कोलकाता, आठ अप्रैल (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के परिणामस्वरूप बेरोजगार हुए पात्र स्कूल कर्मचारियों को अपात्र कर्मचारियों से अलग करने की प्रक्रिया ओएमआर शीट की जांच से शुरू करने की मांग मंगलवार को स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) से की।
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने यह दावा किया कि आयोग द्वारा यह कार्य आसानी से किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक समिति बनाने के लिए तत्काल कदम उठाना चाहिए, जो ‘पात्र शिक्षकों’ की नौकरियों को बचाने के लिए एक तंत्र खोजने में मदद करे।
उच्चतम न्यायालय ने 2016 के स्कूल सेवा आयोग भर्ती अभियान के माध्यम से नियुक्त 25,753 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती को रद्द करने वाले कलकत्ता उच्च न्यायालय के 2024 के फैसले को तीन अप्रैल को बरकरार रखा था और पूरी चयन प्रक्रिया को ‘दागदार’ बताया था।
शीर्ष अदालत के फैसले के बाद बेरोजगार हुए लोगों ने दावा किया कि उनकी दुर्दशा का मुख्य कारण एसएससी की यह अक्षमता है कि वह फर्जी तरीके से नौकरी पाने वाले और पात्र अभ्यर्थियों के बीच अंतर नहीं कर पाई।
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय कम से कम 20 ‘पात्र शिक्षकों’ के एक समूह के साथ एसएससी कार्यालय में आयोग के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार से मिलने गए, लेकिन वह मौके पर मौजूद नहीं थे।
इसके बाद भाजपा के लोकसभा सदस्य ने कुछ अन्य अधिकारियों से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें आयोग से ओएमआर शीट की जांच कर योग्य अभ्यर्थियों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू करने की मांग की गई और दावा किया गया कि एसएससी द्वारा यह काम आसानी से किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, “अगर एसएससी ओएमआर की जांच करने में असमर्थ है, तो हम मान लेंगे कि उन पर (ऐसा न करने का) दबाव है। लेकिन उन्हें ऐसा करना ही होगा।”
तामलुक से सांसद ने कहा कि वह नौ अप्रैल को फिर से एसएससी कार्यालय जाएंगे और दबाव बनाने के लिए अध्यक्ष से मिलेंगे।
भाषा जितेंद्र सुरेश
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