नई दिल्ली: पिछले तीन महीनों में देशभर में उत्तराखंड से लेकर मध्य प्रदेश और कर्नाटक तक ईसाई समुदाय के खिलाफ हमलाओं की घटनाओं की बाढ़ सी आ गई है.
इनमें से बहुत से हमलों को हिंदू दक्षिण-पंथी समूहों की अगुवाई में भीड़ ने बुनियादी रूप से ‘धर्म परिवर्तन’ के आरोपों के बाद अंजाम दिया है. ज़्यादातर हमले उन राज्यों में देखे गए हैं, जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का शासन है.
एक मानवाधिकार रिपोर्ट के मुताबिक़, जिसे अक्टूबर में युनाइटेड अगेन्स्ट हेट, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, और युनाइटेड क्रिस्चियन फोरम (सूसीएफ) की ओर से जारी किया गया था, ये घटनाएं इसी तरह के 305 हमलों के बाद हुई हैं, जो इस साल जनवरी से सितंबर के बीच घटित हुए हैं.
रिपोर्ट में कहा गया कि यूसीएफ द्वारा प्राप्त की गई सहायता की कॉल्स की संख्या के आधार पर उत्तर प्रदेश में ऐसे सबसे अधिक (66) मामले सामने आए, जिसके बाद 47 मामलों के साथ छत्तीसगढ़ दूसरे नंबर पर था, जबकि कर्नाटक में 32 घटनाएं देखीं गईं. झारखंड और मध्य प्रदेश दोनों में तीस-तीस मामले सामने आए.
2011 जनगणना के अनुसार, हिंदुओं और मुसलमानों के बाद ईसाई देश में सबसे बड़ा धार्मिक ग्रुप है, जिसके 2.78 करोड़ मानने वाले हैं. ये समुदाय देश की कुल आबादी का 2.3 प्रतिशत है.
ये हैं समुदाय पर हुए कुछ प्रमुख हमले, जो पिछले तीन महीनों में देखे गए.
रुड़की प्रार्थना स्थल पर हमला, 3 अक्टूबर
लोहे की रॉड्स से लैस क़रीब 250 लोगों की भीड़ ने, जिसमें कथित रूप से दक्षिण-पंथी हिंदू संगठन बजरंग दल, बीजेपी, और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के सदस्य शामिल थे, उत्तराखंड के रुड़की में एक प्रार्थना स्थल में तोड़फोड़ की.
उपासना स्थल पर एक आयोजन में मौजूद पांच लोग घायल हुए, जिनमें से एक को गंभीर हालत में अस्पताल भर्ती कराया गया. घटना को अंजाम देने वाले कथित अपराधियों ने कथित तौर से चर्च पर ‘अवैध धर्मांतरण’ का आरोप लगाया.
पुलिस ने बजरंग दल, बीजेपी, और वीएचपी के कुछ सदस्यों, तथा अन्य 200 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज किया जिनमें धारा 295 (उपासना स्थल में तोड़फोड़ या उसे अपवित्र करना), धारा 296 (धार्मिक जमावड़े में विघ्न) आदि शामिल हैं. अभी तक किसी दोषी को गिरफ्तार नहीं किया गया है.
ईसाई समुदाय के 11 सदस्यों के खिलाफ भी, धर्मांतरण के आरोप को लेकर एक क्रॉस-एफआईआर दर्ज कराई गई.
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दिल्ली चर्च में तोड़फोड़, 28 नवंबर
बजरंग दल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्यों ने कथित रूप से, राष्ट्रीय राजधानी के द्वारका इलाक़े में एक नए स्थापित किए गए चर्च में तोड़फोड़ की. शरारती तत्वों ने चर्च बने वेयरहाउस और उसके साइन बोर्ड की संपत्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया.
पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज कीं. पहली उन लोगों के खिलाफ थी जो दिल्ली आपदा प्रबंधन अधिनियम के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए, ऐसे परिसर में रविवार की प्रार्थना सभा में शिरकत कर रहे थे, जो अधिकारिक रूप से धार्मिक स्थल के तौर पर पंजीकृत नहीं हुआ था. दूसरी एफआईआर उन लोगों के खिलाफ थी, जो तोड़फोड़ के ज़िम्मेवार थे. सार्वजनिक उपद्रव की आईपीसी धाराओं के तहत, एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया.
इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर में द्वारका डीसीपी शंकर चौधरी का ये कहते हुए हवाला दिया गया, ‘कुछ लोग एक वेयरहाउस में जमा हुए थे, जहां उन्होंने एक बोर्ड पर ‘चर्च’ लिखकर लगा दिया था, जिसपर स्थानीय लोगों ने ऐतराज़ किया, क्योंकि उनका दावा था कि ये काम गुप्त रूप से किया गया था. इस झगड़े में कुश स्थानीय शरारती तत्वों ने उस बोर्ड को तोड़कर, माहौल को ख़राब करने की कोशिश की’.
