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Tuesday, 18 June, 2024
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बीथोवन के जिनोम मानचित्र से उनके स्वास्थ्य, मौत और पारिवारिक इतिहास के संकेत मिले

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नयी दिल्ली, 23 मार्च (भाषा) वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय टीम ने महान संगीतकार लुडविग वान बीथोवन के बालों के पांच गुच्छों का इस्तेमाल कर पहली बार किए गए आनुवांशिकी अध्ययन के जरिये उनका जिनोम मानचित्र तैयार किया है।

ब्रिटेन स्थित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता नीत टीम द्वारा किए गए अनुंसधान ने जर्मन के संगीतकार के स्वास्थ्य संबंधी नयी जानकारी दी है और इसने उनके वंश क्रम और मौत को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

अनुसंधानकर्ताओं ने ब्रिटेन, यूरोप और अमेरिका के सरकारी और निजी संग्रह कर्ताओं के पास संग्रीत बीथोवन के बालों के आठ नमूनों पर सत्यापन जांच की।

अध्ययन को जर्नल करंट बायोलॉजी में प्रकाशित किया गया है जिसके मुताबिक बीथोवन के कथित बालों के पांच गुच्छों का मिलान दस्तावेज में उपलब्ध संगीतकार के वंशानुक्रम से किया गया। बालों के ये सभी गुच्छे उनके जीवन के अंतिम सात वर्षों के दौरान लिए गए।

इतिहास में मौजूद तथ्यों और इन आनुवंशिकी आंकड़ों का मिलान करने के बाद अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि बालों के ये पांच गुच्छे ‘‘ पूरी तरह से उनके हैं।’’

यह अध्ययन बीथोवन की स्वास्थ्य समस्या को लेकर किया गया था जिसमें उनके सुनने की क्षमता का धीरे-धीरे क्षीण होना शामिल है। बीथोवन जब 20 साल के थे तब उन्हें समस्या शुरू हुई और उन्होंने वर्ष 1818 में सुनने की क्षमता खो दी।

अनुसंधान टीम ने बीथोवन की पेट की समस्या और लिवर की गंभीर बीमारी के संभावित आनुवांशिक कारण का पता लगाने की भी कोशिश की जिससे अंतत: सन 1827 में उनकी 56 साल की उम्र में मौत हुई।

जर्मनी के बोन शहर में जन्में बीथोवन को पेट की समस्या थी और ऑस्ट्रिया के विएना में रहने के दौरान उनकी स्थिति और खराब हो गई।

अनुसंधानकर्ता बीथोवन के बहरे होने या पेट की समस्या का सटीक कारण पता लगाने में असफल रहें लेकिन उन्होंने लिवर की बीमारी के लिए कुछ आनुवांशिकी खतरे की पहचान की।

उन्होंने पाया कि संगीतकार जब आखिरी बार बीमार हुए तो कुछ महीने पहले वह हेपिटाइटिस बी वायरस से संक्रमित हुए थे।

मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ इवोल्यूशनरी एंथ्रोपॉलाजी के जोहांस क्रास ने बताया की टीम ने बेल्जियम में रह रहे उनके रिश्तेदारों के आनुवांशिकी का भी विश्लेषण किया और पाया कि वे बीथोवन से मेल नहीं खाते। उन्होंने बताया कि बीथोवन के कुछ रिश्तेदारों की आनुवंशिकी 1500 सदी के उत्तरार्ध और 1600 सदी के शुरुआती दौर में उनके पितृ पक्ष की आनुवांशिकी से मेल खाते हैं।

टीम का निष्कर्ष है कि ऐसा इसलिए संभव हुआ होगा कि क्योंकि बीथोवन से सीधे तौर पर संबंध रखने वाले उनके पूर्वज में किसी एक का विवाहेत्तर संबंध था।

भाषा धीरज पवनेश

पवनेश

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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