(तस्वीरों के साथ)
कोलकाता, 13 नवंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल उपचुनावों में छिटपुट हिंसा की घटनाएं हुईं, जिनमें नैहाटी विधानसभा क्षेत्र के पास भाटपारा में एक देसी बम हमला भी शामिल है जिसमें एक स्थानीय तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ता की मौत हो गई, जबकि छह निर्वाचन क्षेत्रों में शाम 5 बजे तक 69.29 प्रतिशत मतदान हुआ।
तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ता अशोक शॉ की हत्या के बाद उपचुनाव के दौरान मतदाताओं को डराने-धमकाने के राजनीतिक आरोप लगे, जिसके बाद मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने घटना पर रिपोर्ट मांगी है।
इस घटना पर तत्काल राजनीतिक प्रतिक्रिया हुई और भाजपा नेता अर्जुन सिंह ने तृणमूल पर नैहाटी और अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं में भय पैदा करने के लिए धमकाने की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया।
जगतदल विधानसभा सीट से स्थानीय तृणमूल विधायक सोमनाथ श्याम ने बयान देने से परहेज करते हुए दावा किया कि हमले की परिस्थितियों का पता लगाने के लिए जांच चल रही है।
निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार, शाम 5 बजे तक तालडांगरा में 75.20 प्रतिशत, हरोआ में 73.95 प्रतिशत, मेदिनीपुर में 71.85 प्रतिशत, सिताई में 66.35 प्रतिशत, मदारीहाट में 64.14 और नैहाटी में 62.10 प्रतिशत मतदान हुआ।
आयोग के अनुसार, करीब 80 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से ज्यादातर भाजपा की ओर से थीं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्ष ने तृणमूल कार्यकर्ताओं पर विभिन्न क्षेत्रों, खासकर हरोआ, मदारीहाट, सिताई और तालडांगरा निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं को डराने-धमकाने का आरोप लगाया है। राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी ने आरोपों को निराधार बताया है।
नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि ‘‘विभिन्न सीटों के कई बूथों पर भाजपा कार्यकर्ताओं को धमकियों का सामना करना पड़ रहा है।’’ हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने इस दावे को चुनाव में उसे बदनाम करने का प्रयास बताकर खारिज कर दिया है।
केंद्रीय मंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि तृणमूल ने उपचुनाव को तमाशा बना दिया है।
मजूमदार ने ‘एक्स’ पर नैहाटी निर्वाचन क्षेत्र में पुलिस द्वारा कथित फर्जी मतदाता को पकड़े जाने का एक वीडियो क्लिप पोस्ट करते हुए लिखा, ‘‘उपचुनावों में भी तृणमूल फर्जी मतदाताओं का सहारा लेती है। नैहाटी में तृणमूल के एक बदमाश को फर्जी वोट डालने की कोशिश करते हुए लोगों ने पकड़ लिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार का एजेंट होने का दावा करते हुए, वह कोई वैध पहचान पत्र प्रस्तुत करने में विफल रहा। चौंकाने वाली बात यह है कि ममता बनर्जी की वफादार पुलिस ने न्याय की रक्षा करने के बजाय उसे जनता से बचाने के लिए हस्तक्षेप किया। क्या तृणमूल और उसकी चाटुकार पुलिस जनता की आवाज से डरकर काम कर रही है?’’
तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने आरोपों को “निराधार” बताया और कहा कि विपक्षी दल सत्तारूढ़ पार्टी की चुनावी संभावनाओं को कमजोर करने के लिए कहानियां गढ़ रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘एक तरफ तृणमूल कार्यकर्ता मारे जा रहे हैं और विपक्ष हमें दोषी ठहरा रहा है। भाजपा और विपक्ष चुनाव के दौरान हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।’’
मदारीहाट में भाजपा उम्मीदवार राहुल लोहार की कार में कथित तौर पर तोड़फोड़ की गई।
सूत्रों ने बताया कि राहुल मदारीहाट ग्राम पंचायत के अंतर्गत मुजनई में भाजपा कार्यकर्ताओं से मिलने गए थे, तभी उन्हें तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों के विरोध का सामना करना पड़ा। सूत्रों ने बताया कि उनकी कार को रोक दिया गया और कथित तौर पर उस पर पत्थर फेंके गए।
तृणमूल समर्थकों ने दावा किया कि भाजपा सांसद और पूर्व विधायक मनोज तिग्गा पिछले पांच सालों में इलाके में नहीं दिखे और न ही कोई विकास कार्य हुआ। लोहार के खिलाफ भीड़ ने “वापस जाओ” के नारे भी लगाए।
कूचबिहार के सिताई में एक मतदान केंद्र पर तनाव फैल गया, आरोप है कि ईवीएम मशीन के दो बटन टेप से ढके हुए थे।
भाजपा उम्मीदवार दीपक रॉय ने दावा किया कि होकदाह अदाबारी एसएसके प्राथमिक विद्यालय स्थित मतदान केंद्र पर ईवीएम के पहले दो बटन पर टेप चिपका हुआ पाया गया।
रॉय ने पीठासीन अधिकारी और अन्य मतदान कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा, “यह चुनाव प्रक्रिया का गंभीर उल्लंघन है।”
इसके बाद वह खुद बूथ में घुस गए और ईवीएम से टेप हटा दिया, जिससे बूथ के अंदर हंगामा होने लगा। सूत्रों ने बताया कि रॉय और पीठासीन अधिकारी के बीच तीखी नोकझोंक हुई।
तृणमूल कांग्रेस ने हालांकि आरोप लगाया कि भाजपा उम्मीदवार के आने तक मतदान शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा था। पार्टी ने रॉय पर प्रक्रिया बाधित करने और परेशानी पैदा करने का आरोप लगाया।
इस बीच, हरोआ सीट से वाम मोर्चा समर्थित उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) ने भी हस्तक्षेप की सूचना दी और दावा किया कि तृणमूल कार्यकर्ता उसके मतदान एजेंटों को हरोआ में कुछ मतदान केंद्रों में प्रवेश करने से रोक रहे थे।
विपक्ष और सत्ताधारी पार्टी के सदस्य पूरे दिन आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे।
शांतिपूर्ण उपचुनाव के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की कुल 108 कंपनियां तैनात की गई हैं।
इस वर्ष आम चुनावों में कुछ विधायकों के लोकसभा के लिए सांसद चुने जाने के बाद उनके इस्तीफे से रिक्त हुई इन सीटों पर उपचुनाव आवश्यक हो गए थे।
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों ने सभी छह सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।
बंगाल कांग्रेस के नेतृत्व में हाल ही में बदलाव हुआ है। माकपा के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा और कांग्रेस 2021 के बाद पहली बार अलग-अलग उपचुनाव लड़ रहे हैं। वाम मोर्चे ने छह में से पांच सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिसमें एक भाकपा (माले) का उम्मीदवार भी शामिल है। कांग्रेस ने सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारे हैं।
यहां मतगणना 23 नवंबर को होगी।
भाषा प्रशांत शफीक
शफीक
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.