प्रयागराज, 20 फरवरी (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रविवार को एक मामले में आपात सुनवाई के दौरान एक होम्योपैथिक क्लीनिक और एक रेस्तरां को ढहाने पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी।
ध्वस्तीकरण की यह कार्रवाई प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा कानपुर रोड पर विभिन्न कॉलोनियों को जाने वाले मार्ग में सभी बाधाओं को हटाने और प्रयागराज हवाईअड्डे के लिए एक समर्पित गलियारे के निर्माण के लिए की जा रही थी।
अदालत ने संबंधित अधिकारियों को यह बताने का निर्देश दिया कि इन याचिकार्ताओं द्वारा किस तरह से अतिक्रमण किया गया है, जिसे ढहाने की जरूरत है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 फरवरी की तारीख तय कर दी।
न्यायमूर्ति प्रितिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ ने राकेश गुप्ता व दो अन्य लोगों की याचिका पर यह आदेश पारित किया।
याचिकार्ताओं ने दावा किया कि उनकी क्लीनिक और रेस्तरां पिछले सौ वर्षों से चल रहा है, साथ ही नगर निगम द्वारा उनकी संपत्ति को मकान नंबर का आवंटन और कर का आकलन भी किया गया था।
याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, उच्च न्यायालय ने 2019 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कानपुर रोड पर विभिन्न कॉलोनियों को जाने वाले मार्ग और प्रयागराज हवाईअड्डे के लिए प्रस्तावित समर्पित गलियारे के रास्ते में मौजूद सभी अतिक्रमण को हटाने का निर्देश दिया था।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि हालांकि, अधिकारी ध्वस्तीकरण अभियान की आड़ में उनके द्वारा किए गए निर्माण को ढहाने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने दलील दी कि कोविड-19 के मामले बढ़ने की वजह से उच्च न्यायालय ने 11 जनवरी 2022 को दिए अपने आदेश में उच्च न्यायालय और जिला अदालत द्वारा पारित ध्वस्तीकरण, बेदखली और मकान खाली कराने के सभी आदेशों को 28 फरवरी 2022 तक के लिए निष्प्रभावी कर दिया है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस तरह से 11 जनवरी के आदेश के मद्देनजर संबंधित अधिकारियों को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई रोकनी चाहिए।
अदालत ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ध्वस्तीकरण पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी।
भाषा
राजेंद्र राजेंद्र पारुल
पारुल
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