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Sunday, 12 May, 2024
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क्या जामिया के युवक को ‘IS के लिए पैसे जुटाने के लिए सीरियाई लड़की ने उकसाया था? NIA के सामने आया ‘रोमांटिक एंगल’

मूल रूप से पटना के रहने वाले मोहसिन अहमद के परिवार ने बीटेक के इस छात्र को एक तेज दिमाग वाला और शर्मीला लड़का बताते हुए उसके ऐसी गतिविधियों में शामिल होने पर सवाल उठाया है.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दुर्दांत आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) के लिए पैसे जुटाने के मामले में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के एक 22 वर्षीय बीटेक छात्र की कथित भागीदारी के पीछे का एक संभावित रोमांटिक एंगल ढूंढ निकाला है.

सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, आईएस के साथ कथित तौर पर जुड़ाव के आरोप में शनिवार को गिरफ्तार किए गए इस छात्र को एक सीरियाई लड़की से ‘प्यार’ हो गया था, जिसने उसे ‘जिहाद के लिए क्राउडफंडिंग के माध्यम से पैसे इकट्ठा करने और फिर उसे आईएसआईएस के सीरिया में अल-होल स्थित कैंप (‘आईएस’ की लड़ाई से विस्थापित लोगों को नज़रबंद करने वाला कैंप) सहित अन्य कैंपस में भेजने के लिए प्रोत्साहित किया था.

सूत्रों ने बताया कि पटना के मूल निवासी मोहसिन अहमद ने ‘न केवल भारत से बल्कि मालदीव, बांग्लादेश और इंडोनेशिया से भी एक प्रमुख क्रिप्टो प्लेटफॉर्म के खाते में क्रिप्टोकरेंसी के रूप में 4 लाख रुपये से अधिक एकत्र किये थे. सूत्रों ने कहा कि इस पैसे को बाद में ‘आईएसआईएस की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए इराक और सीरिया भेजा गया था.

बता दें कि एनआईए ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के इस छात्र को दिल्ली स्थित बटला हाउस से आईएसआईएस का सक्रिय सदस्य होने के आरोप में 25 जून को पूरे भारत में आतंकवादी समूह की ऑनलाइन और जमीनी गतिविधियों से संबंधित दर्ज एक मामले के तहत गिरफ्तार किया था.

सूत्रों ने कहा कि अहमद को जामिया के ही एक दूसरे छात्र द्वारा उसकी ‘संदिग्ध गतिविधियों’ के बारे में एजेंसी को ‘सतर्क’ करने के बाद गिरफ्तार किया गया था.

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सूत्रों ने बताया कि यह छात्र पिछले करीब तीन साल से फेसबुक और टेलीग्राम के जरिए इराक और सीरिया के लोगों के संपर्क में था और इसी समय काल के दौरान वह कट्टरपंथी बन गया.

इन सूत्रों में से एक ने कहा, ‘वह कोटा में इंजीनियरिंग के लिए कोचिंग क्लास ले रहा था और वहीं वह ऑनलाइन माध्यम से उन लोगों के संपर्क में आया जिन्होंने उसे जिहाद के संबंधित साहित्य भेजे. वह अक्सर आईएसआईएस के वीडियो देखता था, जिसमें अबू बक्र अल-बगदादी (इस समूह का नेता) के वीडियो भी शामिल थे. वह पूरी तरह से कट्टरपंथी हो चुका था और कई ऐसे टेलीग्राम चैनलों का हिस्सा बन गया था जहां जिहाद के विचार पर चर्चा की जाती थी.

सूत्र ने आगे बताया, ‘यही वह समय था जब वह एक ऐसी लड़की के साथ ऑनलाइन संपर्क में आया, जो सीरिया में रहती थी. अपनी पूछताछ में, मोहसिन ने दावा किया कि उसे इस लड़की से प्यार हो गया और उसने उसे क्राउडफंडिंग के जरिये पैसे इकट्ठा करने और सीरिया भेजने के लिए कहा.‘

सूत्र ने कहा, इसके बाद अहमद ने जामिया में अपने सहपाठियों के एक समूह के साथ इस बारे में चर्चा शुरू की, उन्हें ‘लड़ाई में शामिल होने’ के लिए मनाने की कोशिश भी की.

