नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) हाल में चयनित सभी प्रशासनिक सेवा उम्मीदवारों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट उनकी सेवा के अनुरूप हो तथा उन्हें उपहार, आतिथ्य और मुफ्त प्रचार जैसे प्रलोभनों को अस्वीकार करना चाहिए। शुक्रवार को जारी आधिकारिक दिशा-निर्देशों में यह बात कही गयी है।
इसमें कहा गया है कि ये अधिकारी शासन का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनका आचरण निरंतर सार्वजनिक समीक्षा के दायरे में रहता है।
मसूरी स्थित लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है, ‘‘आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आम जनता, जनप्रतिनिधियों, कॉर्पोरेट संस्थाओं, सामाजिक संगठनों, सरकारी कर्मियों एवं अन्य सभी गणमान्य व्यक्तियों तथा समाज के कमजोर वर्गों के साथ आपका व्यक्तिगत आचरण, आधिकारिक और सामाजिक संपर्क विनम्र, सम्मानजनक, गरिमापूर्ण एवं समुचित हो।’’
दिशा-निर्देश सिविल सेवा परीक्षा 2024 के माध्यम से चुने गए उम्मीदवारों के लिए हैं, जिसके परिणाम मंगलवार को घोषित किए गए। इस परीक्षा में 1,009 उम्मीदवारों ने सफलता प्राप्त की है।
इसमें कहा गया है, ‘‘एक भावी प्रशासनिक अधिकारी के रूप में आपसे हमेशा एक आदर्श बनने की अपेक्षा की जाती है। आपके पिछले कार्य भी आपके पूरे करियर में आपके चरित्र और व्यक्तित्व का प्रतिबिंब होंगे। आपको आज से ही एक अधिकारी के लिए आदर्श आचरण प्रदर्शित करना शुरू कर देना चाहिए और अपने प्रशिक्षण के शुरू होने का इंतजार नहीं करना चाहिए। आप शासन और सार्वजनिक सेवा वितरण के संस्थानों में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन होंगे।’’
दिशा निर्देश में यह भी कहा गया है कि सोशल मीडिया पर आपके द्वारा की गई अथवा सुगम की गई टिप्पणियां और कोई अन्य पोस्ट भी सेवा को प्रतिबिंबित करेगी।
इसमें कहा गया है, ‘‘इसलिए, आपको इस चरण में भी ऐसे पोस्ट से बचना चाहिए जो सेवा या उसके सदस्यों को बदनाम कर सकती हैं। ऐसी सामग्री पोस्ट करने के बारे में सतर्क और विवेकपूर्ण रहें जिसे किसी अधिकारी/सेवा के सदस्य के लिए गैर पेशेवर या अनुचित माना जा सकता है।’’
दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर आवेगपूर्ण तरीके से बयान पोस्ट करने से विशेष रूप से बचना चाहिए।
इसमें कहा गया है, ‘‘थोड़ा रुकें और जो आप पोस्ट करने जा रहे हैं उसके संभावित प्रभाव पर विचार करें। इसके बजाय, किसी भी सामग्री को पोस्ट करने से बचना उचित है, क्योंकि इससे किसी व्यक्ति/संस्था के स्तर पर गलत व्याख्या हो सकती है।’’
अकादमी का आदर्श वाक्य, ‘शीलम् परम भूषणम्’ – चरित्र सर्वोच्च अलंकरण है – अधिकारियों और पूर्व प्रशिक्षुओं को हर समय ईमानदारी, गरिमा, विनम्रता और सदाचार के साथ आचरण करने के लिए मार्गदर्शन करता है।
दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि उनका ‘आंतरिक विवेक ही आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका है’ और ये क्या करें और क्या न करें ‘एक अच्छी शुरुआत हो सकती है।’
इसमें कहा गया है, ‘‘किसी अधिकारी की विश्वसनीयता उसकी ईमानदारी से तय होती है, जो एक शाश्वत गुण है। आर्थिक मुद्दों का सावधानीपूर्वक लेखा-जोखा रखना और उपहार, आतिथ्य एवं मुफ्त प्रचार जैसे प्रलोभनों को अस्वीकार करना महत्वपूर्ण है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘इस संदर्भ में ध्यान रखा जाना चाहिए कि आपकी सफलता का किसी भी स्तर पर अनुचित तरीके से लाभ न उठाया जाए।’’
अकादमी ने कहा कि महिलाओं के प्रति सम्मान भारतीय लोकाचार का केन्द्र बिन्दु है और नौकरशाहों को लैंगिक रूप से संवेदनशील होना चाहिए।
भाषा रंजन रंजन माधव
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