नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के बीच पंचायत चुनाव कराने के आंध्र प्रदेश चुनाव आयोग के फैसले में कोई दखल देने से इनकार करते हुए सोमवार को चुनाव अधिसूचना को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी.
जस्टिस संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि यह अपील दोनों अधिकारियों के बीच ‘अहम की लड़ाई’ दर्शाती है और अदालत इसका हिस्सा नहीं बन सकती.
जस्टिस कौल ने कहा, ‘हम हर किसी का काम नहीं संभाल सकते. कुछ फैसले राजनीतिक और प्रशासनिक होते हैं. कुछ निर्णय चुनाव आयोग द्वारा लिए जाते हैं. मुझे नहीं लगता कि यह कोई मुद्दा है, यह कुछ और ही मामला है.’
खंडपीठ, जिसमें जस्टिस हृषिकेश रॉय भी शामिल थे, ने आयुक्त के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के लिए राज्य चुनाव आयोग के कर्मचारियों पर नाराजगी भी जताई. पीठ ने टिप्पणी की, ‘आपका व्यवहार द्वेषपूर्ण और अवांछनीय है.’
जगन रेड्डी सरकार ने राज्य में चल रहे टीकाकरण अभियान के बीच होने जा रहे पंचायत चुनाव स्थगित कराने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने हाई कोर्ट की खंडपीठ के उस आदेश को चुनौती दी जिसमें चुनाव कराने की अनुमति दी गई थी.
उन्होंने अदालत को जानकारी दी कि करीब 5 लाख लोगों को टीका लगाया जाना है, जिसमें पुलिस कर्मी भी शामिल हैं.
रोहतगी ने तर्क दिया, ‘इस तरह चुनाव कैसे हो सकते हैं? यहां तक कि गोवा ने भी चुनाव टाल दिए हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में 1 मार्च को चुनाव कराए जा सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘28 जनवरी तक फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं का टीकाकरण होना है. चुनाव और टीकाकरण एक साथ हो सकता है या नहीं, यह तय करना हाई कोर्ट का काम नहीं है. क्या मैं पुलिस से कह सकता हूं कि वैक्सीन ड्राइव छोड़ दे और चुनाव कराए?
हालांकि, पीठ ने राज्य की दलीलों पर सहमति न जताते हुए कहा कि उसे तभी अदालत का रुख करना चाहिए था जब चुनाव का प्रस्ताव किया गया था. साथ ही कहा, ‘राज्य चुनाव आयोग चुनाव कराए’
‘अधिकारियों के बीच अहम की समस्या’
इस दौरान चुनाव आयुक्त के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के लिए राज्य चुनाव आयोग के कर्मचारी भी आलोचनाओं के घेरे में आ गए. हालांकि, रोहतगी ने यह कहते हुए खुद को इस विवाद से दूर कर लिया और कहा कि राज्य का इससे कोई लेना-देना नहीं है.
खंडपीठ ने साथ ही कहा, ‘दो अधिकारियों के बीच अहम की समस्या अराजकता की ओर ले जा रही है. हम अराजकता की अनुमति नहीं दे सकते. एन. रमेश कुमार (राज्य चुनाव आयुक्त) के खिलाफ प्रस्ताव कैसे पारित किया जा सकता है?’
जस्टिस कौल ने केरल का हवाला देते हुए कहा कि वहां भी महामारी के बीच चुनाव हुए हैं. न्यायाधीश ने कहा, ‘यहां तक कि केरल ने ऐसा किया और वहां अब केस बढ़ भी गए हैं, लेकिन हम यह नहीं कह सकते हैं कि इसका कारण चुनाव था.’
कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करने वाले उन कुछ डॉक्टरों और अन्य लोगों की एक नहीं सुनी, जिन्होंने चुनाव स्थगित करने की राज्य सरकार की अपील के समर्थन में आवेदन दायर किया था.
खंडपीठ ने कहा, ‘इस तरह का दखल हमारी राय को और पुख्ता करता है. ये सभी डॉक्टर, नौकरशाह हमें अपने आदेश पर भरोसा करने को प्रेरित करते हैं. हम इसे खारिज करते हैं.’
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