारियों पर उसका दोष मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। एक ऐसा अधिकारी, जिसे सख्त और ईमानदार अफसर माना जाता था, जो साधारण परिवार से आकर बेंगलुरु का पुलिस आयुक्त बना — उसे निलंबित कर दिया गया है।”
यहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह इस सरकार और मुख्यमंत्री की छवि पर एक काला धब्बा है।
उन्होंने सवाल किया कि सिद्धरमैया और शिवकुमार ने यह जश्न मनाने के बारे में क्यों सोचा। करंदलाजे ने पूछा कि क्या वे किसी भी तरह से आरसीबी के साझेदार हैं?
अगर कोई आधिकारिक राष्ट्रीय या राज्य टीम देश या राज्य में कोई पुरस्कार लाती है, तो जश्न मनाना समझ में आता है, लेकिन उन्हें इस तरह से कभी सम्मानित नहीं किया गया। करंदलाजे ने कहा, ‘‘जब एक निजी फ्रेंचाइजी आरसीबी ने मैच जीता, तो आप जश्न मनाना चाहते थे। विधान सौध की भव्य सीढ़ियां अबतक शपथ ग्रहण या सरकारी समारोहों के लिए इस्तेमाल की जाती थीं। आपने इसका इस्तेमाल एक निजी टीम के लिए किया।’’
उन्होंने पूछा कि क्या सरकार में कोई भी आरसीबी के साथ साझेदारी करने या फ्रेंचाइजी का स्वामित्व धारण करने की योजना बना रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘भगदड़ और मौत दोपहर करीब 3:30 बजे से 3:45 बजे के बीच हुई और कार्यक्रम शाम चार बजे शुरू हुआ। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को पता था कि मौतें हुई हैं, फिर भी उन्होंने कार्यक्रम जारी रखा। सिद्धरमैया, आपने आरसीबी की जीत का जश्न शवों पर खड़े होकर मनाया। मंच पर मौजूद लोगों और उनके परिवारों में खिलाड़ियों के साथ फोटो खिंचवाने की होड़ मची हुई थी। मौतों की जानकारी होने के बावजूद आपने ऐसा किया… आप (उपमुख्यमंत्री) स्टेडियम गए और स्टेडियम में ट्रॉफी को चूमा।’’
उन्होंने यह जानने की मांग की कि बिना सरकारी अनुमति के दो समारोह कैसे हो गए, उन्होंने पूछा, ‘‘अगर सरकार ने अनुमति दी थी, तो पुलिस अधिकारियों को निलंबित क्यों किया जा रहा है?’’
करंदलाजे ने घायलों की वास्तविक संख्या को लेकर आरोप लगाया कि सरकार मामले को छिपाने का प्रयास कर रही है। करंदलाजे ने दावा किया कि कुछ घायलों के परिवार चिकित्सा व्यय का भुगतान खुद कर रहे हैं, जबकि सरकार ने घोषणा की है कि वह घायलों के इलाज पर आने वाले खर्च का वहन करेगी।
उन्होंने यह भी पूछा कि सरकार कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ और उसके पदाधिकारियों को क्यों बचा रही है। करंदलाजे ने कहा कि जब आरसीबी और डीएनए इवेंट मैनेजमेंट के अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है, तो उन्हें क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया?
भाषा
संतोष प्रशांत
प्रशांत
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