(कोमल पंचमटिया)
मुंबई, 16 फरवरी (भाषा) गायक-संगीतकार बप्पी लाहिड़ी के साथ 80 के दशक में कई गानों के लिए समन्वय कर चुकीं गायिका ऊषा उत्थुप ने कहा कि उनके लिए लाहिड़ी के निधन की खबर के सदमे से बाहर निकलना मुश्किल है।
उन्होंने कहा कि वह लाहिड़ी को उनकी पहचान मानी जाने वाली सोने की जंजीरों, झिलमिलाती जैकेट, काले चश्मे और चेहरे पर सदा बनी रहने वाली मुस्कान के लिए हमेशा याद करेंगी।
80 और 90 के दशक में भारतीय सिनेमा में डिस्को संगीत को लोकप्रिय बनाने वाले गायक-संगीतकार बप्पी लाहिड़ी का स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतों के कारण निधन हो गया। उनका इलाज कर रहे एक डॉक्टर ने बुधवार को यह जानकारी दी। लाहिड़ी ने जुहू के क्रिटिकेयर हॉस्पिटल में मंगलवार की रात को अंतिम सांस ली। वह 69 वर्ष के थे।
लाहिड़ी और उत्थुप (74) ने मिलकर फिल्म ‘प्यारा दुश्मन’ में ‘हरि ओम हरि’, ‘डिस्को डांसर’ फिल्म में ‘कोई यहां नाचे-नाचे’ और ‘अरमान’ फिल्म में ‘रंभा हो हो हो’ जैसे हिट गीत दिए।
उत्थुप ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं दुखी हूं। वह चले गए हैं। मैं सोने के आभूषण, झिलमिलाती जैकेट, लंबे बालों और काले चश्मे पहने बप्पी लाहिड़ी को याद करूंगी। मैं याद करूंगी कि मैंने उनके सामने मंच पर ‘उड़ी उड़ी बाबा’, ‘हरि ओम हरि’ और ‘रंभा हो’ जैसे गीत गाए। मैं उन्हें श्रद्धांजलि देती हूं।’’
गायिका ने कहा कि लाहिड़ी अपने संगीत के जरिए हमेशा जीवित रहेंगे और उनके गीत आने वाली कई ‘‘पीढ़ियों’’ के मन में गूंजेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने लोगों को अपने गीतों के जरिए खुशी दी। अंतत: मायने यह रखता है कि आपने कितने लोगों को खुशी दी, आप लोगों से जुड़कर कैसे उन्हें खुशी का एहसास कराते हैं और कैसे अपनी समस्याओं को भूलने में उनकी मदद करते हैं।’’
गायिका ने कहा कि लाहिड़ी वास्तव में डिस्को के बादशाह थे और अंत तक यही रहे।
उत्थुप ने कहा, ‘‘वह रॉकस्टार बनना चाहते थे, वह ऐसे ही तैयार होते थे, उन्होंने उसी के अनुसार कपड़े और सोना पहना। यह उनकी शैली थी। वह जिस तरह के कपड़े पहनते थे, जिस तरह से बाल संवारते थे, उन्होंने अपनी पहचान बरकरार रखी। उन्होंने एक चलन शुरू किया और अंत तक उसे अपनाए रखा।’’
गायिका ने साथ ही कहा कि फिल्म जगत में उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे दुख होता है कि उन्हें उनके जीवन में वह सम्मान नहीं दिया गया, जिसके वह हकदार थे। लोग उन्हें उतनी गंभीरता से नहीं लेते थे। उन्हें लेकर मजाक बनाया जाता था, लेकिन उन्होंने कभी इसका बुरा नहीं माना।’’
गायिका ने कहा कि ‘हरि ओम हरि’ और ‘रंभा हो’ जैसे गीतों के बिना मंच पर उनकी प्रस्तुति अधूरी रहेगी।
उत्थुप ने कहा कि लाहिड़ी एक साधारण और पारिवारिक व्यक्ति थे तथा उनके लिए उनका परिवार ही सब कुछ था।
भाषा सिम्मी मनीषा
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