बेंगलुरु, 28 फरवरी (भाषा) यहां की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा और तीन अन्य आरोपियों को पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले के संबंध में 15 मार्च को पेश होने के लिए समन जारी किया।
यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों पर विचार करने वाली अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा (82 वर्ष) के खिलाफ कर्नाटक के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) द्वारा दायर आरोपपत्र पर नए सिरे से संज्ञान लिया।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सात फरवरी को विशेष अदालत को मामले में सीआईडी की अंतिम रिपोर्ट पर नए सिरे से विचार करने और उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया था।
उच्च न्यायालय ने येदियुरप्पा द्वारा उनके खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के तहत कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए यह आदेश जारी किया था और उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को निचली अदालत को वापस भेज दिया था।
इसने उन्हें अग्रिम जमानत भी दे दी थी। यह मामला पिछले साल 14 मार्च को 17 वर्षीय एक लड़की की मां द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया था। महिला ने आरोप लगाया था कि येदियुरप्पा ने दो फरवरी को यहां डॉलर्स कॉलोनी में अपने आवास पर एक बैठक के दौरान उसकी बेटी का यौन उत्पीड़न किया था।
सीआईडी ने 27 जून को ‘फास्ट ट्रैक’ अदालत में एक आरोपपत्र दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि येदियुरप्पा और तीन अन्य आरोपियों ने शिकायतकर्ता और उसकी नाबालिग बेटी को चुप रहने के लिए पैसे दिये थे।
आरोपपत्र में पॉक्सो अधिनियम की धारा 8 (यौन उत्पीड़न के लिए दंड), धारा 354 ए (यौन उत्पीड़न), धारा 204 (साक्ष्य के रूप में पेश करने से रोकने के लिए दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को नष्ट करना) और भारतीय दंड संहिता की धारा 214 (अपराधी की जांच के बदले में उपहार या संपत्ति की बहाली की पेशकश) को लगाया गया है।
अन्य तीन आरोपी (अरुण वाई एम, रुद्रेश एम और जी मारिस्वामी) येदियुरप्पा के सहयोगी हैं और उनपर भारतीय दंड संहिता की धारा 204 और 214 के तहत आरोप लगाए गए हैं। पिछले साल मई में 54 वर्षीय शिकायतकर्ता की फेफड़ों के कैंसर के कारण यहां एक निजी अस्पताल में मौत हो गई थी।
भाषा संतोष दिलीप
दिलीप
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