चंडीगढ़, एक मई (भाषा) भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) ने हरियाणा को 8,500 क्यूसेक पानी छोड़ने का फैसला किया है। इस कदम का पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कड़ा विरोध किया है।
मान ने कहा है कि वह पंजाब के अधिकारों पर ‘‘डाका’’ बर्दाश्त नहीं करेंगे।
हरियाणा को पानी छोड़ने का फैसला बुधवार शाम बीबीएमबी की तकनीकी समिति की पांच घंटे लंबी बैठक में लिया गया।
बीबीएमबी भाखड़ा, पोंग और रंजीत सागर बांधों से पानी के वितरण को नियंत्रित करता है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान इसके साझेदार राज्य हैं जो भाखड़ा और पोंग बांधों से सिंचाई सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए अपनी पानी की आवश्यकता को पूरा करते हैं।
सूत्रों ने बताया कि बीबीएमबी की बैठक के दौरान पंजाब सरकार के अधिकारियों ने हरियाणा को अधिक पानी छोड़ने पर कड़ी आपत्ति जताई और दावा किया कि पड़ोसी राज्य पहले ही अपने हिस्से का पानी इस्तेमाल कर चुका है।
पंजाब सरकार के अधिकारियों ने यह भी तर्क दिया था कि पोंग और रंजीत सागर बांधों में पानी का स्तर पिछले साल की तुलना में कम है।
सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राजस्थान के अधिकारियों ने भी हरियाणा की मांग का समर्थन किया।
बीबीएमबी के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री मान ने हरियाणा को 8,500 क्यूसेक पानी देने के कदम पर बृहस्पतिवार को कड़ा विरोध जताया।
मान ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘पंजाब और पंजाबियों के हक का पानी बीबीएमबी के जरिए हरियाणा को देने के फैसले का पूरा पंजाब कड़ा विरोध करता है। केंद्र और हरियाणा की भाजपा सरकार पंजाब के खिलाफ एकजुट हो गई है। हम किसी भी कीमत पर भाजपा द्वारा अपने अधिकारों पर एक बार फिर ‘डाका डालना’ बर्दाश्त नहीं करेंगे। भाजपा विरोध का सामना करने के लिए तैयार रहे। भाजपा कभी भी पंजाब और पंजाबियों की नहीं हो सकती।’’
उन्होंने पोस्ट किया कि भाजपा की केंद्र सरकार की तरफ से पंजाब के पानी को लेकर एक और गंदी चाल चली जा रही है, हम इसे किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे।
इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) ने हरियाणा को कथित तौर पर पानी देने के लिए भाजपा के खिलाफ पूरे राज्य में प्रदर्शन करने का फैसला किया है।
मान ने मंगलवार को हरियाणा को और पानी देने से इनकार करते हुए कहा कि पड़ोसी राज्य पहले ही अपने लिए आवंटित हिस्से का 103 प्रतिशत इस्तेमाल कर चुका है।
मान ने भाजपा पर बीबीएमबी के जरिए पंजाब सरकार पर हरियाणा की मांग पूरी करने के लिए दबाव बनाने का भी आरोप लगाया।
मान ने कहा था कि हरियाणा ने मार्च में अपने हिस्से का पानी इस्तेमाल कर लिया है और अब अप्रैल और मई के लिए अतिरिक्त पानी की मांग कर रहा है।
उन्होंने कहा था कि पंजाब को आगामी धान की बुवाई के मौसम के लिए पानी की जरूरत है और उसके पास एक भी बूंद अतिरिक्त पानी नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस साल बीबीएमबी ने राजस्थान, हरियाणा और पंजाब को क्रमशः 33.18 करोड़ एकड़ फुट (एमएएफ), 2.987 एमएएफ और 5.512 एमएएफ पानी वितरित किया है।
मान ने कहा कि हरियाणा ने इस साल 31 मार्च तक अपने हिस्से का पानी इस्तेमाल कर लिया, जिसके बाद संकट पैदा हो गया।
उन्होंने कहा कि मानवता के नाते पंजाब सरकार ने उदारतापूर्वक छह अप्रैल से हरियाणा को प्रतिदिन 4,000 क्यूसेक पानी आवंटित किया।
आप के कई नेताओं ने भी आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा के ‘‘बांह मरोड़ने’’ के कारण बीबीएमबी ने हरियाणा को पानी छोड़ने का फैसला किया।
कैबिनेट मंत्री और आप की पंजाब इकाई के अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने कहा, ‘‘हम भाजपा और केंद्र सरकार द्वारा बीबीएमबी की बांह मरोड़ने और हरियाणा को पंजाब के हिस्से से अतिरिक्त 8500 क्यूसेक पानी छोड़ने के लिए मजबूर करने के फैसले के खिलाफ कोई भी बलिदान देने के लिए तैयार हैं। भाजपा की ‘गुंडागर्दी’ का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।’’
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र पर फिर से पंजाब को ‘‘धोखा’’ देने का आरोप लगाया।
चीमा ने आरोप लगाया, ‘‘हरियाणा को अधिक पानी देकर भाजपा सरकार ने पंजाब विरोधी होने का सबूत दिया है।’’
भाषा सुरभि मनीषा
मनीषा
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