अगरतला, दो जुलाई (भाषा) त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल ‘इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा’ (आईपीएफटी) के नेताओं का एक समूह शनिवार को दलबदल कर यहां एक कार्यक्रम में क्षेत्रीय पार्टी तिप्रा मोथा में शामिल हो गया। यह घटनाक्रम राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हुआ है।
हालांकि, पार्टी से दो मंत्री सहित सभी सात विधायकों ने पाला नहीं बदला। पार्टी के दोनों खेमों के नेता विधायक हैं। एक अन्य विधायक ने पिछले साल विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
आईपीएफटी के उपाध्यक्ष जिबंजॉय रियंग, महासचिव धनंजय त्रिपुरा, सहायक महासचिव मिंटू देबवर्मा और महिला शाखा की प्रमुख रेखा कोलोई उन नेताओं में शामिल हैं जो अपने समर्थकों के साथ तिप्रा मोथा में शामिल हुए हैं।
तिप्रा मोथा पार्टी के प्रमुख प्रद्योत किशोर देबवर्मा ने इस अवसर पर कहा, ‘‘जनता हमेशा ही पार्टी से बड़ी होती है। एकजुट रहें और दिल्ली में एक स्वर में बोलें ताकि ग्रेटर तिप्रालैंड की मांग के संवैधानिक समाधान के लिए दबाव बनाया जा सके।’’
‘ग्रेटर तिप्रालैंड’ त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद को विभाजित कर जनजातीय लोगों के लिए एक अलग राज्य ‘तिप्रालैंड’ की आईपीएफटी की पूर्व की मांग का विस्तार है।
परिषद के दायरे में त्रिपुरा का दो-तिहाई क्षेत्र आता है।
उल्लेखनीय है कि आईपीएफटी ने 25 जून को घोषणा की थी कि पार्टी का दो जुलाई को तिप्रा मोथा में विलय हो जाएगा।
वहीं, आईपीएफटी के सहायक महासचिव मिंटू देबवर्मा ने कहा, ‘‘आईपीएफटी के करीब 70 प्रतिशत नेता एवं कार्यकर्ता आज तिप्रा मोथा में शामिल हुए।’’
हालांकि, उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जो आईपीएफटी में ही शेष रह गये हैं वे जल्द ही तिप्रा मोथा से हाथ मिला लेंगे।
मिंटू देबवर्मा ने यह आरोप लगाया कि वरिष्ठ नेता एन सी देबवर्मा ने मेवार कुमार जमातिया को अवैध तरीके से हटा दिया, जो अप्रैल में आईपीएफटी के संविधान के मुताबिक पार्टी प्रमुख चुने गये थे।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि जमातिया और कुछ अन्य विधायक कुछ समय बाद तिप्रा मोथा में शामिल होंगे।
राज्य की 60-सदस्यीय विधानसभा में आईपीएफटी के शुरुआत में आठ विधायक थे, लेकिन एक ने साल भर पहले विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, हालांकि यह अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है।
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