कोलकाता : कोरोनावायरस महामारी के कारण विदेशी बाजारों में मांग को भारी नुकसान हुआ है और मांग में नरमी में अगली कुछ तिमाही तक कायम रहने के अनुमान हैं. शीर्ष बैंकरों ने शनिवार को यह राय व्यक्त की.
उन्होंने कहा कि यह व्यवधान छह से आठ महीने तक जारी रहने वाला है, जब तक कि व्यवसाय पुन: तेजी की पटरी पर नहीं लौट जायें.
एक्जिम बैंक के प्रबंध निदेशक डेविड रसकिन्हा ने एक वेबिनार में कहा, ‘विदेशी बाजारों में मांग को भारी नुकसान पहुंचा है.’
उन्होंने कहा कि वर्ष 2017, 2018 और 2019 में भारतीय वस्तुओं का निर्यात मजूती से चल रहा था. सेवाओं का निर्यात और भी बेहतर था.
रसकिन्हा ने कहा, ‘यह ऐसा समय था जब भारतीय रुपया काफी नीचे आ गया था. मार्च 2020 में निर्यातकों द्वारा अंतिम समय पर इनवॉयस तैयार करने के कारण निर्यात वृद्धि गिर गयी थी और फिर इसके तुरंत बाद ही लॉकडाउन लग गया.’
उन्होंने कहा कि भारत उपभोग संचालित अर्थव्यवस्था है, जहां 55 फीसदी व्यय आवश्यक वस्तुओं पर किया जाता है और शेष व्यय शौकिया होते हैं.
चीन से उद्योगों के हटने के बारे में उन्होंने कहा, ‘हर कोई चीन नहीं छोड़ रहा है. हमें यहां निवेशकों को अच्छी विनिर्माण सुविधाएं देनी होंगी.’
ईसीजीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) एम सेंतिलनाथन ने कहा कि वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में निगम को पर्याप्त नुकसान उठाना पड़ा और 40-50 प्रतिशत माल नहीं भेजे जा सके.
उन्होंने कहा, ‘विदेशी मांग में कमी के बीच यह व्यवधान छह से आठ महीने तक रहेगा। निर्यातकों को लंबी अवधि के लिये ऋण देना होगा.’
उन्होंने कहा कि ईसीजीसी कोरोना वायरस के संकट के कारण प्रभावित व्यापार चक्र को बहाल करने के लिये पहले की तुलना में अधिक जोखिम मान कर चल रहा है.
एसबीआई (आईबीजी) के उपाध्यक्ष सी वेंकट नागेश्वर ने कहा कि दुनिया भर के प्रमुख केंद्रीय बैंक अपनी अर्थव्यवस्थाओं को अच्छी स्थिति में लाने के लिये अभूतपूर्व कदम उठा रहे हैं.