(तस्वीरों के साथ)
कोलकाता, 30 मई (भाषा)‘डिजर्विंग टीचर्स राइट्स फोरम’ के परचम तले प्रदर्शन कर रहे करीब 100 उन शिक्षकों को पश्चिम बंगाल राज्य सचिवालय ‘नबन्ना’ की ओर जाते समय दो स्थानों पर हिरासत में लिया गया जो उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद अपनी नौकरी गंवा चुके हैं।
यह समूह पात्र शिक्षकों के रूप में स्थायी बहाली की मांग के लिए एकत्र हुआ था तथा भर्ती परीक्षा दोबारा लेने के राज्य के निर्देश का विरोध कर रहा था।
एक अन्य प्रदर्शन में, नौकरी गंवा चुके करीब 500 शिक्षकों ने इसी मांग को लेकर साल्ट लेक के सेंट्रल पार्क क्षेत्र में रैली निकाली।
इससे पहले दिन में सैकड़ों प्रदर्शनकारी सियालदह स्टेशन और एस्प्लेनेड पर – लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर – अपना मार्च शुरू करने के लिए एकत्र हुए, लेकिन वहां पहले से तैनात पुलिस कर्मियों ने उन्हें रोक दिया।
फोरम के एक सदस्य ने कहा, “हमें शांतिपूर्ण तरीके से लोकतांत्रिक मार्च निकालने की अनुमति नहीं दी गई। हम बस इतना चाहते थे कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात का समय मांगें और उन्हें अपनी स्थिति और मांग से अवगत कराएं।”
साल्ट लेक में करीब 500 शिक्षक, जिनमें से कई ने प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर अपनी शर्ट उतार रखी थी पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग के मुख्यालय विकास भवन के पास एकत्र हुए। प्रदर्शनकारियों ने जब वहां से हटने से इनकार कर दिया, तब पुलिस उन्हें कैदी वाहन में भरकर ले गई।
बिधाननगर के पुलिस उपायुक्त अनीश सरकार ने कहा, ‘‘शांतिपूर्ण प्रदर्शन की हमेशा अनुमति होती है, लेकिन विरोध के नाम पर सार्वजनिक रूप से शर्ट उतारना सार्वजनिक शालीनता और शिष्टाचार का उल्लंघन है। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के बार-बार अनुरोध को नजरअंदाज किया।’’
उन्होंने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार, सेंट्रल पार्क में एक निर्दिष्ट आश्रय स्थान पर धरना-प्रदर्शन को जारी रखने की अनुमति दी गई थी।
उपायुक्त (सेंट्रल) इंदिरा मुखर्जी ने सियालदह स्टेशन और एस्प्लेनेड में हुए प्रदर्शन के बारे में बताया कि यातायात में बाधा डालने और सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने के प्रयास में लगभग 50 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया।
मुखर्जी ने बताया कि एस्प्लेनेड इलाके में एक मॉल के पास महिला पुलिस अधिकारियों के साथ हाथापाई के दौरान एक प्रदर्शनकारी के पैर में चोट लग गई। मुखर्जी ने बताया कि उसे तुरंत इलाज के लिए पास के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया।
उन्होंने कहा, “पुलिस कर्मियों के तौर पर हम उनकी मांगों या आंदोलन पर टिप्पणी नहीं कर सकते। लेकिन हमें कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ने की कोशिशों के बारे में जानकारी मिली थी।”
पुलिस ने आसपास के क्षेत्र में पहचान-पत्र की जांच भी की। छिपे हुए प्रदर्शनकारियों की तलाश के लिए सार्वजनिक बसों की भी जांच की गई।
प्रदर्शनकारी शिक्षक पिछले 22 दिनों से पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग मुख्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं।
उनका आंदोलन उच्चतम न्यायालय के तीन अप्रैल के फैसले के बाद शुरू हुआ है, जिसमें व्यापक अनियमितताओं का हवाला देते हुए 2016 स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) भर्ती के माध्यम से की गई 25,753 शिक्षण और गैर-शिक्षण नियुक्तियों को अमान्य करार दिया गया था।
फोरम के प्रवक्ता चिन्मय मंडल को एस्प्लेनेड में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में ले लिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘हम विरोध प्रदर्शन जारी रखने के लिए दृढ़ हैं। हम अगले कदम पर चर्चा करेंगे।’’
मंडल ने मुर्शिदाबाद के बीमार शिक्षक 35 वर्षीय प्रबीन करमाकर की हाल ही में हुई मौत को भी उनके भविष्य की अनिश्चितता से उत्पन्न तनाव का दुखद परिणाम बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘वह अपनी चिकित्सा स्थिति के कारण पहले से ही तनाव में थे। मुख्यमंत्री का यह बयान सुनने के बाद कि योग्य उम्मीदवारों को भी नई परीक्षा देनी होगी, उनकी हालत और खराब हो गई, जिसके कारण उन्हें घातक हृदयाघात हुआ। वह अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे।’’
उन्होंने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि वह उच्चतम न्यायालय से समीक्षा याचिका पर शीघ्र सुनवाई की अपील करे।
मंडल ने कहा, ‘‘किसी भी योग्य और बेदाग शिक्षक को एसएससी की गलतियों के कारण दोबारा परीक्षा देने के सदमे से गुजरने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।’’
इस बीच, राज्य सरकार ने बुधवार रात करीब 40,000 शिक्षकों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी कर दी। अधिसूचना में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में पूर्व शिक्षण अनुभव वाले उम्मीदवारों को अतिरिक्त अंक प्रदान किए जाने का प्रावधान है।
भाषा धीरज माधव
माधव
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