कोलकाता, 30 मई (भाषा) ‘डिजर्विंग टीचर्स राइट्स फोरम’ के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे लगभग 50 बेरोजगार शिक्षकों को पश्चिम बंगाल राज्य सचिवालय नबान्न की ओर जाते समय दो स्थानों पर हिरासत में लिया गया।
यह समूह पात्र शिक्षकों के रूप में स्थायी बहाली की मांग के लिए एकत्र हुआ था तथा भर्ती परीक्षा दोबारा लेने के राज्य के निर्देश का विरोध कर रहा था।
जैसे ही सैकड़ों प्रदर्शनकारी सियालदाह स्टेशन और एस्प्लेनेड पर – जो लगभग 2 किमी की दूरी पर हैं – अपना मार्च शुरू करने के लिए एकत्र हुए, उन्हें पहले से ही वहां तैनात पुलिस कर्मियों ने रोक दिया।
फोरम के एक सदस्य ने कहा, “हमें शांतिपूर्ण तरीके से लोकतांत्रिक मार्च निकालने की अनुमति नहीं दी गई। हम बस इतना चाहते थे कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात का समय मांगें और उन्हें अपनी स्थिति और मांग से अवगत कराएं।”
प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन के तौर पर कुछ प्रदर्शनकारियों ने अपनी शर्ट उतार दी।
उपायुक्त (सेंट्रल) इंदिरा मुखर्जी ने बताया कि यातायात में बाधा डालने और सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने के प्रयास में लगभग 50 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया।
मुखर्जी ने बताया कि एस्प्लेनेड इलाके में एक मॉल के पास महिला पुलिस अधिकारियों के साथ हाथापाई के दौरान एक प्रदर्शनकारी के पैर में चोट लग गई। मुखर्जी ने बताया कि उसे तुरंत इलाज के लिए पास के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया।
उन्होंने कहा, “पुलिस कर्मियों के तौर पर हम उनकी मांगों या आंदोलन पर टिप्पणी नहीं कर सकते। लेकिन हमें कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ने की कोशिशों के बारे में जानकारी मिली थी।”
पुलिस ने आसपास के क्षेत्र में पहचान-पत्र की जांच भी की। छिपे हुए प्रदर्शनकारियों की तलाश के लिए सार्वजनिक बसों की भी जांच की गई।
प्रदर्शनकारी शिक्षक पिछले 22 दिनों से पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग मुख्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं।
उनका आंदोलन उच्चतम न्यायालय के तीन अप्रैल के फैसले के बाद शुरू हुआ है, जिसमें व्यापक अनियमितताओं का हवाला देते हुए 2016 स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) भर्ती के माध्यम से की गई 25,753 शिक्षण और गैर-शिक्षण नियुक्तियों को अमान्य करार दिया गया था।
भाषा प्रशांत मनीषा
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