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Wednesday, 18 December, 2024
होमदेशबीथोवन, पुनर्जन्म, पारसी धर्म: पूर्व SC जज रोहिंतन मिस्त्री का यूट्यूब पर नया अवतार

बीथोवन, पुनर्जन्म, पारसी धर्म: पूर्व SC जज रोहिंतन मिस्त्री का यूट्यूब पर नया अवतार

जस्टिस नरीमन ने, जो 12 अगस्त 2021 को रिटायर हुए थे, ‘जस्टिस नरीमन ऑफीशियल चैनल’ नाम से एक यूट्यूब चैनल शुरू किया है. इसके 8,760 सब्सक्राइबर्स हैं, और वीडियोज़ के 16,000 से अधिक व्यूज़ हैं.

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नई दिल्ली :कुछ किसी ट्रिब्युनल पर बैठ सकते हैं, कुछ दूसरे कमेटियों में अदालतों की सहायता कर सकते हैं, और कुछ राज्यपाल का पद या राज्यसभा नामांकन स्वीकार कर सकते हैं.

लेकिन पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस रोहिंतन एफ नरीमन ने- फिलहाल के लिए- रिटायरमेंट का एक अलग रास्ता चुना है. वो रास्ता जिसमें उन्हें पश्चिमी शास्त्रीय संगीत , बीथोवन, पुनर्जन्म, अकबर, और इसपर बात करते हुए देखा जा सकता है, कि किस तरह पियानो सीखना उनके लिए ‘बहुत सुखद अनुभव नहीं था’.

जस्टिस नरीमन ने, जो एक 7 साल के कार्यकाल के बाद 12 अगस्त 2021 को रिटायर हुए थे, ‘जस्टिस नरीमन ऑफीशियल चैनल’ नाम से एक यूट्यूब चैनल शुरू किया है.

ये चैनल इसी महीने शुरू हो गया, और इसमें उनके लेक्चर्स और बातचीत के 48 वीडियोज़ दिखाए गए हैं, जिनमें क़ानून और इतिहास से लेकर धर्म, संगीत, और आध्यात्मिकता, लगभग हर विषय को कवर किया गया है.

विषयों में जाज़, पश्चिमी शास्त्रीय संगीत, पारसी इतिहास, पारसी धर्म, अकबर, सुलेमान 1, एलिज़ाबेथ 1, और पुनर्जन्म पर तुलनात्मक धार्मिक दृष्टिकोण आदि पर रोशनी डाली गई है.

फिलहाल इसके 8,760 सब्सक्राइबर्स हैं, और वीडियोज़ को 16,000 से अधिक व्यूज़ (शुक्रवार शाम तक) मिल चुके हैं.

अपने चैनल के बारे में दिप्रिंट से बात करते हुए जस्टिस नरीमन ने स्वीकार किया, कि शुरू में उन्हें मालूम नहीं था कि उनका अपना कोई चैनल हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘सच कहूं तो मुझे नहीं पता था कि ऐसी भी कोई चीज़ होती है. मुझे इसके बारे में युवाओं और अपने पेशे के जूनियर लोगों से पता चला’.

और इसलिए, जब चैनल की तैयारी चल रही थी, तो जज के दिमाग़ में ‘सबसे ऊपर’ युवा पीढ़ी थी. यही वजह से है कि इसकी विषय सामग्री में, क़ानूनी मुद्दों पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया गया है.

जस्टिस नरीमन ने कहा, ‘असल में, उनमें (वीडियोज़) बहुत से विषय ग़ैर-क़ानूनी हैं, वो पारसी धर्म और दूसरे मज़हबों पर हैं’.

पियानो के पाठ क्यों काम नहीं आए

जस्टिस नरीमन के अनुसार, एक यूट्यूब चैनल शुरू करने का विचार इस इच्छा के साथ आया, कि वो अपने सभी भाषणों को- जो सब जगह बिखरे पड़े थे- एक मंच पर लाना चाहते थे.

उन्होंने बताया, ‘जब उन लोगों (नौजवानों) ने मुझे बताया कि मेरा एक चैनल हो सकता है, तो मैंने एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाने के बारे में सोचा, जहां मैं अपने सारे भाषण डाल सकता था’.

जज ने आगे कहा, ‘मेरे पास क़रीब 55-60 भाषण हैं और वो सब जगह बिखरे हुए हैं. मेरे भाषण तलाशने के लिए जब लोग यूट्यूब पर जाकर मेरा नाम पंच करते हैं, तो उन्हें बहुत से प्लेटफॉर्म्स पर पहुंचा दिया जाता है, और बहुत बार उन्हें वो भाषण मिल ही नहीं पाता, जिसकी वो तलाश कर रहे हैं’.

जज ने कहा कि उनके हरी झंडी दिखाते ही ‘युवा लोग’, उनके लिए एक चैनल शुरू करने के काम में जुट गए.

