कोलकाता, 26 अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को ग्रुप सी और डी के उन प्रदर्शनकारी गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए वित्तीय सहायता की घोषणा की, जिनकी नियुक्तियां उच्चतम न्यायालय द्वारा रद्द कर दी गई थीं और आश्वासन दिया कि उनकी सरकार प्रभावित शिक्षकों के साथ-साथ उनके लिए भी पुनर्विचार याचिका दायर करेगी।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यदि उच्चतम न्यायालय पुनर्विचार याचिका खारिज कर देता है तो उनकी सरकार प्रभावित लोगों की सहायता के लिए वैकल्पिक उपाय तलाशेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हम शिक्षकों के साथ-साथ ग्रुप सी और डी कर्मचारियों के लिए उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे। हम इस मामले में कानूनी सलाह ले रहे हैं।’’
बनर्जी ने कहा कि वह ‘दागी’ और ‘बेदाग’ शिक्षकों पर टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि उन्हें अभी तक कोई आधिकारिक सूची नहीं मिली है।
उन्होंने कहा कि पुनर्विचार याचिका का परिणाम आने तक ग्रुप सी के कर्मचारियों को 25,000 रुपये और ग्रुप डी के कर्मचारियों को 30,000 रुपये मिलेंगे।
बनर्जी ने कहा, ‘‘अगर अदालत हमारी याचिका खारिज कर देती है, तो हम किसी अन्य विकल्प के बारे में सोचेंगे। अभी, क्योंकि आपको कोई वेतन नहीं मिल रहा है, इसलिए हम अपनी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के जरिए आपकी मदद कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शीर्ष वकीलों से कानूनी सलाह ले रही है ताकि शिक्षकों की नौकरी न जाए और उन्हें दोबारा परीक्षा में बैठने की जरूरत न पड़े।
राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त स्कूलों के लगभग 25,753 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को अपनी नौकरी से तब हाथ धोना पड़ा था, जब उच्चतम न्यायालय ने तीन अप्रैल को बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के कारण 2016 की पूरी भर्ती समिति को रद्द कर दिया था।
हालांकि बाद में उच्चतम न्यायालय ने शिक्षकों की सेवाएं 31 दिसंबर तक जारी रखने की अनुमति दे दी, लेकिन ग्रुप ‘सी’ और ‘डी’ के गैर-शिक्षण कर्मचारियों को यह राहत नहीं दी गई।
भाषा
देवेंद्र माधव
माधव
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