कोलकाता, आठ अगस्त (भाषा) भारत निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत को शुक्रवार को दिये एक ताजा नोटिस में कहा कि राज्य सरकार के चार अधिकारियों को निलंबित करने के उसके फैसले को क्रियान्वित कर कार्रवाई की अनुपालन रिपोर्ट 11 अगस्त को अपराह्न तीन बजे तक प्रस्तुत की जाए।
निर्वाचन आयोग के सचिव सुजीत कुमार मिश्रा द्वारा हस्ताक्षरित यह पत्र मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करने के एक दिन बाद जारी किया गया कि वह निलंबन आदेश पर अमल नहीं करेंगी और अधिकारियों को अपना ‘पहरेदार’ बताते हुए नौकरशाह वर्ग को भरोसा दिलाया। इसके साथ उन्होंने निर्वाचन आयोग व राज्य सरकार के बीच टकराव के एक नए दौर की ओर इशारा किया।
आयोग ने मंगलवार को चार अधिकारियों – दो निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) और दो सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (एईआरओ) – और पश्चिम बंगाल में एक अस्थायी ‘डाटा एंट्री ऑपरेटर’ को निलंबित करने के फैसले की घोषणा की थी। इन अधिकारियों पर दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर जिलों के बरुईपुर पूर्व और मोयना विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची तैयार करते समय कथित रूप से अनियमितताएं बरतने का आरोप है।
न्यायालय ने मुख्य सचिव को सभी पांच आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया तथा शीर्ष नौकरशाह से जल्द से जल्द कार्रवाई रिपोर्ट मांगी।
दंडित किये गये पांच राज्य सरकार के कर्मचारियों में से दो – ईआरओ के रूप में कार्यरत देबोत्तम दत्ता चौधरी और बिप्लब सरकार – डब्ल्यूबीसीएस (कार्यकारी) रैंक के अधिकारी हैं।
शुक्रवार को जारी ईसीआई नोटिस में कहा गया है, “आयोग को अब तक प्रत्येक अधिकारी के खिलाफ की गई विशिष्ट कार्रवाई का संकेत देने वाली कोई अनुपालन रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।”
नोटिस में कहा गया, “आयोग ने निर्देश दिया है कि उपरोक्त अधिकारियों के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई तुरंत की जाए और 11 अगस्त, 2025 को अपराह्न तीन बजे तक आयोग को अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।”
मुख्यमंत्री बनर्जी ने आयोग के अधिकार क्षेत्र और इस कदम की वैधता पर सवाल उठाया था और आरोप लगाया था कि भाजपा राज्य सरकार के अधिकारियों को डराने के लिए निर्वाचन आयोग का इस्तेमाल कर रही है।
बनर्जी ने मंगलवार को झारग्राम में एक जनसभा में कहा, “हम उन्हें निलंबित नहीं करेंगे… हम आपकी सुरक्षा करेंगे। मैं आपकी ‘पहरेदार’ बनी रहूंगी।” इसके साथ ही उन्होंने निर्वाचन आयोग पर निशाना साधा और उस पर भाजपा के “बंधुआ मजदूरों” की तरह काम करने का आरोप लगाया।
भाषा
प्रशांत पवनेश
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