हालांकि, छात्र के परिवार ने इस तरह की गतिविधियों, जिसके लिए उसपर आरोप लगाए गए हैं, में उसकी संलिप्तता पर सवाल उठाया है.

अहमद के पिता ने दिप्रिंट को बताया कि उनका बेटा ‘बहुत तेज दिमाग’ वाला था. उन्होंने कहा, ‘उसने अपनी कक्षा 10 की परीक्षा में 94 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे. वह वैसा नहीं है जैसा कि उसे हर जगह दिखाया जा रहा है.’

अहमद की तीन बहनें हैं- दो बड़ी और एक छोटी और उन्होंने भी उसके ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया.

मोहसिन के इस कथित रिश्ते के बारे में पूछे जाने पर उनमें से एक ने कहा, ‘यह एक मजाक है. वह शर्मीला और विनम्र लड़का है. अगर वह प्यार में होता तो मुझे जरूर पता होता. इसके अलावा, अगर वह वाकई कट्टरपंथी हो चुका था, तो जब वह हमारे साथ रह रहा था तब यह सब हमें क्यों नजर नहीं आया?’

उसकी बहन ने बताया कि अहमद अपनी कक्षा 12 की परीक्षा से पहले एक साल से भी कम समय के लिए कोटा में रहा था. उसने कहा, ‘वह एक पायलट बनना चाहता था. फिर उसने कंप्यूटर साइंस की पढाई करने की योजना बनाई लेकिन इसके बजाय उसे इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में प्रवेश मिल गया. हम मजबूती के साथ खड़े हैं. वह जल्द ही बाहर होगा और उसके सामने एक लंबा जीवन है.’

इस बीच, जांचकर्ताओं ने अहमद द्वारा किए गए कथित लेनदेन के बारे में डेटा प्राप्त करने के लिए क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट वाली कंपनी से संपर्क किया है.


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‘पूरे देश के स्तर पर की गई धर-पकड़ की कार्रवाई’

सूत्रों ने कहा कि अहमद की गिरफ्तारी, भारत भर में फैले ऐसे जमीनी कार्यकर्ताओं के एक नेटवर्क का भंडाफोड़ करने के लिए की गई एक बड़ी धरपकड़ वाली कार्रवाई का हिस्सा है, जो आईएस के लिए काम कर रहे हैं और ‘देश में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें अपने साथ शामिल करने’ की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा कि एनआईए आईएस में शामिल होने के इच्छुक युवाओं और उनका ‘इंटरनेट पर ब्रेनवॉश’ कैसे किया जाता है, इस बारे में मिली ‘विशिष्ट खुफिया जानकारी’ के आधार पर काम कर रही है.

सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने उन इलाकों की पहचान कर ली है जहां से ये इंडक्शन हो रहे हैं.

उपरोक्त सूत्र ने कहा, ‘ये लोग अलग-अलग राज्यों में फैले हैं मगर एक ही नेटवर्क का हिस्सा हैं. वे एन्क्रिप्टेड सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की मदद से एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं. उन्हें जितना संभव हो सके उतनी संख्या में अधिक से अधिक युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें अपने साथ जोड़ने का काम दिया जाता है. साथ ही, अहमद जैसे कुछ होनहार रंगरूटों को अपने साथ सहानुभूति रखने वालों की पहचान करने और उनसे पैसे जुटाने के लिए कहा जाता है.’

पिछले रविवार को, एनआईए ने इस मामले के संबंध में मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में 13 स्थानों पर तलाशी ली और कहा जाता है कि उन्होंने बहुत सारी ‘आपत्तिजनक सामग्री’ जब्त की है.

एनआईए ने केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में आईएस से सहानुभूति रखने वाले साथिक बाचा से संबंधित एक मामले में भी तलाशी अभियान चलाया. बाचा को तमिलनाडु में चार अन्य लोगों के साथ कथित तौर पर आम जनता और पुलिस को धमकाने की साजिश रचने और 21 फरवरी को उसके वाहन की जांच करने वाले पुलिसकर्मियों की हत्या की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.

