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Friday, 1 November, 2024
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बेंगलुरू को 14 महीने में मिले तीन पुलिस कमिश्नर, क्यों विवादों में घिरा है ये पद

कांग्रेस ने मौजूदा पुलिस प्रमुख कमल पंत पर सियासी साठ-गांठ का आरोप लगाया है लेकिन उनके पूर्ववर्तियों भास्कर राव और आलोक कुमार पर भी बहुत से आरोप लग चुके हैं.

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बेंगलुरू: जून 2019 के बाद से बेंगलुरू शहर तीन पुलिस आयुक्त देख चुका है और मौजूदा प्रमुख कमल पंत समेत सभी पुलिस आयुक्त विवादों में घिरे रहे हैं चाहे वो आरोप भ्रष्टाचार के रहे हों या सियासी साठ-गांठ के.

पंत और उनके पूर्ववर्ती- भास्कर राव और आलोक कुमार को या तो सरकार का एंजेंट कहकर बुलाया गया या उनपर शीर्ष पद हासिल करने के लिए राजनीतिक रसूख इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया.

पंत के मामले में विपक्षी कांग्रेस ने बेंगलुरू दंगों की जांच में ‘पक्षपात’ के आरोप लगाए हैं जो एक अगस्त को उनके कार्यभार संभालने के कुछ दिन बाद ही इस महीने के शुरू में हुए थे.

उनके पूर्ववर्ती राव पर आरोप था कि उन्होंने अपने पूर्ववर्ती आलोक कुमार को हटवाने के लिए एक एजेंसी का इस्तेमाल किया था. आलोक कुमार पर भी आरोप था कि वो तब के सीएम एचडी कुमारस्वामी को अवगत रखने के लिए कई आईपीएस अधिकारियों और राजनेताओं के फोन टैप कराते थे.


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पंत के खिलाफ कांग्रेस के आरोप

जब 11 अगस्त को हुए दंगों की जांच की कड़ी कांग्रेस से जुड़ी पाई गई तो पार्टी के कर्नाटक प्रमुख डीके शिवकुमार ने कमिश्नर पंत पर हमला बोला और आरोप लगाया कि बीजेपी मंत्रियों के प्रभाव में आकर वो कांग्रेस पर दोष मढ़ रहे हैं.

20 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती से जुड़े एक समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘ये मंत्री आपको एक निश्चित दिशा में जाकर कांग्रेस को लपेटने के लिए प्रभावित कर रहे हैं. मिस्टर पुलिस कमिश्नर, हम ऐसा नहीं होने देंगे’.

शिवकुमार ने पंत का नाम नहीं लिया लेकिन उनके पद का इस्तेमाल करते हुए, उनपर पुलिस के खुफिया तंत्र की नाकामी और संख्या बढ़ाने के लिए बेगुनाह लोगों को गिरफ्तार करने का आरोप लगाया.

वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘बीजेपी के एजेंट मत बनिए. ये आप हैं जिन्होंने इसे अच्छे से हैंडल नहीं किया’. उन्होंने ये सवाल भी किया कि उन बीजेपी विधायकों और सांसदों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई जिन्होंने अतीत में भड़काऊ बयान दिए हैं.

दिप्रिंट ने फोन कॉल्स के ज़रिए पंत से संपर्क किया लेकिन उन्होंने इस मामले पर बोलने से इनकार कर दिया.


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भास्कर राव- लीक हुए टेप्स और ‘भ्रष्टाचार’

पंत के पूर्ववर्ती भास्कर राव, उस समय शक के घेरे में आए थे जब एक ‘सत्ता के दलाल’ के साथ उनकी फोन पर हुई असत्यापित बातचीत सामने आई जिससे पता चला कि वो कमिश्नर के पद के लिए लॉबी कर रहे थे.

राव को बीएस येदियुरप्पा की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने कमिश्नर नियुक्त किया जो कुमारस्वामी की जेडी (एस)-कांग्रेस सरकार के गिरने के बाद सत्ता में आई थी. लेकिन पिछले प्रशासन के दौरान भी वो कथित रूप से आलोक कुमार से ये पद लेने की कोशिश कर रहे थे जिन्हें कुमारस्वामी ने 18 सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स को दरकिनार करते हुए कमिश्नर नियुक्त किया था.