ऐसा लगता है कि चैनल ने उनके लिए संभावनाओं की एक पूरी दुनिया खोल दी है, जहां वो अपने बरसों के भाषण और बातचीत के वीडियो शेयर कर सकते हैं, और अपनी रूचियों के बारे में और ज़्यादा खुलकर बात कर सकते हैं, जिनका एक बहुत व्यापक दायरा है.

अपने एक वीडियो में वो बात करते हैं, कि किस तरह उनके पेरेंट्स ग्रामोफोन रिकॉर्ड बजाया करते थे. उन्होंने कहा, ‘सबसे पुराना रिकॉर्ड जो मैं याद कर सकता हूं वो ‘माहलर्स फोर्थ’ है’.

‘दूसरे रिकॉर्ड्स जो मुझे याद हैं वो हैं बीथोवन नाइंथ, (कंडक्टर ओटो) क्लैम्परर और फिलहार्मोनिया के साथ 1964 का संस्करण, और बेशक ज़िंका मिलानोव (सोपरानो) के साथ एयडा. और ज़ाहिर है कि मैं इसी के साथ विकसित होकर, शास्त्रीय संगीत तक पहुंच गया’.

लेकिन, उन्होंने स्वीकार किया कि हालांकि उन्हें पियानो का अध्ययन कराया गया, लेकिन वो कोई ‘बहुत सुखद अनुभव नहीं था’. ‘मैंने उसमें अच्छा किया लेकिन दुर्भाग्यवश, मुझे पियानो बजाना पसंद नहीं आया’.


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ऋग्वेद, अशोक के शिलालेख, दूसरा विश्वयुद्ध

जस्टिस नरीमन 1979 में एक वकील के तौर पर पंजीकृत हो गए, और निर्धारित 45 वर्ष की बजाय 37 की आयु में ही सीनियर एडवोकेट नामित हो गए, चूंकि भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एमएन वेंकटचलैया ने, 1993 में उनके लिए नियमों में बदलाव कर दिया.

जुलाई 2014 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में तरक़्क़ी दे दी गई.

सब जानते हैं कि जस्टिस नरीमन को 12 वर्ष की उम्र में ही एक पारसी प्रीस्ट बना दिया गया था. उनकी याददाश्त बहुत तेज़ है, जिसके सहारे वो तारीख़ों, क़िस्सों, घटनाओं, नामों, और इतिहास, साहित्य, क़ानून तथा तुलनात्मक धर्म की छोटी से छोटी बारीकियों पर बात कर सकते हैं.

मसलन, 2019 के एक लेक्चर में, जिसे इसी महीने अपलोड किया गया, उन्हें बड़ी सहजता के साथ ऋग्वेद, ओल्ड टेस्टामेंट, और अवेस्ता (पारसी धर्म का पवित्र ग्रंथ) से हवाले देते, और सभी धर्मों में पुनर्जन्म के विचार पर बोलते हुए देखा जा सकता है.

2018 के एक और भाषण में उन्होंने कहा कि किस तरह ‘5वीं शताब्दी ईसा पूर्व एक उल्लेखनीय सदी थी’ क्योंकि ‘यहां भारत में कुछ महान विचारक थे- बुद्ध और महावीर; चीन में लाओ त्ज़ू और कनफ्यूशियस थे; यूनान में सुकरात, प्लेटो, अरस्तू थे, ये सब एक ही दौर में थे’.

और, अपने भाषण के अंत में उन्होंने दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के अपने दर्शकों के सामने, अशोक के शिलालेख की इबारत को बहुत स्पष्ट ढंग से याद किया.

उन्होंने कहा, ‘शिलालेख 12 में, भगवान की प्रियतमा पियादासी कहती है: अपने पंथ के गुणों का बखान मत कीजिए, पंथ की जगह धर्म शब्द लाकर, आप दूसरों के पंथ को बदनाम कर सकते हैं’.

इन सब के अलावा, चैनल पर उनके भाषणों में ‘पारसी धर्म का दर्शन और अभ्यास’, दूसरा विश्वयुद्ध, ‘पारसी इतिहास की रूपरेखा- अचमेनियन और सेसेनियन साम्राज्य: प्रेज़ेंटेशन बाइ रोहिंतन नरीमन’ तथा ‘गांधी और मध्यस्थता’ जैसे विषय शामिल हैं.

हालांकि जस्टिस नरीमन को तकनीक की बहुत अधिक समझ नहीं है, लेकिन वो चैनल संभालने को लेकर चिंतित नहीं हैं.

अब मैं जानता हूं कि मैं अपने भाषणों को अपलोड कर सकता हूं. हो सकता है कि ख़ुद ये काम न कर पाऊं, लेकिन इसमें सहायता करने के लिए मेरे पास युवा लोग मौजूद हैं’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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