एनआईए के द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, बाचा और उसके साथी ‘भारत के एक हिस्से को इससे अलग करने के लिए नफरत भड़काने में शामिल थे और ‘खिलाफत पार्टी ऑफ इंडिया’, ‘खिलाफत फ्रंट ऑफ इंडिया’ ‘इंटेलेक्चुअल स्टूडेंट्स ऑफ इंडिया’ जैसे संगठन बनाकर भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने का इरादा रखते थे. साथ ही, उन्होंने खुद को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों आईएसआईएस/दाएश और अल-कायदा से जोड़ रखा था.


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‘वे कुछ दिन पहले रहने आये थे’

बाटला हाउस की जापानी गली की तंग गलियों में वह चार मंजिला इमारत बनी है जहां अहमद अपने चार साथियों के साथ रहता था.

इस आपस में जुड़ी गलियों में कोई भी आसानी से गुम हो सकता है. अहमद की गिरफ्तारी के दिन तक यह इमारत काफी हद तक मामूली ही नजर आती थी लेकिन इसके बाद के दिनों में इसे स्थानीय निवासियों द्वारा उस इमारत के रूप में वर्णित किया जा रहा है ‘जहां आतंकवादी कहा जा रहा लड़का रहता था’.

इस गिरफ्तारी पर वहां के पड़ोसी और दुकानदार चुप्पी साधे हुए हैं. हालांकि उनमें से कुछ ने इसे ‘मुस्लिम विरोधी प्रचार’ कहा, जबकि कुछ अन्य ने सुरक्षा एजेंसियों पर बाटला हाउस क्षेत्र, जहां 14 साल पहले एक कुख्यात मुठभेड़ हुई थी, को स्टीरियोटाइप (खास तरह की पहचान वाली) करने का आरोप लगाया.

मोहसिन के एक निकटतम पड़ोसी ने दिप्रिंट को बताया कि अहमद और चार अन्य लड़के, जो सभी छात्र थे, लगभग एक पखवाड़े पहले उस फ्लैट में आए थे.

एक 40 वर्षीय शख्स ने कहा, ‘वे पांचों यहां आये और एक साथ रहने लगे. उन्होंने कभी कोई शोर नहीं मचाया. एनआईए के आने तक कोई हो-हल्ला नहीं था. वे पहले तीन लड़कों को यहां से ले गए लेकिन उनमें से दो को उसी दिन थोड़े समय बाद छोड़ दिया गया. अब हर कोई इस इमारत की पहचान उस इमारत के रूप में करता है जहां एक संदिग्ध आतंकवादी रहता था.’

उन्होंने कहा, ‘ये सभी छात्र हैं, जो अपने-अपने परिवार से दूर रह रहे हैं. कोई भी उनकी बेगुनाही की पूरी तरह से पुष्टि नहीं कर सकता है. लेकिन कौन सा शख्स दो साल के लिए कोचिंग के लिए जाता है और फिर एक शीर्ष स्तर के इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश करने के बाद आतंकवादी बन जाता है?’

वे कहते हैं, ‘कुछ कड़ियां जुड़ नहीं रहीं हैं. हालांकि, कोई भी सच जानने के लिए इंतजार नहीं करना चाहता. यह सारी प्रक्रिया (गिरफ्तारी और मुकदमे की) अपने आप में सजा बन जाती है. इस लड़के का पूरा ब्यौरा मीडिया में है. कोई भी उसके परिवार के बारे में नहीं सोच रहा है.’

एक दुकानदार ने याद करते हुए कहा कि उसने इन लड़कों को कभी-कभार देखा तो जरूर है लेकिन एक साथ कभी नहीं देखा. उसने कहा, ‘लेकिन उनके नाम या चेहरे याद रखना मुमकिन नहीं है, क्योंकि यहां इतने सारे छात्र रहते हैं. मोहसिन रोजमर्रा की जरूरतों का सामान लेने आया था. वह मीठा बोलने वाला और विनम्र नजर आता था.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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