नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर (भाषा) मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने बुधवार को कहा कि बार और पीठ किसी भी न्याय प्रशासन के दो पहिये होते हैं जिन्होंने इस देश की जनता की स्वतंत्रता, समानता और न्याय के लिए हमेशा साथ काम किया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय में 15 साल से अधिक समय तक न्यायाधीश रहे न्यायमूर्ति मृदुल मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त होने के बाद उन्हें विदाई देने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
अपने विदाई भाषण के दौरान भावुक हो गये न्यायमूर्ति मृदुल ने कहा, ‘‘मैं खुलकर इस बात को स्वीकार करता हूं कि अगर आप सभी ने मेरा हाथ पकड़कर मुश्किल वक्त में साथ नहीं दिया होता तो मैंने ये सब हासिल नहीं किया होता।’’
न्यायमूर्ति मृदुल को 13 मार्च, 2008 को दिल्ली उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और 26 मई, 2009 को वह स्थायी न्यायाधीश बने।
उन्होंने बार के वरिष्ठ सदस्यों से आग्रह किया कि युवा वकीलों को अपने साथ जोड़कर उन्हें वकालत के गुर सिखाएं तथा एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए उन्हें जरूरी संसाधन उपलब्ध कराने में सहयोग दें।
न्यायमूर्ति मृदुल ने युवा वकीलों को भी वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के मशहूर कथन को याद रखने को कहा कि ‘‘जब तक आप कोशिश करना बंद नहीं करते, आप कभी विफल नहीं हो सकते।’’
उन्होंने कहा कि वह खूबसूरत शहर दिल्ली और यहां की सभी अदालतों की कमी महसूस करेंगे जहां उन्होंने वकालत की है।
उन्होंने शायराना अंदाज में कहा, ‘‘मेहरबान होकर बुलाओ मुझे चाहे जिस वक्त, मैं गया वक्त नहीं हूं कि फिर आ भी ना सकूं।’’
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा ने न्यायमूर्ति मृदुल के पदोन्नयन पर उन्हें बधाई दी और कहा कि मणिपुर के नागरिकों को उनके वहां रहने का बहुत लाभ मिलेगा।
भाषा वैभव रंजन
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