विदिशा स्कूल पर भीड़ का हमला, 6 दिसंबर
क़रीब 300 लोगों की एक भीड़ ने मध्यप्रदेश के विदिशा ज़िले में, कथित रूप से एक कैथलिक स्कूल में उस समय तोड़फोड़ कर दी, जब यूट्यूब पर एक वीडियो में आरोप लगाया गया, कि स्कूल अपने हिंदू छात्रों का धर्म बदलकर उन्हें ईसाई बना रहा है.
पोर्टल वेटिकन न्यूज़ के अनुसार, वीडियो में जिन तस्वीरों का हवाला दिया गया था, वो अक्टूबर में हुए एक आयोजन की पाई गईं, जिसमें आठ कैथलिक बच्चे सेंट जोज़फ चर्च के बिशप से फर्स्ट कम्यूनियम और कनफर्मेशन हासिल कर रहे थे.
पोर्टल में स्कूल प्रिंसिपल ब्रदर एंथनी पायनुमकल का ये कहते हुए हवाला दिया गया कि भीड़ ने उस समय जय श्री राम का नारा लगाते हुए स्कूल में धावा बोल दिया और उसकी संपत्ति को नुक़सान पहुंचाया जब सीबीएसई से संबद्ध स्कूल में 12वीं क्लास के छात्र अपनी बोर्ड परीक्षा लिख रहे थे.
स्कूल प्रशासन ने पुलिस की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए, और कहा कि संरक्षण के उनके अनुरोध को ‘हल्के में लिया गया’.
कोलार में ईसाई धार्मिक पुस्तकों को जलाया, 12 दिसंबर
कर्नाटक के कोलार ज़िले में, इस आरोप के बाद कि ईसाई समुदाय के कुछ सदस्य अपने धर्म के प्रचार के लिए हिंदुओं के इलाक़े में किताबें बांट रहे थे, हिंदू दक्षिण-पंथी समूहों के सदस्यों ने कथित रूप से ईसाइयों की धार्मिक पुस्तकों में आग लगा दी.
घटना को ‘कर्नाटक में पिछले 12 महीनों में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर 38वां हमला’ बताते हुए, एनडीटीवी ने ख़बर दी कि ऐसे सिलसिलेवार हमले तब शुरू हुए, जब बीजेपी की राज्य सरकार ने जबरन धर्म परिवर्तन पर पाबंदी लगाने के लिए, एक बिल लाने पर ग़ौर करना शुरू किया.
लेकिन, मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने दिप्रिंट से कहा, कि धर्मांतरण-विरोधी बिल से जुड़ी आशंकाएं ‘अनुचित’ हैं, और सरकार का एकमात्र लक्ष्य, बलपूर्वक या मजबूरन धर्म परिवर्तनों को रोकना है.
बोम्मई ने कहा, ‘ये केवल कर्नाटक सरकार ही नहीं है, जो ऐसा क़ानून लाने का प्रयास कर रही है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और गुजरात जैसे राज्य पहले ही, जबरन धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने के लिए क़ानून ला चुके हैं. हमने इस क़ानून को लाने पर तब विचार किया, जब जबरन धर्मांतरण के कई मामले हमारे संज्ञान में आए’. उन्होंने आगे कहा, ‘किसी भी समुदाय के सदस्य को डरने की ज़रूरत नहीं है, कि उन्हें परेशान किया जाएगा’.
क्रिसमस में व्यवधान
हिंदुत्व समूहों ने कथित रूप से सात राज्यों में क्रिसमस समारोहों में व्यवधान पैदा किया, जिनमें अन्य के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और असम आदि शामिल हैं
हरियाणा में, बजरंग दल के सदस्यों ने कथित रूप से स्कूलों को धमकाया, कि पेरेंट्स की सहमति के बिना उनके बच्चों को सांटा क्लॉस की ड्रेस न पहनाएं.
एक हिंदू दक्षिण-पंथी ग्रुप के सदस्यों ने गुरुग्राम के पटौदी में भी, एक स्कूल में चल रहे क्रिसमस कार्यक्रम में व्यवधान पैदा किया. ग्रुप ने दावा किया कि उत्सव के इस आयोजन में, बच्चों का ‘ब्रेनवॉश’ करने की कोशिश की गई, जिससे कि वो ईसाई धर्म अपना लें.
अंबाला में, क्रिसमस प्रार्थना के बाद दो लोगों ने, कैंटोनमेंट के होली रिडीमर चर्च के पास, ईसा मसीह की एक प्रतिमा को अपवित्र किया.
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