scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमदेशअर्थजगतमोदी सरकार 'शगुन' के लिए लाना चाहती थी 11 और 21 रुपये के नोट

मोदी सरकार ‘शगुन’ के लिए लाना चाहती थी 11 और 21 रुपये के नोट

नोटबंदी के पहले मोदी सरकार ने 11 रुपये और 21 रुपये के नए नोट शुरू करने का विचार किया था, लेकिन इस विचार को अंततः दफन कर दिया गया.

Text Size:

नई दिल्ली : नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद 1000 और 500 रुपये के नोट बंद हो गए थे. पिछले दो सालों में भारत को 200 और 2000 के नए नोट मिले हैं. लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.

दिप्रिंट को पता चला है कि नोटबंदी की कवायद से पहले ही मोदी सरकार ने 11 रुपये और 21 रुपये के नए नोट शुरू करने का विचार किया था, जो कि शगुन के रूप में या नगद उपहार सौंपने के लिए व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं, इसके अलावा धार्मिक दान में भी इसका इस्तेमाल होता है.

सरकार के शीर्ष सूत्रों का कहना है कि इस प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच में सक्रिय रूप से चर्चा हुई थी, जब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) राजीव महर्षि वित्त सचिव थे, लेकिन इस विचार को अंततः दफन कर दिया गया.

इसके अलावा सरकार नोटबंदी पर ज़्यादा केंद्रित थी. दिप्रिंट को यह भी पता चला है कि आरबीआई ने आपत्तियां उठाई थीं कि इन नोटों को वैध मुद्रा नहीं माना जा सकता है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि ‘नई मुद्राओं की शुरुआत के लिए कई प्रस्ताव आते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन सभी प्रस्तावों का पालन किया जाता है. यह प्रक्रिया का हिस्सा होता है.’

उन्होंने यह बताया कि एक रुपये का उपयोग अकेले नहीं किया जाता है. ज़्यादातर इसका उपयोग उच्च मूल्य लेनदेन के परिवर्तन के रूप में किया जाता है. हालांकि यह समझने के लिए चर्चा हुई कि क्या इस मुद्दे पर ध्यान दिया जा सकता है.’

मुद्रा

उपयोगिता, मांग और आवश्यकता के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के साथ सरकार समय-समय पर जारी किए जाने वाले बैंक नोटों के मूल्यवर्ग पर निर्णय लेती है.

अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय बैंक अपने शोध के आधार पर प्रत्येक मुद्रा की मात्रा का आंकलन करता है. जिसकी ज़रूरत होती है और उसी के अनुसार सिक्कों और बैंक नोटों की छपाई होती है.

अधिकारी ने कहा कि उपयोग और मूल्य के आधार पर, नोटों को वापस ले लिया गया है.

उदाहरण के लिए पिछले कुछ वर्षों में 5 पैसे, 10 पैसे, 20 पैसे और 25 पैसे के मूल्य के सिक्कों को वापस ले लिया गया है, जबकि आरबीआई ने 1938 से 1954 में 10,000 रुपये के बैंक नोट भी निकाले हैं.

इस बीच नोटबंदी के दो साल से अधिक समय के बाद भी देश में कुल एटीएम में से आधे से अधिक एटीएम अभी भी 200 रुपये के नोट नहीं दे रहे हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘वर्तमान में, केवल यह सुनिश्चित करना है कि एटीएम में से 200 रुपये के नोट आसानी से निकल सकें.’

इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

share & View comments