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Wednesday, 8 May, 2024
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श्रद्धा के पहले भी हुई हैं ऐसी कई निर्मम हत्याएं, नीरज ग्रोवर और तंदूर केस इसके उदाहरण है

श्रद्धा की हत्या से मिलते-जुलते पहले भी कई ऐसे हत्याकांड सामने आए हैं, जहां आरोपियों ने शवों को ठिकाने लगाने के लिए घिनौनेपन की हदों को पार कर दिया. इन मामलों ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था.

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नई दिल्ली: श्रद्धा हत्या मामले ने देश में अतीत में हुई कुछ सबसे खौफनाक हत्याओं की याद दिला दी है. दिल्ली में नैना साहनी (1995), मुंबई में नीरज ग्रोवर (2008) और देहरादून में अनुपमा गुलाटी (2010) की हत्या को आज भी कोई भूला नहीं होगा.

18 मई को 27 साल की श्रद्धा वालकर की कथित तौर पर उसके लिव-इन पार्टनर आफताब पूनावाला ने आपसी झगड़े के बाद हत्या कर दी थी. दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, आफताब ने बताया कि उसने गुस्से में आकर श्रद्धा की हत्या कर दी और फिर शव के टुकड़े-टुकड़े कर उन्हें ठिकाने लगा दिया. उसने कथित तौर पर उन टुकड़ों को एक फ्रिज में रखा, जिसे वह हत्या के एक दिन बाद खरीद कर लाया था.

मुंबई में भी सालों पहले एक ऐसा ही खौफनाक मामला सामने आया था. टेलीविजन एग्जीक्यूटिव नीरज ग्रोवर की हत्या ने लोगों को हिला कर रख दिया था. इस मामले में दो आरोपी थे. नीरज की गर्लफ्रेंड जो एक अभिनेत्री थी और उसका मंगेतर, जो एक नौसेना अधिकारी था. आरोपी ने पीड़ित की हत्या करने के बाद शव को 300 टुकड़ों में काट डाला था.

लेफ्टिनेंट एमिल जेरोम मैथ्यू ने 26 साल के ग्रोवर को उस समय चाकुओं से गोद डाला था, जब उसने अपनी मंगेतर कन्नड़ अभिनेत्री मारिया सुसैराज के फ्लैट में दोनों को साथ देखा. इसके बाद मैथ्यू और सुसाईराज ने कथित तौर पर ग्रोवर के शरीर को 300 टुकड़ों में काट दिया और टुकड़ों को डफल बैग में भरकर कहीं दूर ले गए और जला डाला.

2011 में मुंबई की एक अदालत ने मैथ्यू पर भारतीय दंड संहिता की धारा 300 और 204 के तहत गैर इरादतन हत्या और सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया और उसे 10 साल की कैद की सजा सुनाई. वहीं सुसाईराज पर सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया गया था और उसे तीन साल की जेल की सजा दी गई.

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अदालत ने यह भी देखा था कि ग्रोवर की हत्या पूर्व नियोजित नहीं थी. गुस्से में आकर कुछ पलों में किया गया कृत्य था. 2 जुलाई 2011 को सुसाईराज को जेल से रिहा कर दिया गया क्योंकि वह पहले ही तीन साल की सजा काट चुकी थी.


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ईर्ष्या और पुलिस को गुमराह करने का प्रयास

7 मई 2008 को सुबह 7 बजे सुसाईराज ने घंटी की आवाज सुनी, तो उसने दरवाजा खोला और हताश मैथ्यू को अपने सामने खड़ा पाया. दरअसल नौसेना अधिकारी कोच्चि, केरल से मुंबई में सुसाईराज के नए अपार्टमेंट में इसलिए आया था क्योंकि सुसाईराज ने उसे बताया था कि पिछली रात ग्रोवर घर सेट करने में उसकी मदद के लिए यहां आया हुआ है. मैथ्यू जब अपनी मंगेतर के बेडरूम में गया और उसने ग्रोवर को देखा, तो वह आग बबूला हो गया. तब दोनों के बीच लड़ाई हुई जिसके बाद मैथ्यू रसोई में गया, चाकू उठाया और ग्रोवर की हत्या कर दी.

सुसाईराज तब कथित तौर पर तकरीबन 10 बजे बेडशीट, पर्दे, दो डफल बैग और चाकू खरीदने के लिए पास के एक मॉल में गई थी. दोनों ने कथित तौर पर ग्रोवर के शरीर के टुकड़े किए और उन्हें बैग में भर दिया. अपने बचाव में सुसाईराज ने कहा था कि वह मैथ्यू से डर गई थी और दबाव में सबूत नष्ट कर दिए. इसके बाद दोनों एक कार में शहर से बाहर चले गए और पेट्रोल डालकर बैग को जला दिया.

ग्रोवर मामले में, सुसाईराज ने शुरू में यह कहकर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की कि पीड़ित 6 मई (हत्या से एक दिन पहले) को उसके घर नहीं रुका था. वह एक पार्टी में जाने के लिए वहां से निकल गया था. उसके दोस्तों ने यह कहते हुए पुलिस से संपर्क किया था कि ग्रोवर का फोन 6 मई से नहीं मिल रहा है. सुसाईराज ने दावा किया था कि ग्रोवर ने अपना फोन उसके घर पर छोड़ दिया था. लेकिन पुलिस ने पाया कि उसके फोन पर 7 मई की सुबह एक टेक्स्ट मैसेज आया हुआ था.

