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Monday, 28 July, 2025
होमदेश‘दबे-कुचले देशों के लिए आशा की किरण’ — संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के बीच बलूच नेता का PM को पत्र

‘दबे-कुचले देशों के लिए आशा की किरण’ — संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के बीच बलूच नेता का PM को पत्र

भारत से आज़ादी की लड़ाई में मदद की अपील करते हुए मीर यार ने पत्र में कहा, आज़ाद बलूचिस्तान बनने से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा बाधित होगा और भारत के लिए मध्य एशिया और पश्चिम एशिया तक व्यापार के रास्ते खुलेंगे.

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नई दिल्ली: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार के वरिष्ठ नेताओं को लिखे एक पत्र में बलूच प्रतिनिधि मीर यार ने भारत को “दबे-कुचले देशों के लिए आशा की किरण” बताया और बिना किसी शर्त के नैतिक समर्थन देने की घोषणा की है. यह पत्र ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच सामने आया है.

यह पत्र उस दिन जारी किया गया, जब संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस शुरू हुई. इसमें बलूच राष्ट्रवादियों और भारत सरकार के बीच एकजुटता पर जोर दिया गया है. बलूच स्वशासन की मांग की प्रमुख आवाज़ मीर यार को उम्मीद है कि भारत संसद में बलूचिस्तान का मुद्दा उठाएगा. उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान की सेना ने बलूचिस्तान में दमन और बढ़ा दिया है.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व गृह मंत्री अमित शाह सहित वरिष्ठ मंत्रियों को संबोधित इस पत्र में मीर यार ने लिखा, “बलूच लोगों ने भारत के नागरिकों के साथ एकजुटता दिखाने का जो नैतिक फैसला लिया, उसके बदले में ही ये दमनात्मक कार्रवाई की जा रही हैं.”

बलूच नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) के मानवाधिकार विभाग ‘पांक’ की जून 2025 की रिपोर्ट में बताया गया कि पाकिस्तान में बलूच समुदाय को अक्सर परेशान किया जाता है, अवैध छापे मारे जाते हैं और जबरन गुमशुदगी होती है. रिपोर्ट के अनुसार, इन कार्रवाइयों के चलते डर और असुरक्षा का माहौल बना है. परिवारों को न तो कोई कानूनी सहारा मिलता है, न ही जानकारी और कई मामलों में गुमशुदा लोग बाद में मृत पाए जाते हैं, जिन पर यातना के निशान होते हैं. यह संकट संस्थागत चुप्पी और जवाबदेही की कमी के बीच जारी है.

मीर यार ने ऑपरेशन सिंदूर की कवरेज में भारत की सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियों की एकजुटता, सेना की पेशेवराना भूमिका और मीडिया की “जिम्मेदार” रिपोर्टिंग की सराहना की.

दिप्रिंट को दिए एक अलग बयान में उन्होंने कहा, “भारत और बलूचिस्तान के बीच हजारों साल पुरानी दोस्ती और भाईचारे का गहरा रिश्ता है.”

मीर यार ने कहा, “पाकिस्तान बनने से बहुत पहले ही हमारे दोनों देशों के बीच मज़बूत व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्ते थे. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 60 मिलियन बलूच लोगों ने जो एकजुटता दिखाई, वह हमारे इस ऐतिहासिक संबंध का प्रमाण है.”

भारत और बलूचिस्तान के बीच हज़ारों साल पुराने सभ्यतागत और सांस्कृतिक संबंधों का ज़िक्र करते हुए मीर यार ने भारतीय सांसदों से अपील की कि वे संसद में इन रिश्तों को स्वीकार करें. उन्होंने बलूचिस्तान में स्थित हिंगलाज माता मंदिर का विशेष रूप से ज़िक्र किया, यह एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल और 51 शक्तिपीठों में से एक है—जिसकी सुरक्षा आज भी स्थानीय बलूच लोग कर रहे हैं, चाहे उसे कट्टरपंथियों से खतरा ही क्यों न हो.

उन्होंने पत्र में लिखा, “यह केवल एक भू-राजनीतिक मौका नहीं है. यह भारत के नैतिक नेतृत्व की एक परीक्षा भी है. ‘वसुधैव कुटुंबकम्’—दुनिया एक परिवार है, की भावना के तहत हम भारत से अपील करते हैं कि वह हमारी आज़ादी, सम्मान और न्याय की लड़ाई में हमारे साथ खड़ा हो.”

पत्र में भारत के लिए एक स्वतंत्र बलूचिस्तान के रणनीतिक लाभों का भी ज़िक्र किया गया है. मीर यार ने कहा कि इससे पाकिस्तान का अरब सागर तक ग्वादर के रास्ते पहुंच टूट जाएगी और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) भी बाधित होगा, जिसे भारत अपनी सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा मानता है.

उन्होंने यह भी कहा कि आज़ाद बलूचिस्तान भारत के लिए मध्य एशिया और पश्चिम एशिया तक नए व्यापारिक रास्ते खोल सकता है.

पत्र के अंत में मीर यार ने भारत से नैतिक और रणनीतिक स्तर पर समर्थन मांगा और कहा, “बलूच लोग हमेशा भारत को आशा की एक किरण के रूप में देखते आए हैं. हमारी आज़ादी की मांग, खासतौर पर ऑपरेशन सिंदूर जैसे मौकों पर भारत को जो हमारा समर्थन मिला है, उसका अब आपकी नेतृत्व से सैद्धांतिक जवाब मिलना चाहिए.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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