कोलकाता, 10 अगस्त (भाषा) आरजी कर अस्पताल मामले की पीड़िता के पिता ने रविवार को आरोप लगाया कि पिछले दिन विरोध मार्च के दौरान ‘पुलिस के लाठीचार्ज’ में घायल हुईं उनकी पत्नी को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा एक निजी अस्पताल पर दबाव डालने के बाद भर्ती करने से ‘इनकार’ कर दिया गया।
पीड़िता की मां का शनिवार को सीटी स्कैन और अन्य नैदानिक परीक्षण किया गया, ताकि आंतरिक और बाहरी चोटों की गंभीरता का आकलन किया जा सके। उनके माथे, हाथ और पीठ पर चोटें आई थीं।
अस्पताल के अधिकारियों से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया, ‘शनिवार शाम को मेरी पत्नी की जांच करने वाले डॉक्टर ने कहा था कि उन्हें इलाज के लिए भर्ती किया जाएगा। लेकिन डॉक्टर के अस्पताल से जाने के बाद अस्पताल में अन्य लोगों के रवैये में अचानक बदलाव आ गया। वे टालमटोल करने लगे। फिर उन्होंने मुझे बताया कि मेरी पत्नी को भर्ती नहीं किया जा सकता क्योंकि राज्य सरकार की ओर से उन पर कुछ दबाव है।’
पीड़िता के पिता ने यह भी बताया कि जब उन्होंने डॉक्टर से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि वे भर्ती के मामले पर विस्तार से बात नहीं कर पाएंगे।
पीड़िता के पिता ने कहा, ‘हालांकि, उन्होंने मुझे आश्वस्त किया कि उन्हें दी गई दवाएं उन्हें ठीक करने के लिए पर्याप्त होंगी।’
पीड़िता के पिता ने बताया कि शनिवार शाम को जब उनकी पत्नी को अस्पताल ले जाया गया, तो डॉक्टर ने सलाह दी थी कि मरीज़ को कम से कम दो दिन अस्पताल में रहना होगा।
रविवार दोपहर को, पीड़िता की मां को अस्पताल के अधिकारियों ने ‘छुट्टी’ दे दी, जिन्हें रातभर अस्पताल में रहने की अनुमति दी गई थी।
पीड़िता की मां ने शनिवार को आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल राज्य सचिवालय ‘नबान्न’ तक मार्च के दौरान महिला पुलिसकर्मियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। यह मार्च सरकारी आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में उनकी बेटी के साथ हुए बलात्कार और हत्या की घटना के एक साल पूरा होने पर बुलाया गया था।
बदसलूकी की कथित घटना पार्क स्ट्रीट क्रॉसिंग पर हुई, जहां पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया, जो अवरोधकों को तोड़ने और सचिवालय जाने के रास्ते में विद्यासागर सेतु की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहे थे।
भाषा आशीष देवेंद्र
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