फोरेंसिक जांच ने पुष्टि की कि चाकू पर लगे खून के निशान ग्रोवर के थे. इसके अलावा, गवाहों के बयानों ने ग्रोवर की मौत के बाद दोनों के साथ बाहर जाने और पेट्रोल खरीदने की पुष्टि की थी. गवाहों में सुसाईराज की सोसायटी का एक चौकीदार और एक पेट्रोल पंप अटेंडी शामिल था. सुसाईराज के अपराध स्वीकार करने के बाद मैथ्यू को गिरफ्तार किया गया था.

श्रद्धा हत्याकांड में भी आफताब और उसका 27 वर्षीय लिव-इन पार्टनर अक्सर बेवफाई, पैसे समेत कई और बातों को लेकर झगड़ते रहते थे. हत्या की रात, श्रद्धा को कथित तौर पर आफताब के फोन में कुछ चैट मिलीं और उसने उसके साथ धोखा करने का आरोप लगाया.

दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा कि दोनों कुछ समय से अपने रिश्ते पर काम करने की कोशिश कर रहे थे. पुलिस ने बताया कि दिल्ली लौटने से पहले वे उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश भी घूम कर आए थे.

इस मामले में पुलिस का अंदेशा यही है कि आफताब का कोई साथी नहीं था और उसने अकेले ही शव को काटा और चार महीने से ज्यादा समय में तीन अलग-अलग जगहों पर उन्हें डिस्पोज किया. पुलिस ने कहा कि 28 साल के आरोपी ने हत्या के चार हफ्ते बाद फिर से एक डेटिंग ऐप पर लॉग इन किया और यहां तक कि एक महिला, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट को भी उसी घर में लाया, जहां शरीर के टुकड़े फ्रिज में रखे हुए थे.

वालकर परिवार ने श्रद्धा के एक दोस्त के कहने पर मुंबई पुलिस से संपर्क किया था. उसके बाद 12 नवंबर को पूनावाला को गिरफ्तार किया गया था.

उसके पिता द्वारा एफआईआर दर्ज कराने के बाद मुंबई और दिल्ली पुलिस दोनों ने उससे पूछताछ की थी. उसने कथित तौर पर पुलिस को यह कहकर गुमराह करने की कोशिश की कि श्रद्धा उसे 22 मई को छोड़कर चली गई थी और उसे उसके ठिकाने के बारे में नहीं पता है. श्रद्धा के दोस्त लक्ष्मण नाडा ने पिता को यह कहते हुए सचेत किया था कि उसका फोन नहीं मिल रहा है और कई महीनों से उसका अता-पता नहीं है.

पुलिस के मुताबिक, 9 जून तक तो आफताब खुद ही श्रद्धा बनकर उसके दोस्तों से चैट करता रहा था. श्रद्धा के फोन की मोबाइल लोकेशन, उसके अकाउंट से आफताब के अकाउंट में हुए बैंक ट्रांसफर और उसके बदलते बयानों ने पुलिस को उसके गुनाहों के पास पहुंचा दिया.


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अतीत में अन्य मामले

1995 का ‘तंदूर हत्याकांड’ भी काफी चर्चा में रहा था. 30 वर्षीय नैना साहनी की उनके पति – तत्कालीन युवा कांग्रेस नेता सुशील शर्मा – ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. उसने उसके शरीर को टुकड़ों में काटा और दिल्ली के एक रेस्टोरेंट के ‘तंदूर’ में जलाने की कोशिश की थी. लेकिन तंदूर से निकलने वाले धुएं और बदबू ने इलाके में गश्त कर रहे पुलिसकर्मियों का ध्यान खींचा तो शर्मा को पकड़ लिया गया. अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के 23 साल से अधिक समय बाद शर्मा दिसंबर 2018 में जेल से रिहा हो गए थे.

कुछ इसी तरह का मामला सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी का था. उसने देहरादून में अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी की हत्या के बाद उसके शरीर को लगभग 70 टुकड़ों में काट डाला था. विदेश से लौटे दंपत्ति के बीच अक्सर बेवफाई, शक को लेकर झगड़ा होता रहता था.

17 अक्टूबर 2010 की रात दोनों के बीच एक बार फिर से झगड़ा हुआ. लड़ाई के दौरान अनुपमा का सिर दीवार से लगा और वह बेहोश हो गई. इसके बाद गुलाटी ने कथित तौर पर उसकी गला दबाकर हत्या कर दी और बिजली के आरी से शरीर के टुकड़े कर दिए. पुलिस ने कहा कि वह मसूरी-देहरादून हाईवे शरीर के टुकड़ों को फेंकता रहा था.

हत्या के करीब दो महीने बाद मामला सामने आ पाया था. डीप फ्रीजर से शरीर के कुछ हिस्से भी बरामद हुए थे. गुलाटी को 2017 में दोषी ठहराया गया और वह जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(अनुवादः संघप्रिया मौर्य)


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