नई दिल्ली: भारत को पिछले साल दिसंबर महीने में जी20 की अध्यक्षता मिली थी, जिसके बाद से ही इस मौके को भुनाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है और इसके लिए दिल्ली शहर का कायाकल्प किया जा रहा है. वहीं, राष्ट्रीय राजधानी में इन दिनों कई बस्तियों पर बुलडोजर भी चलाए जा रहे हैं. जी20 सम्मेलन में विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के राष्ट्राध्यक्ष भाग लेते हैं.
सड़कों को दुरुस्त किए जाने से लेकर सौंदर्यीकरण और ध्वस्तीकरण अभियान तक, दिल्ली और केंद्र सरकार की 20 से ज्यादा एजेंसियां शहर का कायाकल्प करने में जुटी हैं.
सितंबर में होनी वाली जी20 की मुख्य बैठक से पहले सारा काम पूरा करने का लक्ष्य है. हालांकि, इससे पहले राजधानी में सात महत्वपूर्ण बैठकें होनी तय हैं, जिनमें से अगले महीने मार्च में जी20 देशों के विदेश मंत्रियों की होने वाली बैठक शामिल है. दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि इस पूरी योजना में तकरीबन एक हज़ार करोड़ रुपए का खर्च आएगा.
सीपीडब्ल्यूडी के इंजीनियर-इन-चीफ अनंत कुमार ने बताया कि शहर के कई हिस्सों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने खासकर सड़कों की मरम्मत और नए साइन बोर्ड्स लगाने का काम शुरू हो चुका है.
उन्होंने कहा, “पुराने साइन बोर्ड्स को हटाकर नए साइनेज लगाए जाएंगे. वहीं, जिन मार्गों से जी20 देशों के डेलीगेट्स का आना-जाना होगा उन्हें भी सही किया जाएगा.”
पीडब्ल्यूडी के अलावा एमसीडी, एनडीएमसी और पर्यटन विभाग खास तौर पर इन तैयारियों में जुटा हुआ है.
संबंधित विभागों के अलावा दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना भी जी20 मेकओवर की प्रगति जानने के लिए उच्च-स्तरीय बैठक कर चुके हैं. हाल ही में उन्होंने दिल्ली के कई हिस्सों का दौरा कर अधिकारियों को काम की गति तेज करने का निर्देश दिया था.
हालांकि, दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के बीच सबकुछ ठीक नहीं है.
महरौली के आर्कियोलॉजिकल पार्क में हाल ही में चले ध्वस्त अभियान ने कई लोगों को सड़कों पर ला दिया, जिसके बाद ये राजनीतिक मुद्दा भी बन गया. आम आदमी पार्टी (आप) ने इसके लिए उपराज्यपाल को ज़िम्मेदार ठहराया है.
दिल्ली सरकार ने शहर में सौंदर्यीकरण का काम करने के लिए केंद्र से फंड्स की भी मांग की है. 4 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे एक पत्र में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार से जी20 की तैयारियों के लिए 927 करोड़ रुपए की मांग की.
दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि पीडब्ल्यूडी को 448 करोड़, एमसीडी को 249 करोड़ और पर्यटन विभाग को करीब 72 करोड़ रुपए की जरूरत है ताकि वे सुचारू ढंग से कार्य कर पाएं क्योंकि अब समिट में समय कम बचा है.
अधिकारी के अनुसार, “इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने का काम ब्रिटेन, सिंगापुर, इंडोनेशिया और जर्मनी की तर्ज पर किया जा रहा है क्योंकि ये देश पहले जी20 समिट को होस्ट कर चुके हैं.”
हालांकि, बीजेपी के प्रवक्ता ने फंड्स की मांग पर निशाना साधा, क्योंकि दिल्ली सरकार ने सरप्लस बजट का दावा किया था.
सीपीडब्ल्यूडी के कुमार ने कहा, ‘फंड्स की कोई कमी’ नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हमारा काम शहर के कई हिस्सों में शुरू हो चुका है.’
दिप्रिंट ने जी20 की तैयारियों का जायज़ा लेने के लिए शहर के कई हिस्सों का दौरा किया. एनडीएमसी इलाके में खिले खूबसूरत ट्यूलिप से लेकर सराय काले खां में तोड़े गए रैन बसेरे तक, इस बात का सबूत हैं कि शहर में जी20 की तैयारियां जोरों पर है. गड्ढों को भरना, बाज़ारों का नवीनीकरण और सांस्कृतिक समारोहों की तैयारियां लगातार जारी हैं.
हालांकि, आर्किटेक्ट और शहर के जानकार माधव रमन ने कहा कि जी20 जैसे इवेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कामों में तेज़ी लाने और साथ ही “सरकार की सेल्फ इमेज चमकाने” का भी मौका देते हैं. उन्होंने कहा कि वास्तव में सही विकास करने के लिए लंबे समय तक चलने वाले विज़न की ज़रूरत है.
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जी20 डेलीगेट्स का रखा जाएगा विशेष ध्यान
केंद्र और दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभाग इस बात का विशेष ध्यान रख रहे हैं कि जी20 डेलीगेट्स को शहर घूमने के दौरान किसी तरह की परेशानी न हो.
एमसीडी के अधिकारियों का कहना है कि मार्च में जी20 के विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले वे सड़कों के गड्ढे और सौंदर्यीकरण का काम पूरा कर लेंगे.
नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, “हमारा मुख्य जोर सड़कों का नवीनीकरण, गड्ढों को भरना, महत्वपूर्ण इमारतों की लाइटिंग, बाज़ारों और पार्कों को सुंदर बनाना है.” उन्होंने कहा कि ये सारे काम करने के लिए तकरीबन 250 करोड़ रुपए की ज़रूरत पड़ेगी.
अधिकारी ने कहा कि भीड़भाड़ वाले सरोजनी नगर मार्केट और साउथ एक्सटेंशन के बाज़ार को अपग्रेड किया जा रहा है और एमसीडी ने अब तक 12 क्षेत्रों में 257 सड़कों और गलियों को दुरुस्त करने के लिए चिन्हित किया है.
हालांकि, मार्च तक गड्ढों की मरम्मत का काम पूरा होना मुश्किल है. दिल्ली में जगह-जगह सड़कों पर हो रखे गड्ढे एक बड़ी मुसीबत है. एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के सड़कों पर 6,224 पोटहोल्स हैं जिनमें पीडब्यूडी के अंदर 2146 और एमसीडी के अंदर 4078 आते हैं.
इसके अलावा दिल्ली सरकार ने जी20 बैठक से पहले 17.5 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी है. इसके अंतर्गत मथुरा रोड, भैंरो रोड, रिंग रोड का कायाकल्प किया जाएगा क्योंकि ये रास्ते प्रगति मैदान तक जाते हैं जो कि जी20 की मुख्य बैठक का स्थान है.
एनडीएमसी भी सड़कों को बेहतर और सुंदर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.
दिल्ली कैंट से विधायक और एनडीएमसी के सदस्य वीरेंद्र सिंह कादियान ने दिप्रिंट को बताया कि एयरपोर्ट वाले इलाकों पर विशेष जोर दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा, “धौला कुआं से लेकर एयरपोर्ट तक सड़क किनारे ग्रिलिंग का काम किया जा रहा है और पौधरोपण के साथ जगब-जगह पर मूर्तियां भी लगाई जा रही हैं. एयरपोर्ट के आसपास की सड़कों को दुरुस्त किया जा रहा है और इलाके में लाइटिंग की व्यवस्था को बेहतर बनाया जा रहा है और आसपास से अतिक्रमण भी हटाया जा रहा है.”
पिछले साल दिसंबर में एनडीएमसी का बजट पेश करते हुए सिविक बॉडी के अध्यक्ष अमित यादव ने कहा था कि जी20 के लिए “60-100 करोड़ रुपए” रखे गए हैं. उन्होंने कहा था कि इस फंड से सड़कों को ठीक करना, फ्लाइओवर की साज-सज्जा और अन्य इवेंट पर खर्च किया जाएगा.
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जी20 के लिए क्या-क्या हो रही तैयारियां
दिल्ली को फूलों का शहर, कला का केंद्र और सांस्कृतिक विरासत को दिखाने के लिए तैयारियां तेज़ हो चुकी हैं.
जनवरी में एनडीएमसी ने नीदरलैंड्स से मंगाए गए एक लाख से ज्यादा ट्यूलिप को शहर के मुख्य केंद्रों पर लगाए गए, जो कि पिछले साल के मुकाबले कहीं ज्यादा है.
साथ ही फरवरी के अंत तक दिल्ली वालों के लिए ट्यूलिप फेस्टिवल भी चल रहा है और उम्मीद की जा रही है कि मार्च में जब जी20 डेलीगेट्स आएंगे तो ये फूल उनकी आंखों को सुकून देंगे.
दिल्ली के एक मुख्य हिस्से पर स्थित गोलचक्कर के माली ने चिंता जताई कि दिल्ली का मौसम ट्यूलिप के लिए उपयुक्त नहीं है और ये ज्यादा समय तक नहीं टिक सकते.
इसके अलावा एमसीडी भी अपने स्तर पर शहर में रंग भरने में लगी हुई है.
उक्त एमसीडी अधिकारी ने बताया, “एमसीडी ने लाजपत नगर मेट्रो स्टेशन के पास बंजर भूमि पर एक पार्क बनाया है, जिसमें लोगों के बैठने की व्यवस्था समेत विभिन्न प्रकार के फूल और पौधे लगाए गए हैं और कुछ महत्वपूर्ण स्थानों पर कलाकृतियां लगाने की भी योजना बनाई गई है.”
जब दिप्रिंट ने इस शुक्रवार को इस पार्क का दौरा किया तो पार्क के गेट पर ताला लगा हुआ था, जिससे पता चलता है कि इसे आम लोगों के लिए नहीं खोला गया है. वहीं, पार्क से सटे दीवार पर रंगीन अक्षरों से जी20 लिखा हुआ था.
दिल्ली का पर्यटन विभाग भी जी20 की तैयारियों में अपनी ओर से कोई कमी नहीं रखना चाहता. पर्यटन विभाग तकरीबन 72 करोड़ रुपए खर्च करने वाला है.
पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “हम आईएनए स्थित दिल्ली हाट और साकेत के गार्डन ऑफ फाइव सेंसेज का रेनोवेशन कर रहे हैं. इन जगहों पर भी डेलीगेट्स आएंगे. साथ ही डेलीगेट्स के लिए हेरिटेज वॉक का भी इंतेज़ाम किया जाएगा.”
साथ ही उन्होंने कहा कि पूरी दिल्ली में मार्च से लेकर सितंबर तक कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कराए जाएंगे. बता दें कि पिछले हफ्ते एनडीएमसी ने जी20 की थीम पर फूड फेस्टिवल का आयोजन कराया था.
इंडिया ट्रेड प्रमोशन आर्गेनाइजेशन (आईटीपीओ) जो कि सितंबर में होने वाली मुख्य बैठक के लिए प्रगति मैदान का सारा इंतज़ाम देख रहा है, उसके एक अधिकारी ने बताया कि यहां का काम लगभग पूरा हो चुका है.
उन्होंने कहा, “जी20 की बैठक कन्वेंशन सेंटर में होनी है. इसके आसपास के इलाके को बेहतर बनाया जा रहा है ताकि डेलीगेट्स को किसी तरह की असुविधा न हो.”
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एक तरफ चकाचौंध तो दूसरी तरफ पसरी उदासी
आंखों को खटकने वाली जगहों और अतिक्रमण को हटाना दिल्ली में जी20 की चल रही अब तक की तैयारियों का अभिन्न हिस्सा रहा है. इसके कारण कई लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए, वो भी बिना समयपूर्व चेतावनी के.
7 फरवरी को एमसीडी ने अतिक्रमण रोधी अभियान चलाया और एक बयान में दावा किया, “आगामी जी20 सम्मेलन के मद्देनज़र ये ज़रूरी कार्रवाई” है.
वहीं, केंद्र सरकार की एजेंसी दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) भी अपनी ज़मीन पर बसे अवैध निर्माण को हटा रही है.
बीते सोमवार को दिल्ली के महरौली में विवादास्पद अभियान भी चलाया गया. इसके बाद गुरुवार को डीडीए ने सराय काले खां बस टर्मिनल के पास बने रैन बसेरा को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया.
रैन बसेरा से कुछ ही दूरी पर यमुना है जिसके किनारे जी20 डेलीगेट्स के लिए एक पार्क का निर्माण किया जा रहा है.
डीडीए के एक अधिकारी ने बताया, “यमुना किनारे एक पार्क बनाया जा रहा है. यहां एक तालाब भी बनाया जा रहा है जिसमें कमल के फूल होंगे. डेलीगेट्स जब यहां आएंगे तो इसे देखेंगे.”
दिल्ली आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसयूबी) के एसिस्टेंट इंजीनियर (एई) लक्ष्मी ने बताया, “जी20 के मद्देनज़र हमें आदेश मिला था कि इस रैन बसेरा को तोड़ दिया जाए क्योंकि यहां ‘सौंदर्यीकरण का काम’ चल रहा है और इसे जल्द पूरा किया जाना है.” उन्होंने कहा कि 2014 में इस रैन बसेरा को बनाया गया था, तब इसकी ज़रूरत थी लेकिन अब बाहर के देशों से लोग यहां आ रहे हैं तो इसका यहां रहना ठीक नहीं था.
रैन बसेरा टूटने की वजह से करीब 50 लोग बेघर हो चुके हैं. हालांकि, प्रशासन ने पास के ही एक और रैन बसेरा में स्थायी टेंट लगाकर इनके रहने की व्यवस्था की है. बिहार के अररिया के रहने वाले मोहम्मद आरिफ 5-6 महीने पहले ही काम की तलाश में दिल्ली आए थे और यहीं रैन बसेरा में रहने लगे. वो पास में ही मज़दूरी करते हैं, लेकिन रैन बसेरा टूटने के बाद उनके चेहरे पर मायूसी साफ झलकती है.
गुरुवार को जब दिप्रिंट ने यहां का दौरा किया तो यूपी के रहने वाले अनिल कुमार ने बताया, “सरकार गंदगी और गरीब दोनों को एक जैसा समझती है, तभी तो जी20 के कारण हमें भी हटा दिया गया.”
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अतीत के सबक
पूरे देश में जी20 की 200 बैठकें होनी है जिसमें से कुछ हो भी चुकी हैं, जिसमें मुंबई भी शामिल है. हालांकि, सौंदर्यीकरण अभियान को लेकर काफी आलोचना भी हुई थी.
अर्बन प्लानर माधव रमन ने कहा कि दिल्ली भी उसी तरह का जोखिम उठा रहा है क्योंकि जी20 को एक अवसर मानकर लंबे समय तक की योजना पर काम नहीं हो रहा है.
उन्होंने कहा, “जी20 जैसा इवेंट होस्ट करना ज़रूर शहर के लिहाज से कई प्रोजेक्ट्स को लागू करने का मौका है लेकिन देखना ये जरूरी है कि काम किन जगहों पर हो रहा है.”
उन्होंने आगे कहा, “कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स उदाहरण हैं कि कैसे सिर्फ शहर के कुछ हिस्सों का ही डेवलेंपमेंट हुआ. डेलीगेट्स जिन जगहों पर जाएंगे उसी के आसपास के इलाकों को बेहतर बनाया जाएगा. इस बार भी नई दिल्ली और दक्षिण दिल्ली पर ही ज़ोर दिया जाएगा जैसा पहले भी होता रहा है. ये शहर के इमेजिबल हिस्से हैं.”
1982 में जब दिल्ली में एशियन गेम्स का आयोजन हुआ था तब भी नई सड़कें बनी थीं और साथ ही जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम का भी निर्माण हुआ था जो कि अब एक प्रमुख लैंडमार्क बन चुका है. 2010 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी बड़े स्तर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार हुए थे और तब भी अतिक्रमण रोधी अभियान ने कई लोगों की जिंदगी पर नकारात्मक असर डाला था.
रमन ने इस ओर भी इशारा किया कि इस तरह के बड़े इवेंट्स के कारण अतिक्रमण रोधी अभियान भी चलाए जाते हैं, वहीं “झुग्गी-झोपड़ियों को छिपाया” भी जाता है. हालांकि, इसमें भी काफी पैसा खर्च होता है.
रमन ने कहा कि सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कैसे कुछ देशों ने इस तरह के इवेंट्स के जरिए अपने देशों में व्यापक विकास किया.
उन्होंने कहा, “बार्सिलोना में हुए ओलंपिक खेल एक सबसे बेहतर उदाहरण है कि इवेंट का फायदा उठाकर कैसे पूरे शहर का कायाकल्प किया जा सकता है.”
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