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Thursday, 27 June, 2024
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मणिपुर में जातीय हिंसा से अप्रभावित चार जिला मुख्यालयों में मोबाइल इंटरनेट सेवा से प्रतिबंध हटाया गया

यह कदम मणिपुर उच्च न्यायालय के उस आदेश के बाद उठाया गया है, जिसके तहत राज्य सरकार को हिंसा से अप्रभावित सभी जिला मुख्यालयों में प्रायोगिक आधार पर मोबाइल टावर को फिर से चालू करने का निर्देश दिया गया था.

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इंफाल: मणिपुर सरकार ने जातीय हिंसा से अप्रभावित चार पहाड़ी जिला मुख्यालयों में मोबाइल इंटरनेट सेवा पर लगाया गया प्रतिबंध हटा दिया है. अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि नगा-बहुल उखरूल, सेनापति, चंदेल और तामेंगलोंग जिला मुख्यालयों में प्रायोगिक आधार पर इंटरनेट सेवा से प्रतिबंध हटा दिया गया है.

यह कदम मणिपुर उच्च न्यायालय के उस आदेश के बाद उठाया गया है, जिसके तहत राज्य सरकार को हिंसा से अप्रभावित सभी जिला मुख्यालयों में प्रायोगिक आधार पर मोबाइल टावर को फिर से चालू करने का निर्देश दिया गया था.

अधिकारियों के मुताबिक, चार पहाड़ी जिला मुख्यालयों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं मंगलवार से बहाल हो गईं.

मोबाइल इंटरनेट सेवाओं की बहाली के बारे में पूछे जाने पर, उखरूल जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘केवल जिला मुख्यालयों में कुछ चुनिंदा मोबाइल टावर चालू किए गए हैं. लेकिन कनेक्टिविटी बेहद खराब है. बहाली प्रायोगिक आधार पर की जाएगी.’’

उखरूल में हाल ही में एक समारोह में राज्य के परिवहन मंत्री काशिम वाशुम ने कहा था कि चार जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं फिर से शुरू होंगी.

मणिपुर में तीन मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद से सितंबर में कुछ दिनों को छोड़कर, मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा हुआ है.

राज्य में मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद जातीय हिंसा भड़क गई थी, जिसमें अब तक 180 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.

मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.


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