राव कथित रूप से कांग्रेस आलाकमान को कुमार की ‘प्रतिष्ठा’ से भी अवगत कराना चाहते थे.

इन लीक हुए टेप्स ने बीजेपी और जेडी (एस) के बीच एक पूरी सियासी जंग छेड़ दी थी.

लेकिन भास्कर राव की मुसीबतें अभी खत्म नहीं हुईं थीं. कोविड-19 महामारी फैलने के बाद उनके और उप-मुख्यमंत्री सीएन अश्वथ नारायण के बीच बहस हो गई जिन्होंने राव पर आरोप लगाया कि लॉकडाउन के दौरान काम करने की इजाज़त देने के लिए उन्होंने कुछ फूड डिलीवरी कम्पनियों से रिश्वत ली थी.

वरिष्ठ अधिकारियों की एक मीटिंग में नारायण ने आरोप लगाया, ‘आप छोटे दुकानदारों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं जबकि कॉमर्स के बड़े खिलाड़ियों को फ्री पास देते हैं जिसके बदले आपने जो कुछ भी लिया हो’.

राव बहुत आहत हुए और मीटिंग में शामिल दूसरे लोगों के अनुसार अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए उन्होंने आंसुओं के साथ अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी.

राव ने दिप्रिंट से कहा, ‘वो निश्चित रूप से अनुचित था लेकिन अब वो मामला सुलट गया है’.


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आलोक कुमार- फोन टैपिंग, पॉन्ज़ी स्कैम और सीबीआई जांच

राव के पूर्ववर्ती आलोक कुमार ने अपनी पहचान, कर्नाटक के इतिहास में सबसे कम अवधि के पुलिस कमिश्नर के रूप में बनाई जिनका कार्यकाल केवल 47 दिन का रहा.

कुमार ने कथित रूप से तब के सीएम कुमारस्वामी के निर्देशों पर वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों और राजनेताओं के फोन टैप कराने को मंज़ूरी दी. कुमार ने अपने बचाव में कहा कि पुलिस विभाग, फराज़ नाम के एक एजेंट की कॉल्स रिकॉर्ड कर रहा था जिसपर एक पॉन्जी स्कैम में शामिल होने का शक था. उन्होंने इन आरोपों का खंडन किया कि पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं की कॉल्स ट्रैक कर रही थीं.

लेकिन भास्कर राव की कथित बातचीत के लीक हुए टेप्स भी उन्हीं फोन टैप्स का हिस्सा बताए जाते हैं जिन्हें कुमार ने मंज़ूरी दी थी. सत्ता में आकर कुमार की जगह राव को पुलिस कमिश्नर नियुक्त करने के बाद येदियुरप्पा सरकार ने ये टेप्स सीबीआई के हवाले कर दिए. बाद में सीबीआई ने कुमार के आवास पर छापेमारी की.

सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि प्रशासन और पुलिस के बहुत से वरिष्ठ अधिकारी इस बात से ख़फा थे कि कुमार को 18 वरिष्ठ पुलिस अधिकारों को दरकिनार करके नियुक्त किया गया था. ये नियुक्ति आधी रात के समय हुई, ठीक उस समय जब करोड़ों रुपए का आईएमए पॉन्जी गोल्ड स्कैम सामने आया.

कुमार की नियुक्ति के समय को लेकर भी लोगों के मन में संदेह पैदा हुआ था क्योंकि एक लॉटरी सरगना के साथ कथित रिश्तों को लेकर भी कुमार जांच का सामना कर चुके थे. उस केस की जांच के दौरान उन्हें अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (पश्चिम) के पद से भी निलंबित किया गया था.

उस समय एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस रिपोर्टर से कहा था, ‘उनकी नियुक्ति रसूख का इस्तेमाल करते हुए पद हासिल करने की एक साफ मिसाल थी’.

उसके बाद कुमार ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में अपने ‘असामयिक’ तबादले को चुनौती दी लेकिन बाद में केस वापस ले लिया. फिलहाल कुमार कर्नाटक स्टेट रिज़र्व पुलिस में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात हैं.

दिप्रिंट की ओर से कॉल्स और टेक्स्ट मैसेज के ज़रिए संपर्क करने पर कुमार ने भी कुछ बोलने से मना कर दिया.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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