scorecardresearch
गुरूवार, 15 मई, 2025
होमदेशहिरासत में मौत मामले में दोषी पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की जमानत याचिका खारिज

हिरासत में मौत मामले में दोषी पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की जमानत याचिका खारिज

Text Size:

नयी दिल्ली, 29 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने 1990 के हिरासत में मौत के मामले में दोषी भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी संजीव भट्ट की जमानत याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। इस मामले में भट्ट को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि मामले में जमानत या सजा के निलंबन संबंधी उनकी याचिका में कोई विशेष बात नहीं है।

न्यायमूर्ति नाथ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘हम संजीव भट्ट को जमानत देने के पक्ष में नहीं हैं। जमानत की अर्जी खारिज की जाती है। अपील की सुनवाई प्रभावित नहीं होगी। अपील की सुनवाई में तेजी लाई जाती है।’’

दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ भट्ट की अपील फिलहाल शीर्ष अदालत में लंबित है।

भट्ट ने 2024 में गुजरात उच्च न्यायालय के नौ जनवरी, 2024 के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है, जिसमें उनकी अपील खारिज कर दी गई थी। उच्च न्यायालय ने भट्ट और सह-आरोपी प्रवीणसिंह जाला की भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषसिद्धि को भी बरकरार रखा है।

उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया था जिसमें उन पांच अन्य आरोपियों की सजा बढ़ाने का अनुरोध किया गया था जिन्हें हत्या के आरोपों से बरी कर दिया गया था लेकिन धारा 323 और 506 के तहत दोषी ठहराया गया था।

तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भट्ट ने 30 अक्टूबर, 1990 को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता लालकृष्ण आडवाणी की ‘रथ यात्रा’ को रोकने के खिलाफ ‘बंद’ के आह्वान पर जामजोधपुर शहर में हुए सांप्रदायिक दंगे के बाद लगभग 150 लोगों को हिरासत में लिया था।

हिरासत में लिए गए लोगों में से एक प्रभुदास वैष्णानी की रिहाई के बाद अस्पताल में मौत हो गई।

वैष्णानी के भाई ने भट्ट और छह अन्य पुलिस अधिकारियों पर हिरासत में उसे प्रताड़ित करने और उसकी मौत का कारण बनने का आरोप लगाया।

भट्ट को पांच सितंबर, 2018 को एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें उन पर एक व्यक्ति को मादक पदार्थ रखने के आरोप में झूठा फंसाने का आरोप है। मामले में मुकदमा जारी है।

वह कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर. बी. श्रीकुमार के साथ 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में कथित तौर पर साक्ष्य गढ़ने के मामले में भी आरोपी हैं।

भाषा

सुरभि मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments