नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि असम की एक 23 वर्षीय घरेलू नौकरानी ने हरियाणा के पंचकुला में, पुलिस अधीक्षक (एसपी) रैंक के एक आईपीएस अधिकारी पर उसे बंधुआ मज़दूर बनाकर रखने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है.
नौकरानी के मुताबिक़, जो असम के मंगलदोई की रहने वाली है, उस पर मार्च 2021 से इस साल फरवरी के बीच, एक सेवारत आईपीएस अधिकारी और उसकी पत्नी ने अपने पंचकुला आवास पर बहुत ज्यादा अत्याचार किया. उसे कथित रूप से गंभीर चोटें आईं और फिलहाल वो राष्ट्रीय राजधानी के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती है.
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 8 फरवरी को फतेहपुर पुलिस थाने में एक ज़ीरो एफआईआर दर्ज की है, जिसमें भारतीय दंड संहिता की कई धाराएं लगाई गईं हैं, जिनमें ग़ैर-क़ानूनी बलपूर्वक श्रम, चोरी, ग़लत तरीके से कारावास और चोट पहुंचाना आदि शामिल हैं. नौकरानी का परिवार दिल्ली के फतेहपुर बेरी इलाक़े में रहता है. केस को अब पंचकुला पुलिस के पास भेज दिया गया है.
दिप्रिंट से बात करते हुए घरेलू नौकरानी ने विस्तार से बताया कि उसे किस किस तरह से प्रताड़ित किया गया, क्योंकि काम के मामले में वो कथित तौर पर अपने नियोक्ताओं की ‘अपेक्षाओं’ पर पूरा नहीं उतर सकी, मसलन हर रोज़ सुबह 5 बजे उठना और 24 घंटे काम में लगे रहना.
उसने बताया, ‘मुझे सात दिन तक रस्सी से बांधकर रखा गया (पिछले महीने)…उन्होंने मेरे ऊपर पानी फेंका, और नियमित रूप से लकड़ी की छड़ी से मेरी पिटाई की. कई दिनों तक उन्होंने मुझे खाना नहीं दिया, सिवाय रोटी के कुछ टुकड़ों के जो ज़मीन पर फेंक दी जाती थीं. मुझे टाइलों के फर्श पर सुलाया गया’.
उसने कांपती हुई आवाज़ में कहा, ‘वो घंटों तक पीटते रहते थे और अक्सर मैं अगले दिन काम के लिए उठने की हालत में नहीं होती थी. फिर उसे दोहराया जाता था’. उसने आगे कहा कि वो ‘बेहद तकलीफ’ में है.
उसने कहा, ‘उन्होंने मेरे बाल भी काट दिए. वो मुझे लकड़ी की छड़ों से पीटते थे, मेरे पेट में लात और घूंसे मारते थे…अक्सर मैडम ही मुझे मारती थीं, लेकिन एक बार सर ने भी मुझे पीटा था…’ दिप्रिंट ने 23 वर्षीय महिला की तस्वीरें देखी हैं, जिनमें उसके पूरे शरीर पर घाव देखे जा सकते हैं.
उसे गुरुग्राम में एक अकेली महिला द्वारा चलाई जा रही एक एजेंसी के ज़रिए काम पर रखा गया था, जिसने नाम छिपाने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि आईपीएस अधिकारी और उसकी पत्नी ने पिछले साल भी एक और घरेलू नौकरानी को- जो एक आदिवासी महिला थी- इसी तरह दो हफ्ते तक प्रताड़ित करके भागने पर मजबूर कर दिया था.
दक्षिण दिल्ली पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) बेनिता मैरी जयकर ने, एफआईआर में नामज़द अभियुक्तों के बारे में और ब्यौरा देने से मना कर दिया. डीसीपी ने कहा, ‘हमने बुधवार को सारा विवरण पंचकुला पुलिस अधीक्षक को भेज दिया है’.
पंचकुला डीसीपी मोहित हांडा ने दिप्रिंट से कहा: ‘हमें अभी तक औपचारिक रूप से शिकायत नहीं मिली है, लेकिन हमने मामले का संज्ञान ले लिया है. आगे की कार्रवाई की जाएगी’.
दिप्रिंट ने कई फोन कॉल्स और लिखित संदेशों के ज़रिए, संबंधित आईपीएस अधिकारी और उनकी पत्नी तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन इस ख़बर के प्रकाशित होने तक उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी.
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नौकरानी की ‘अग्नि परीक्षा’
असम की इस महिला की मां ने बताया कि परिवार की ख़राब वित्तीय स्थिति के कारण, उसकी बेटी 10वीं की पढ़ाई बीच में छोड़कर घरों में काम करने को मजबूर हो गई थी. मां उसकी तीमारदारी के लिए अस्पताल में उसके साथ है.
मां एक बेबी केयर सेंटर में काम करती है, जबकि पिता एक सिक्योरिटी गार्ड हैं. परिवार फतेहपुरी बेरी में एक किराए के अपार्टमेंट में रहता है.
मां ने बताया, ‘उसे मार्च 2021 में काम पर रखा गया था. शुरू के 15-20 दिनों में उसने मुझे बताया कि वो उसे अच्छे से रख रहे हैं, और उसे वही खाना देते हैं जो वो ख़ुद खाते हैं. लेकिन उसने कहा कि उसका वज़न घट रहा है. लेकिन, वो कॉल्स को लेकर हमेशा बहुत सख़्त रहते थे, और उसे खुलकर बात नहीं करने देते थे’.
मां ने कहा, ‘क़रीब 20 दिन के बाद, मुझे पता चला कि उन्होंने उसके दो मोबाइल फोन ले लिए हैं- एक स्मार्ट फोन और बैक-अप के तौर पर एक दूसरा फोन जो हमने भेजा था’.
मां का कहना है कि अधिकारी और उसकी पत्नी ने नौकरानी का सामान, उसके कागज़, कपड़े और पैसा, सब ले लिए. इसके अलावा, उसे एक पैसा नहीं दिया गया, हालांकि उसे 15,000 रुपए मासिक पर रखा गया था.
उसने बताया, ‘लॉकडाउन के दौरान एक बार मेरे बेटे ने, मेरी बेटी से 10,000 रुपए देने के लिए कहा. मैंने उससे कहा कि मेरे खाते में पैसा भेज दे. मालिकों ने फोन पर मुझे गालियां दीं, और धमकाया कि उसे घर का काम करना सिखा दूं. जब मैंने उनसे कहा कि अक्टूहक में उसे 10-15 दिन के लिए घर भेज दें, तो उन्होंने ये कहते हुए मना कर दिया कि जिस महिला ने उसे भेजा था उसने कमीशन लिया था’.
उसने आगे कहा, ‘जब मैंने उनसे विनती की कि अगर उन्हें उसका काम पसंद नहीं है तो उसे भेज दें, और मैं उसे लेने आ जाऊंगी, तो उन्होंने कहा कि मैं फोन करके आ जाऊं. लेकिन, अक्टूबरके बाद मेरी कॉल्स का भी मुश्किल से ही जवाब दिया’.
नौकरानी कैसे मिली
4 फरवरी को एसपी और उसकी पत्नी ने पिटाई करने के बाद, उस घरेलू नौकरानी को जूते और सर्दियों के कपड़ों के बिना घर से बाहर निकाल दिया. इससे पहले उन्होंने कथित तौर पर, उसे सात दिन तक बांधकर रखा था.
एक पुलिस कॉन्सटेबल ड्राइवर को वो नौकरानी सड़क पर मिली, जो उसे एक स्थानीय मंदिर में ले गया, उसे जूते और एक शॉल दी और उसके पिता को फोन किया.
मां ने बताया, ‘उसने कहा कि मेरी बेटी बहुत बुरे हाल में है, और हमें उसे फौरन आकर ले जाना चाहिए. वो चल भी नहीं सकती थी और कुछ फासला उसने घुटनों के बल चलकर तय किया’.
अगले दिन, उसे परिवार के जानकार एक स्थानीय डॉक्टर के पास ले जाया गया, जहां उसे विटामिन्स और दर्द-निवारक दवाएं दी गईं. लेकिन उसकी हालत बिगड़ती गई, और उसे भेजने वाली एजेंसी से सलाह करके, एक शिकायत दर्ज करा दी गई.
इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती करा दिया गया.
एजेंसी का दावा- ये मामला अकेला नहीं
एक व्यक्ति द्वारा चलाई जा रही एजेंसी के अनुसार, असम के बक्सा की रहने वाली 20-21 साल की एक और आदिवासी महिला भी- जिसे उसने पुलिस अधिकारी के पास भेजा था- क़रीब 15 दिन काम करने के बाद, अप्रैल 2021 में उसी एसपी के घर से भाग गई थी.
पहली घरेलू नौकरानी ने भी दिप्रिंट से इसकी पुष्टि की, और आगे कहा कि उसे भी प्रताड़ित किया गया था.
एजेंसी चलाने वाली महिला ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, ‘उन्होंने उसके लंबे बाल काट दिए, उसने मुझे बताया कि उसे किस तरह पीटा जाता था, मैंने पिटाई के निशान देखे हैं. वो 17 मार्च को वहां गई थी और 2 अप्रैल के आसपास वहां से भाग आई, क्योंकि अत्याचार असहनीय हो रहा था’.
ये पूछने पर कि पहले मामले के बाद वो पुलिस के पास क्यों नहीं गईं, एजेंसी मालकिन ने कहा कि उसने उस जोड़े को समझाने की कोशिश की, और उनसे कहा कि महिला पर अत्याचार न करें, लेकिन दूसरी नौकरानी के भाग जाने के बाद, वो इस 23 वर्षीय महिला के लिए ‘डर’ गईं थीं.
उन्होंने आगे कहा, ‘हमें धमकी भरी फोन कॉल्स आईं कि इस बारे में किसी से बात न करें’.
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